Madhepura Lok Sabha seat: लोकसभा चुनाव को लेकर जारी गहमागहमी के बीच अब चर्चा मधेपुरा लोकसभा सीट को लेकर होने लगी है। मधेपुरा लोकसभा सीट को लेकर बिहार के सियासी गलियारों में एक कहावत है कि 'रोम है पोप का और मधेपुरा है गोप का', मतलब साफ है कि यहां यादवों का दबदबा चलता है। 'यादव लैंड' के नाम से मशहूर यह सीट बिहार की वीवीआईपी सीटों में आती है। बीपी मंडल से लेकर शरद यादव, लालू प्रसाद यादव, राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने बारी-बारी से इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है। मधेपुरा लोकसभा सीट 1967 में बनाया गया। देश के लिए चौथी लोकसभा के चुनाव में यहां के लोगों ने पहली बार मतदान किया। दो बार परिसीमन कर इस लोकसभा में आने वाले विधानसभा क्षेत्रों को बदला गया।
जिला मुख्यालय होने के कारण यहां यह क्षेत्र बेहद महत्वपूर्ण है। प्राचीन काल में मधेपुरा मिथिला राज्य का हिस्सा था। बाद में मौर्य वंश का भी यहां शासन रहा। यहां कुषाण वंश और मुगलों ने भी राज किया। यह क्षेत्र धार्मिक एवं ऐतिहासिक दृष्टि से समृद्ध है। चंडी स्थान, सिंघेश्वर स्थान, श्रीनगर, रामनगर, बसंतपुर, बिराटपुर और बाबा कारू खिरहर आदि यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं।
सीट पर सबसे चर्चित नाम राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव का है
यहां का यादव वोटर किसी भी दल के नेता के चुनावी हार-जीत का रुख तय करता है। मधेपुरा लोकसभा सीट से अभी जदयू के नेता दिनेश चंद्र यादव सांसद हैं। जदयू के दिनेश यादव ने राजद की टिकट पर चुनाव लड़ने वाले दिवंगत नेता शरद यादव को हराया था। इस सीट पर सबसे चर्चित नाम राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव का है।
पप्पू यादव मधेपुरा सीट के कद्दावर नेता हैं। बिहार के युवा वोटर में उनकी लोकप्रियता बहुत अधिक है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव परिणाम पर नजर डाले तो जदयू के दिनेश चंद्र यादव को मधेपुरा लोकसभा सीट से 6,24,334 वोट मिले थे। जदयू के दिनेश चंद्र यादव ने दिवंगत नेता शरद यादव को 3,01,527 वोटों से हराया था।
जन अधिकार पार्टी (जाप) बना ली
शरद यादव को 3,22,807 वोट मिले हुए थे। इसके बाद जन अधिकार पार्टी के अध्यक्ष राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव को इस सीट से 2019 के लोकसभा चुनाव में 97,631 वोट मिले हुए थे। पप्पू यादव लालू यादव की राजद पार्टी से सांसद भी रह चुके हैं। इसके बाद उन्होंने जन अधिकार पार्टी (जाप) बना ली।
मधेपुरा के 2014 के लोकसभा चुनाव परिणाम में इस सीट से राजद के उम्मीदवार राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने जीत दर्ज की थी। उन्हें 3,68,937 वोट मिले हुए थे। पप्पू यादव ने जदयू की टिकट पर चुनाव लड़े दिवंगत नेता शरद यादव को हराया था। शरद यादव को इस सीट पर 3,12,728 वोट मिले हुए थे।
आलमनगर, बिहारीगंज, मधेपुरा, सोनबरसा(सुरक्षित), सहरसा और महिषी विधानसभा सीट
पप्पू यादव ने 56 हजार से अधिक वोटों से जीत दर्ज की थी। भाजपा से इस सीट पर विजय कुमार सिंह ने चुनाव लड़ा था। भाजपा उम्मीदवार को 2,52,534 वोट मिले हुए थे। मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा सीट आती हैं। आलमनगर, बिहारीगंज, मधेपुरा, सोनबरसा(सुरक्षित), सहरसा और महिषी विधानसभा सीट।
मधेपुरा लोकसभा सीट की एक और खास बात ये है कि यहां कभी भी किसी की लहर का असर नहीं पड़ता। 1952 के पहले चुनाव में पूरे देश में जब पंडित नेहरू का बोलबाला था, तो यहां से सोशलिस्ट पार्टी के किराई मुसहर ने जीत दर्ज की थी। इसी तरह से 2014 में जब पूरे देश में मोदी की लहर चली, तो यहां से पप्पू यादव जीते थे।
महिला मतदाताओं की संख्या 8,26,302 हैं
हाल ही में हुए जातीय सर्वेक्षण की रिपोर्ट के आधार पर मधेपुरा में यादव की आबादी 3 लाख 30 हजार, मुस्लिम आबादी 1 लाख 80 हजार, ब्राह्मण- 1 लाख 70 हजार, राजपूत- 1 लाख 10 हजार, कायस्थ- 10 हजार, भूमिहार- 5 हजार, मुसहर- 1 लाख 8 हजार, चमार- 50 हजार, पासवान- 60 हजार, कुर्मी- 65 हजार, कोयरी- 60 हजार, धानुक- 60 हजार, वैश्य/ बनिया/ पचपनियां- 4 लाख 5 हजार (इसमें कई जातियां), इसाई सिर्फ 49 और हिजड़े सिर्फ 32 रहते हैं। इस सीट पर मतदाताओं की संख्या 17, 24, 407 हैं। इनमें से पुरूष मतदाता-8, 98, 071 हैं, जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 8,26,302 हैं।
मधेपुरा सीट को दिवंगत नेता शरद यादव की विरासत के तौर पर देखा जाता है। उन्होंने अपना आखिरी चुनाव राजद की टिकट पर लड़ा था। मधेपुरा लोकसभा सीट पर शरद यादव राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को भी मात दे चुके हैं। सूत्रों के मुताबिक, शरद यादव के बेटे शांतनु यहां से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। शांतनु की उम्र करीब 30 साल है। एमए की पढ़ाई इंग्लैंड में हुई है।
मधेपुरा के वर्तमान सांसद दिनेश चंद्र यादव 75 साल के होने को हैं
अगर अवसर मिलता है तो 2024 का लोकसभा चुनाव उनका पहला होगा। शरद यादव की बेटी सुभाषिणी बुंदेला ऊर्फ सुभाषिणी शरद यादव 2020 में मधेपुरा जिला के बिहारीगंज विधानसभा से कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ी थीं। हालांकि, उनको हार का सामना करना पड़ा था। वहीं, मधेपुरा के वर्तमान सांसद दिनेश चंद्र यादव 75 साल के होने को हैं।
उम्र का तकाजा भी कह सकते हैं कि अब दिनेश चंद्र यादव अपने क्षेत्र में उतने सक्रिय नहीं दिखते। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस बार मधेपुरा सीट पर एक युवा नेता को मौका दे सकते हैं। सूत्रों के अनुसार इस बार पार्टी मंडल कमीशन के अध्यक्ष बीपी मंडल के परिवार पर दांव लगाने का फैसला करीब-करीब तय कर लिया है।
बीपी मंडल के पोते निखिल मंडल को जदयू से टिकट मिल सकता है। बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट और वकालत की पढ़ाई कर चुके निखिल मंडल जदयू के प्रवक्ताओं में शामिल हैं। ऐसे में अगर उनको टिकट मिलता है तो बीपी मंडल की विरासत की चर्चा हो सकती है।