लोकमत ने आयोजित किया ब्यूरोक्रेट ज्ञानेश्वर मुले का विदाई समारोह, देशसेवा के लिए किया सम्मानित

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 16, 2019 08:00 AM2019-03-16T08:00:56+5:302019-03-16T08:00:56+5:30

लोकमत ग्रुप के चेयरमैन विजय दर्डा ने कहा कि देश को ऐसे अधिकारियों की सख्त जरूरत है जो जमीन से जुड़े हुए हों। ज्ञानेश्वर मुले ने रिटायरमेंट के बाद राजनीति में जाने के संकेत दिए।

Lokmat thanks Dnyaneshwar Mulay for his contribution to the country and society in Delhi | लोकमत ने आयोजित किया ब्यूरोक्रेट ज्ञानेश्वर मुले का विदाई समारोह, देशसेवा के लिए किया सम्मानित

ज्ञानेश्वर मुले का सम्मान करते लोकमत के चेयरमैन विजय दर्डा

सरोकारी पत्रकारिता के लिए चर्चित लोकमत ने ब्यूरोक्रेट ज्ञानेश्वर मुले के सम्मान में विदाई समारोह का आयोजन किया। इस समारोह में ज्ञानेश्वर मुले को जमीन से जुड़े और कर्मठ ब्यूरोक्रेट के रूप में सराहा गया। कार्यक्रम में ज्ञानेश्वर मुले ने कहा कि राजनीति में अच्छे लोगों को आना चाहिए। उन्होंने रिटायरमेंट को री-अटायरमेंट के रूप में बताया। उन्होंने कहा राजनीति में आने के संकेत भी दिए। नई दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित शाम में देश की कई संभ्रांत हस्तियों ने शिरकत की।

लोकमत ग्रुप के चेयरमैन विजय दर्डा ने इस विदाई समारोह के आयोजन के बारे में बताते हुए कहा कि ज्ञानेश्वर मुले जैसी शख्सियत बहुत कम मिलती है। उन्हें सम्मानित करना लोकमत के लिए खुशी की बात है। उन्होंने कहा कि ज्ञानेश्वर मुले लोकमत के साथ लंबे समय से जुड़े हुए हैं। हर भाषा में विदेश नीति पर उनके लेख लोकमत में प्रकाशित होते रहे हैं। उम्मीद करते हैं कि आगे भी लोकमत के साथ उनका जुड़ाव बना रहेगा। विजय दर्डा ने ज्ञानेश्वर मुले के पासपोर्ट सेवा में योगदान को सराहते हुए कहा कि कुछ लोग उन्हें 'पासपोर्ट मैन' के नाम से जानने लगे हैं।

ज्ञानेश्वर मुले ने अपने संबोधन में कहा कि एक ब्योरक्रेट भी देश की अच्छी सेवा कर सकता है जो उन्होंने करके दिखाया। उन्होंने कहा कि रिटायरमेंट के बाद अपने उनके सामने खुला आकाश है। वो चाहे जैसी छलांग लगा सकते हैं। वो ऐसा महसूस कर रहे हैं जैसे 12वीं पास लड़का हो जिसके पास कुछ भी करने के ढरों रास्ते मौजूद हों।

राजनीति में आने की बात पर उन्होंने कहा, 'राजनीति में मेरी रुचि हैं। लेकिन इसमें आने के लिए चार चीज़ों की आवश्यकता है- धन, जन, जाति और मेरिट। मेरे पास सिर्फ मेरिट है। राजनीति बहुत मुश्किल कार्य है।'

ज्ञानेश्वर मुले ने लोकमत के साथ अपने जुड़ाव को याद करते हुए कहा कि उनका बरसों पुराना रिश्ता है। वो लगातार लोकमत के लिए कॉलम लिखते रहे हैं। आगे भी वो अपनी राय व्यक्त करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि देश की आम जनता को भी विदेश नीति समझनी चाहिए जिसके लिए उसे उसी की भाषा में सामग्री मिलनी चाहिए।

ज्ञानेश्वर मुलेः एक परिचय

ज्ञानेश्वर मुले का चयन 1983 में भारतीय विदेश सेवा के लिए हुआ था। वो महाराष्ट्र के कोल्हापुर के रहने वाले हैं। उन्होंने भारतीय विदेश मंत्रालय में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया। इसके अलावा मालदीव में सबसे लंबे समय तक हाई कमिश्नर भी रहे। 2016 में उन्हें विदेश मंत्रालय के पॉसपोर्ट विभाग में सचिव के पद पर नियुक्त मिली। यहां उन्होंने कई उल्लेखनीय कार्य किए। ज्ञानेश्वर मुले हिंदी और मराठी के पुरस्कृत लेखक हैं। उनकी कई किताबों का उर्दू और अरबी में अनुवाद भी किया गया है।

Web Title: Lokmat thanks Dnyaneshwar Mulay for his contribution to the country and society in Delhi

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