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LS polls 2024: लोकसभा चुनाव से पहले झटके पर झटका, जेएमएम विधायक सोरेन, केंद्रीय मंत्री पारस और भाजपा विधायक इनामदार ने दिया इस्तीफा, आखिर वजह

By सतीश कुमार सिंह | Updated: March 19, 2024 13:21 IST

LS polls 2024: भाजपा लोकसभा चुनाव के लिए बिहार में सीट बंटवारे की बातचीत में शामिल नहीं करके उनकी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) के साथ नाइंसाफी कर रही है।

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ठळक मुद्देनजरअंदाज किए जाने का आरोप लगाते हुए मंगलवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया।केतन इनामदार ने “अंतरात्मा की आवाज" सुनकर मंगलवार को राज्य विधानसभा से इस्तीफा दे दिया।चुनावों में वडोदरा सीट से भाजपा उम्मीदवार रंजन भट्ट की जीत के लिए काम करेंगे।

LS polls 2024: लोकसभा चुनाव 2024 की घोषणा हो गई है। पक्ष और विपक्ष चुनावी रैली और रोड शो के माध्यम से एक-दूसरे पर हमला कर रहे हैं। कई सांसद को टिकट न मिलने के कारण यहां से वहां जा रहे हैं। 19 अप्रैल से एक जून तक वोट पड़ेंगे। देखा जाए तो 7 चरण में मतदान संपन्न होगा। 4 जून को मतगणना कराई जाएगी। इस बीच झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) को झटका देते हुए जामा से उसकी विधायक सीता सोरेन ने उन्हें और उनके परिवार को नजरअंदाज किए जाने का आरोप लगाते हुए मंगलवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया। केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने मंगलवार को केंद्र सरकार से इस्तीफा दे दिया और आरोप लगाया कि भाजपा लोकसभा चुनाव के लिए बिहार में सीट बंटवारे की बातचीत में शामिल नहीं करके उनकी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) के साथ नाइंसाफी कर रही है।

चुनाव से पहले गुजरात में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक केतन इनामदार ने “अंतरात्मा की आवाज" सुनकर मंगलवार को राज्य विधानसभा से इस्तीफा दे दिया और कहा कि “आत्मसम्मान” से बढ़ा कुछ नहीं है। इनामदार ने यह भी कहा कि उनका कदम दबाव की रणनीति नहीं है और चुनावों में वडोदरा सीट से भाजपा उम्मीदवार रंजन भट्ट की जीत के लिए काम करेंगे।

प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने का फैसला किया

पार्टी सुप्रीमो और अपने ससुर शिबू सोरेन को लिखे इस्तीफा पत्र में सीता ने कहा कि उनके पति दुर्गा सोरेन के निधन के बाद पार्टी उन्हें तथा उनके परिवार को पर्याप्त सहयोग मुहैया कराने में नाकाम रही। सीता ने कहा कि वह उपेक्षित महसूस कर रही थी और उन्होंने भारी मन से पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने का फैसला किया है।

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे मेरे तथा मेरे परिवार के खिलाफ रची जा रही एक साजिश का पता चला है...मेरे पास इस्तीफा देने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा।’’ झामुमो प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य से संपर्क करने पर उन्होंने कहा कि इस्तीफे के बारे में उन्होंने सुना जरूर है लेकिन आधिकारिक पत्र अभी उनके पास नहीं पहुंचा है।

पारस ने एक संवाददाता सम्मेलन में यह घोषणा की। इससे एक दिन पहले ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने राज्य में अपने सीट-बंटवारा समझौते की घोषणा की थी और चिराग पासवान के नेतृत्व वाली एलजेपी (रामविलास) को पांच सीट देने का ऐलान किया था। पारस ने संवाददाता सम्मेलन में अपने इस्तीफे के बारे में संक्षिप्त बयान दिया।

जनवरी 2020 में विधायक पद से इस्तीफे की घोषणा की थी

अपनी भविष्य की योजनाओं के बारे में कुछ नहीं बताया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मंत्रिमंडल में शामिल भाजपा के किसी सहयोगी दल के एकमात्र नेता पारस ने सीट-बंटवारे को लेकर नाखुशी जताने से पहले प्रधानमंत्री का आभार जताया और उन्हें बड़ा नेता कहा। पारस ने कहा कि उन्होंने ईमानदारी और निष्ठा के साथ राजग की सेवा की लेकिन उनके साथ नाइंसाफी हुई।

वडोदरा जिले की सावली सीट का तीसरी बार विधानसभा में प्रतिनिधित्व कर रहे इमानदार ने विधानसभा अध्यक्ष शंकर चौधरी को अपना त्याग पत्र सौंपा। पत्र में, इनामदार ने कहा कि वह अपनी "अंतरात्मा की आवाज" पर इस्तीफा दे रहे हैं। इससे पहले भी उन्होंने जनवरी 2020 में विधायक पद से इस्तीफे की घोषणा की थी, लेकिन तब विधानसभा अध्यक्ष ने इसे स्वीकार नहीं किया था।

मंगलवार को अपना इस्तीफा देने के बाद पत्रकारों से इनामदार ने कहा कि यह दबाव की रणनीति नहीं है। भाजपा नेता ने कहा, “ काफी समय से मुझे महसूस हो रहा था कि पार्टी में छोटे और पुराने कार्यकर्ताओं का ध्यान नहीं रखा गया है। मैंने नेतृत्व को इससे अवगत करा दिया है।'' इनामदार ने कहा कि उन्होंने 11 साल से अधिक समय तक सावली सीट का प्रतिनिधित्व किया और जब से वह भाजपा के सक्रिय सदस्य बने, तब से वह पार्टी से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा, “जैसा कि मैंने 2020 में कहा था, आत्मसम्मान से बड़ा कुछ नहीं है।

यह आवाज़ अकेले केतन इनामदार की नहीं बल्कि पार्टी के हर एक कार्यकर्ता की है। मैंने पहले भी कहा है कि पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए।” भाजपा नेता ने कहा, "मैं यह सुनिश्चित करने के लिए दिन-रात काम करूंगा कि लोकसभा चुनाव में (वडोदरा सीट से) हमारे उम्मीदवार रंजन भट्ट बड़े अंतर से जीतें। लेकिन यह इस्तीफा मेरी अंतरात्मा की आवाज का परिणाम है।"

साल 2020 में इस्तीफा देने के बाद इनामदार ने दावा किया था कि वरिष्ठ सरकारी अधिकारी और मंत्री उनकी और उनके निर्वाचन क्षेत्र की अनदेखी कर रहे हैं और भाजपा के कई विधायक उनकी तरह "हताश" महसूस कर रहे हैं। इनामदार ने पहली बार 2012 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज की थी। भाजपा में शामिल हो गए और 2017 और 2022 में फिर विधानसभा पहुंचे।

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