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Lokniti-CSDS Survey: 83 प्रतिशत मुस्लिम समुदाय ने दिया AAP को वोट, जानिए सभी आंकड़े

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: February 14, 2020 17:30 IST

आम आदमी पार्टी (आप) ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में करीब 54 प्रतिशत मत हासिल किए हैं, जबकि भाजपा को 38.5 फीसदी वोट मिले हैं।

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ठळक मुद्देलोकनीति-सीएसडीएस सर्वे के अनुसार, यह व्यापक रूप से मतदाताओं के बीच जाति और समुदाय पर आधारित गठजोड़ है।आप, कांग्रेस और भाजपा का अलग-अलग सामाजिक गठजोड़ है।

दिल्ली विधानसभा चुनाव संपन्न हो गया है। आम आदमी पार्टी (आप) ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में करीब 54 प्रतिशत मत हासिल किए हैं, जबकि भाजपा को 38.5 फीसदी वोट मिले हैं। वहीं, कांग्रेस ने चुनाव में सबसे खराब प्रदर्शन किया है और उसका मत प्रतिशत गिरकर चार फीसदी पर आ गया।

लोकनीति-सीएसडीएस सर्वे के अनुसार, यह व्यापक रूप से मतदाताओं के बीच जाति और समुदाय पर आधारित गठजोड़ है। राजधानी दिल्ली में जाति की अहमियत नहीं है। आप, कांग्रेस और भाजपा का अलग-अलग सामाजिक गठजोड़ है।

सर्वे के अनुसार मुस्लिम समुदाय ने खुलकर सीएम अरविंद केजरीवाल का समर्थन किया है। सीएए और एनआरसी पर मुस्लिम समुदाय केंद्र सरकार से खफा है। दिल्ली चुनाव में शाहीन बाग का मुद्दा भी हावी रहा। कांग्रेस की हार का कारण भी है।  

13 फीसदी मुस्लिमों ने कांग्रेस को वोट दिया

83 फीसदी मुस्लिम वोट आप के खाते में गए और 13 फीसदी मुस्लिमों ने कांग्रेस को वोट दिया। भाजपा के खाते में सिर्फ 3 फीसदी वोट ही आए। इस बार कांग्रेस कहीं भी सीन में नहीं दिख रही थी तो मुस्लिम समुदाय ने कांग्रेस को वोट देकर अपना वोट बर्बाद करने से अच्छा भाजपा को हराने के लिए अपने वोट सीधे आम आदमी पार्टी को दे दिए। आप को दिल्ली विधानसभा चुनाव में 53.6 प्रतिशत वोट मिले हैं। पार्टी को 2015 के विधानसभा चुनाव में 54.34 फीसदी मत मिले थे।

मुस्लिम समुदाय ही नहीं सिख, हिन्दू, जैन, पंजाबी, राजपूत, वैश्य, गुर्जर, यादव, जाटव और वाल्मिकी समुदाय ने खुलकर सीएम केजरीवाल को समर्थन किया। पिछले साल मई में हुए लोकसभा चुनाव में, भाजपा ने दिल्ली में 56 प्रतिशत से अधिक वोट हासिल किए थे जो कांग्रेस के (22.5 प्रतिशत) और आप (18.1 प्रतिशत) के संयुक्त मत प्रतिशत से अधिक थे।

अभी तक का मत प्रतिशत

भाजपा ने दिल्ली की सभी सातों सीटें जीती थीं। दिल्ली में 1993 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में भगवा दल को 42.82 प्रतिशत वोट मिले थे। इसने 1998 में 34.02 फीसदी मत और 2003 में 35.22 प्रतिशत वोट हासिल किए। भाजपा ने 2008 में 36.34 फीसदी, 2013 में 33.07 प्रतिशत और 2015 में 32.19 फीसदी मत हासिल किए थे।

कांग्रेस 1998 से 2013 तक राष्ट्रीय राजधानी की सत्ता पर काबिज थी। 1993 के विधानसभा चुनाव में, पार्टी को 34.48 प्रतिशत वोट मिले थे। 1998 में जब उसने दिल्ली में सत्ता पर कब्जा किया था, तब उसे 47.76 फीसदी वोट मिले थे। इसके बाद कांग्रेस को 2003 और 2008 में क्रमश: 48.13 फीसदी और 40.31 फीसदी वोट मिले थे।

2013 में उसका मत प्रतिशत लगभग आधा गिरकर 24.55 फीसदी पा आ गया और पार्टी केवल आठ सीटें जीत पाई। कांग्रेस का मत प्रतिशत 2015 में 9.65 फीसदी था और 2020 में पार्टी को मात्र 4.27 प्रतिशत वोट मिले हैं। दिल्ली में 0.46 प्रतिशत लोगों ने नोटा को वोट दिया है। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की अगुवाई वाली बसपा ने दिल्ली में 68 उम्मीदवार उतारे थे और उसे 0.71 प्रतिशत वोट मिले हैं।

67 प्रतिशत सिख समुदाय ने आप को दिया वोट

ओवरऑल देखा जाए तो हिन्दुओं ने 48 प्रतिशत मतदान आप के पक्ष में किया। भाजपा के पक्ष में 46 और कांग्रेस व अन्य के पक्ष में तीन-तीन प्रतिशत मतदान किए। यहां भी देखा जाए तो केजरीवाल भाजपा पर भारी दिखे। सिख समुदाय ने केजरीवाल पर प्यार बरसाया। 67 प्रतिशत सिख समुदाय ने आप को, 28 प्रतिशत ने भाजपा को और 4 प्रतिशत ने कांग्रेस को वोट दिया।

अन्य जाति ने भी अरविंद केजरीवाल को खूब बोट दिया। आप को 63, भाजपा को 28 और कांग्रेस को 4 प्रतिशत मिला। अन्य जाति ने भी आप को वोट दिया। 55 फीसदी पूर्वांचलियों ने अरविंद केजरीवाल को वोट दिया है। हां 36 फीसदी ने भाजपा पर भी भरोसा दिखाया है। 

दिल्ली में करीब 35 फीसदी पूर्वांचली रहते हैं। भाजपा को 55 फीसदी ब्राह्मणों ने वोट दिया, जबकि केजरीवाल को सिर्फ 40 फीसदी ब्राह्मणों ने पसंद किया। कांग्रेस को तो सिर्फ 3 फीसदी ब्राह्मणों के ही वोट मिले। जाट समुदाय के भी 59 फीसदी लोगों ने भाजपा को वोट दिया, जबकि आम आदमी पार्टी को 38 फीसदी वोट मिले।

गुर्जर समुदाय से सबसे अधिक वोट भाजपा को मिले हैं। 54 फीसदी लोगों ने भाजपा को अपनी पहली पसंद बताया है, जबकि 43 फीसदी ने आम आदमी पार्टी को अपना कीमती वोट दिया। दिल्ली विधानसभा चुनाव में पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और वाल्मीकि समुदाय को आम आदमी पार्टी पसंद है।

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