"समाजवादी जल्द ही समाप्तवादी हो जाएगी", केशव प्रसाद मौर्य ने ज्ञानवापी मुद्दे पर घेरा अखिलेश यादव की पार्टी सपा को

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: February 2, 2024 08:10 AM2024-02-02T08:10:20+5:302024-02-02T08:16:36+5:30

केशव प्रसाद मौर्य ने अखिलेश यादव की पार्टी पर तुष्टिकरण का आरोप लगाते हुए कहा कि अगर समाजवादी पार्टी इसी तरह से एक खास पक्ष की राजनीति करती रही तो वह जल्द ही 'समाप्तवादी पार्टी' में बदल जाएगी।

"Socialist will soon become abolitionist", Keshav Prasad Maurya cornered Akhilesh Yadav's party SP on Gyanvapi issue | "समाजवादी जल्द ही समाप्तवादी हो जाएगी", केशव प्रसाद मौर्य ने ज्ञानवापी मुद्दे पर घेरा अखिलेश यादव की पार्टी सपा को

फाइल फोटो

Highlightsकेशव प्रसाद मौर्य ने अखिलेश यादव की पार्टी सपा पर लगाया तुष्टिकरण करने का आरोपसमाजवादी पार्टी एक खास पक्ष की राजनीति करती रही तो उसका खामियाजा उसे भुगतना होगा केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि समाजवादी पार्टी जल्द ही समाप्तवादी पार्टी में बदल जाएगी

लखनऊ:ज्ञानवापी मस्जिद फैसले पर विवाद के बीच उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने अखिलेश यादव की पार्टी पर तुष्टिकरण का आरोप लगाते हुए कहा कि अगर समाजवादी पार्टी इसी तरह से एक खास पक्ष की राजनीति करती रही तो वह जल्द ही 'समाप्तवादी पार्टी' में बदल जाएगी।

समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार सपा पर ज्ञानवापी मस्जिद फैसले को राजनीतिक रंग देने का आरोप लगाते हुए भाजपा नेता केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, "1990 में समाजवादी पार्टी की सरकार में अयोध्या में निहत्थे राम भक्तों पर गोली चलाई गई थी। 1993 में भी इसी तरह की घटना हुई थी, जब काशी में बाबा विश्वनाथ का मंदिर बंद कर दिया गया था।''

उन्होंने कहा, "ज्ञानवापी पर अदालत ने अब फैसला दिया है और हम सभी इसका स्वागत करते हैं। 2013 में जब अखिलेश यादव मुख्यमंत्री थे, तब प्रयागराज के कुंभ में भगदड़ मची थी और सैकड़ों लोग मारे गए थे। तुष्टिकरण की यह राजनीति समाजवादी पार्टी को 'समाप्तवादी' पार्टी में बदल देगी।"

इस बीच ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि वाराणसी की अदालत द्वारा हिंदू भक्तों को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर 'व्यास के तहखाने' में प्रार्थना करने की अनुमति देने का फैसला पूजा स्थल अधिनियम का उल्लंघन है।

उन्होंने कहा, "जिस जज ने यह फैसला सुनाया वह रिटायरमेंट से पहले उनका आखिरी दिन था। जज ने 17 जनवरी को जिला मजिस्ट्रेट को रिसीवर नियुक्त किया और आखिरकार उन्होंने सीधे फैसला सुना दिया। उन्होंने खुद कहा कि 1993 के बाद से वहां कोई प्रार्थना नहीं की गई। 30 साल हो गए हैं तो उन्हें कैसे पता चला कि अंदर मूर्ति है? यह पूजा स्थल अधिनियम का उल्लंघन है।''

ओवैसी ने कहा, "जज ने 7 दिनों के भीतर मस्जिद परिसर का ग्रिल खोलने का आदेश दिया है। अपील करने के लिए 30 दिन का समय दिया जाना चाहिए था। यह गलत निर्णय है। जब तक मोदी सरकार यह नहीं कहती कि वे पूजा स्थल अधिनियम के साथ खड़े हैं, तब तक यह जारी रहेगा। बाबरी मस्जिद स्वामित्व मुकदमे के फैसले के दौरान मैंने यह आशंका व्यक्त की थी कि पूजा स्थल अधिनियम को सुप्रीम कोर्ट के फैसले की मूल संरचना का हिस्सा बनाया गया है लेकिन फिर निचली अदालतें सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन क्यों नहीं कर रही हैं?"

मालूम हो कि एक ऐतिहासिक फैसले में वाराणसी की एक अदालत ने बुधवार को हिंदू भक्तों को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर ''व्यास के तहखाने' में प्रार्थना करने की अनुमति दी। कोर्ट ने जिला प्रशासन को अगले सात दिनों में जरूरी इंतजाम करने को कहा है। हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया कि "सात दिनों के भीतर पूजा शुरू हो जाएगी और सभी को पूजा करने का अधिकार होगा।"

 

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