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फिरोजाबाद ग्राउंड रिपोर्ट: चाचा शिवपाल हैं भतीजे अक्षय यादव के लिए कितनी बड़ी चुनौती ?

By निखिल वर्मा | Published: April 03, 2019 10:09 AM

लोकमत ने सपा के गढ़ मैनपुरी-फिरोजाबाद-इटावा में राजनीतिक हालात का जायजा लिया है। इस चुनाव में शिवपाल के उतरने के फिरोजाबाद और इटावा में सपा की राहें आसान नहीं है। 

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ठळक मुद्देलोकसभा चुनाव 2014 में सपा के टिकट से जीते अक्षय पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव एवं मुख्य रणनीतिकार रामगोपाल यादव के बेटे हैं।शिवपाल सिंह यादव पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं।

चूड़ियों का शहर फिरोजाबादलोकसभा चुनाव 2019 में उत्तर प्रदेश की सबसे महत्वपूर्ण संसदीय सीट बन गई है। समाजवादी पार्टी से अलग होकर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का गठन करने वाले शिवपाल सिंह यादव पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं। यहां वो अपने ही भतीजे और वर्तमान सांसद अक्षय यादव का मुकाबला करेंगे।

लोकसभा चुनाव 2014 में सपा के टिकट से जीते अक्षय पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव एवं मुख्य रणनीतिकार रामगोपाल यादव के बेटे हैं। रामगोपाल यादव सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के चचेरे भाई हैं। सपा परिवार के भीतर हुए राजनीतिक विवाद में रामगोपाल पूर्व सीएम अखिलेश यादव के सामने खड़े थे। शिवपाल के अलग होने की मुख्य वजह रामगोपाल ही है।

लोकमत ने सपा के गढ़ मैनपुरी-फिरोजाबाद-इटावा में राजनीतिक हालात का जायजा लिया है। इस चुनाव में शिवपाल के उतरने के फिरोजाबाद और इटावा में सपा की राहें आसान नहीं है। 

जीत के लिए जोर

शिवपाल और अक्षय दोनों दिन रात वोटरों के बीच मेहनत कर रहे हैं। 30 मार्च को शिवपाल ने नामांकन भरने के तुरंत बाद शिकोहाबाद में एक बड़ी रैली की। इस रैली में करीब 5000 लोग आए हुए थे। मंच से उनके अलावा सभी वक्ताओं ने रामगोपाल-अखिलेश के खिलाफ बोला लेकिन शिवपाल ने किसी का नाम नहीं लिया, सिर्फ वोट देने की अपील की। लोकमत से बातचीत में सांसद अक्षय यादव रैली में आए लोगों के सवाल उठाते हुए कहते हैं कि ज्यादातर लोग यहां स्थानीय वोटर नहीं है। कई दूसरे जिलों से लोग आ रहे हैं।

शिवपाल की शिकोहाबाद रैली में शामिल लोग

शिकोहाबाद में ही एक होटल चलाने वाले ने बताया कि शिवपाल के रोड शो में और रैली में इटावा और उनके विधानसभा क्षेत्र जसवंत नगर के ज्यादातर लोग थे। बता दें कि जसवंत नगर मैनपुरी जिले में शामिल है।

वहीं, 29 मार्च को सांसद अक्षय यादव ने पर्चा दाखिल किया था। वह जीत के प्रति आश्वत दिख रहे हैं। लोकमत जब उनसे बातचीत करने के लिए दबरई स्थित सपा कार्यालय पहुंचा तो रात दस बजे वो पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ मीटिंग कर रहे थे। मीटिंग में उन्होंने कार्यकर्ताओं से हर एक गांव में पहुंचने के लिए कह रहे थे।

यादव वोटों में बंटवारा संभव

1996 से मैनपुरी के जसवंत नगर से विधायक शिवपाल यादव की सपा के पुराने कार्यकर्ताओं में आज भी पकड़ है। फिरोजाबाद में 4.31 लाख यादव वोट है। शिवपाल बसपा प्रमुख मायावती के कार्यकाल (2007-12) में विपक्ष के नेता रहे हैं और इसके अलावा सपा सरकारों में मंत्री भी। फिरोजाबाद, मैनपुरी और इटावा में उनके समर्थक और विरोधी दोनों आसानी से मिल जाते हैं। 

फिरोजाबाद जिले के सिरसागंज से बागी सपा विधायक हरिओम यादव शिवपाल के पक्ष में वोट मांग रहे हैं। हरिओम यादव तीन बार से विधायक हैं। वो सपा में रहते हुए भी अक्षय यादव का पुरजोर विरोध कर रहे हैं। फिरोजाबाद के अंतर्गत पांच विधानसभा सीटें है जिसमें चार पर बीजेपी विधायक हैं। बीजेपी के बंपर लहर के बाद भी हरिओम 2017 में चुनाव जीतने में सफल रहे थे।

लोकमत ने जब सांसद अक्षय यादव से सवाल किया कि पार्टी हरिओम के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं कर रही तो उन्होंने कहा कि चुनाव बाद उनपर कार्रवाई की जाएगी। शिवपाल-हरिओम दोनों सपा से अभी विधायक हैं। सपा इन पर इसलिए कार्रवाई नहीं कर रही क्योंकि सहानुभूति लहर ना पैदा हो जाए। 

जसवंतनगर के रहने वाले सुबोध यादव कहते हैं, शिवपाल ज्यादा नुकसान नहीं कर पाएंगे। आज भी हमारे नेता मुलायम ही हैं। वो कहते हैं ज्यादा से ज्यादा 25 फीसदी यादव वोट शिवपाल को मिल सकता है।

शिवपाल की शिकोहाबाद रैली में आए देवेंद्र यादव कहते हैं, हमारे नेता तो मुलायम सिंह यादव ही हैं। यहां घूमने पर साफ पता चलता है कि मुलायम जिसके पक्ष में रैली कर देंगे वो उम्मीदवार आसानी से जीत जाएगा।

किधर जाएगा मुस्लिम वोट

1992 में सपा का गठन हुआ था और यादव व मुस्लिम इसके वोट बैंक है। फिरोजबाद सीट पर करीब 1.56 लाख मुसलमान वोट हैं। मुसलमानों की ज्यादातर आबादी चूड़ियों के व्यवसाय से जुड़ी है। सदर बाजार के रहने वाले रेहान बताते हैं, इस बार मुस्लिम वोटों में बंटवारा होगा। ज्यादातर वोट इस बार भी सपा को जाएगा लेकिन एक हिस्सा शिवपाल के पक्ष में भी है। इसका कारण पूछने पर वो कहते हैं, फिरोजाबाद शहर के रहने वाले पूर्व सपा विधायक अजीम भाई शिवपाल का साथ दे रहे हैं। शहर के मुसलमानों में उनकी अच्छी पकड़ है।

तीन बार विधायक रह चुके अजीम भाई को यूपी विधानसभा चुनाव 2017 में सपा के  टिकट नहीं दिया था। इसके बाद अजीम भाई ने मेयर के चुनाव में एआईएमआईएम प्रत्याशी का समर्थन कर सपा को तीसरे स्थान पर पहुंचा दिया था। चुनाव के बाद उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया था। फिलहाल वह शिवपाल के साथ हर रैली और डोर-टू-डोर कैंपेन में मौजूद हैं।

मुलायम किस तरफ

मुलायम सिंह यादव ने 1 अप्रैल को मैनपुरी से नामांकन दाखिल किया है। नामांकन से ठीक पहले शिवपाल उनके मिलने उनके घर गए थे। क्या नेता जी मुलायम सिंह यादव यहां आपके लिए चुनाव प्रचार करने आएंगे? शिवपाल लोकमत से कहते हैं, ये तो नेताजी बताएंगे, मुझे बस इतना पता है कि उनका आर्शीवाद मेरे साथ है। 

वहीं अक्षय यादव का कहना है कि नेताजी खुद मैनपुरी से उम्मीदवार हैं। 23 अप्रैल को उनके यहां भी चुनाव हैं। मैं उनसे आग्रह करूंगा वो यहां चुनाव प्रचार के लिए आएं। 7 दिसंबर 2018 को कारगिल शहीद सम्मान समारोह में नेताजी फिरोजाबाद आए हुए थे। उन्होंने मंच से मेरा हाथ उठाकर लोगों से मुझे जिताने की अपील थी। इस रैली में करीब तीन लाख लोग आए थे। उनका आर्शीवाद मेरे साथ है।

महागठबंधन की रैली से फर्क पड़ेगा

उत्तर प्रदेश की राजनीति में शिवपाल और मायावती की दुश्मनी जगजाहिर है। 1995 में गेस्ट हाउस कांड का आरोप भी शिवपाल समर्थकों पर ही लगा था। बसपा प्रमुख मायावती, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और रालोद नेता जयंत यादव की संयुक्त रैली 20 अप्रैल को फिरोजाबाद में होने वाली है। फिरोजाबाद में करीब 2 लाख जाटव वोट हैं। ये बसपा के वोटर रहे हैं। बसपा के वोटर रामबरण कहते हैं, इस बार पूरा वोट महागठबंधन के पक्ष पड़ेगा।

सांसद अक्षय यादव का कहना है कि पिछली बार उन्हें 5.40 लाख वोट मिले थे, इस बार महागठबंधन के चलते वोटों का आंकड़ा 9 लाख पार जाएगा। वहीं इटावा से दो बार सांसद और सपा सरकार में मंत्री रहे दलित नेता रघुराज सिंह शाक्य फिरोजाबाद में शिवपाल के साथ हर मौजूद दिख रहे हैं। प्रसपा ने सुंदर लाल लोधी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया, फिरोजाबाद में लोधी समुदाय के 1.21 लाख वोट हैं। निषाद समाज से आने वाली मीणा राजपूत भी शिवपाल का साथ दे रही हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में सपा ने उनका टिकट काट दिया था।

असमंजस में बीजेपी 

लोकसभा चुनाव 2014 में फिरोजाबाद सीट से बीजेपी के टिकट पर एसपी सिंह बघेल ने चुनाव लड़ा था। उन्हें 4.20 लाख वोट मिले थे। इस बार वो फिरोजाबाद से सटे आगरा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। अभी तक बीजेपी ने आधिकारिक रुप से अपने प्रत्याशी का ऐलान नहीं किया है जबकि नामांकन की आखिरी तारीख 4 अप्रैल को है और वोट 23 अप्रैल को डाले जाएंगे।

सूत्रों के अनुसार बीजेपी बसपा नेता रामवीर उपाध्याय की पत्नी सीमा उपाध्याय को यहां उम्मीदवार बनाने जा रही है। फिरोजाबाद में 1.47 लाख ब्राह्मण वोट है। सीमा उपाध्याय बसपा की टिकट पर अलीगढ़ से सांसद रह चुकी हैं। इस बार बसपा ने उन्हें फतेहपुर सीकरी ने टिकट दिया था लेकिन उन्होंने लड़ने से इंकार कर दिया। अब उन्हें अगर बीजेपी से टिकट मिलता भी है तो सिर्फ 18 दिन उनके पास चुनाव प्रचार के लिए होंगे।

स्थानीय लोग कहते हैं कि बीजेपी इस बार यहां लड़ाई नहीं है। टिकट में हुई देरी से इसका सीधा फायदा अक्षय यादव को मिलेगा। पिछली बार बघेल ने उन्हें कड़ी टक्कर दी थी लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो पाएगा। कांग्रेस ने इस सीट पर कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता अनूप पटेल कहते हैं कि पार्टी 6 सीटें महागठबंधन के लिए छोड़ी है जिसमें फिरोजाबाद की सीट भी शामिल है।

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