नई दिल्लीः पिछले साढ़े तीन साल में देश में सहकारिता क्षेत्र में मजबूत ढांचा तैयार होने का उल्लेख करते हुए सहकारिता मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा कि अगले लोकसभा चुनाव से पहले देश की हर ग्राम पंचायत में प्राथमिक कृषि ऋण समिति (पैक्स) होगी और आने वाले कुछ दिनों में देश में ओला, उबर जैसी एक सहकारी टैक्सी सेवा शुरू की जाएगी। शाह ने लोकसभा में ‘त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी विधेयक, 2025’ पर चर्चा का जवाब देते हुए यह बात कही। विधेयक में गुजरात के आणंद में ग्रामीण प्रबंधन संस्थान को त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी के रूप में विश्वविद्यालय का दर्जा देने और राष्ट्रीय महत्व की संस्था घोषित करने का प्रावधान है। अमित शाह के उत्तर के बाद लोकसभा ने विपक्ष के कुछ सदस्यों के संशोधनों को खारिज करते हुए विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी प्रदान कर दी।
शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने सहकारिता क्षेत्र की जरूरतों को समझते हुए एक अलग मंत्रालय बनाया और तब से देश में पंचायत स्तर पर पैक्स खोलने के लिए अथक प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘सहकारिता क्षेत्र में मूल इकाई पैक्स है। इसके बाद जिला और प्रदेश स्तर पर समितियां बनती हैं।
हम देश की हर पंचायत तक पैक्स पहुंचाने का काम अगली बार जनता के सामने जनादेश मांगने जाने से पहले पूरा कर लेंगे।’’ शाह ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी ने सहकार से समृद्धि का नारा दिया। उन्होंने केवल नारा ही नहीं दिया, बल्कि इसे जमीन पर उतारा है। आने वाले कुछ दिन में सहकारी क्षेत्र में ओला, उबर जैसी टैक्सी सेवा आने वाली है जिसमें दोपहिया और चारपहिया दोनों तरह की टैक्सी संचालित होंगी।’’
उन्होंने कहा कि ‘‘इसका मुनाफा धन्ना सेठों के पास नहीं जाएगा, बल्कि ड्राइवर के पास जाएगा। शाह ने कहा, ‘‘75 साल से देश में एक सहकारिता मंत्रालय की मांग थी, जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने सुना। 75 साल तक सहकारिता क्षेत्र के विकास के लिए कुछ नहीं हुआ था। लेकिन आज एक तरह से हर परिवार का कोई व्यक्ति सहकारिता से जुड़ा है।’’
उन्होंने कहा कि साढ़े तीन साल के अंदर मंत्रालय ने बहुत काम किया है और सहकारिता क्षेत्र 30 करोड़ लोगों को स्वरोजगार से जोड़ रहा है। शाह ने कहा कि इस विधेयक के पारित होने के बाद ग्रामीण अर्थव्यवस्था सशक्त होगी, स्वरोजगार बढ़ेगा, छोटे उद्योगों का विकास होगा, सामाजिक समावेश बढ़ेगा और नवाचार में नए मानक स्थापित होंगे।
उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय से पूरे देश को नया सहकारी नेतृत्व प्राप्त होगा। शाह जब मोदी सरकार की दस साल की कुछ उपलब्धियां गिना रहे थे तो कांग्रेस के कुछ सदस्यों को यह कहते सुना गया कि सब कुछ पिछले दस साल में ही हुआ है। विपक्षी सदस्यों की टोकाटोकी के बीच शाह ने कहा, ‘‘आप कह रहे हैं कि सब हमारे आने के बाद हुआ है।
हां जी, हमारे आने के बाद ही हुआ है।’’ उन्होंने देश में मोदी सरकार से पहले के सात दशकों में और पिछले एक दशक में गरीबों के घरों के निर्माण, शौचालय, घरेलू रसोई गैस कनेक्शन, पेयजल कनेक्शन आदि के आंकड़े रखे। शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने आयुष्मान योजना के तहत पांच लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज की सुविधा गरीबों को दी है।
उन्होंने कहा, ‘‘अब दिल्ली में भी कमल खिल गया है और यहां भी गरीबों को आयुष्मान योजना का लाभ मिलेगा। बस पश्चिम बंगाल रह गया है और अगले विधानसभा चुनाव के बाद वहां भी यह योजना लागू हो जाएगी।’’ कांग्रेस सदस्यों को आड़े हाथ लेते हुए सहकारिता मंत्री ने कहा, ‘‘देश में संपदा बढ़ी है, लेकिन विचारों की गरीबी को हम नहीं मिटा सकते।
वो तो (आपकी) पार्टी के क्रम में ऊपर से नीचे आती है। ऊपर के लोगों में ही विचारों की गरीबी है।’’ उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के आने से पहले देश में सहकारिता का कोई डेटाबेस नहीं था और हमने सभी राज्यों के साथ मिलकर सहकारिता का डेटाबेस ढाई साल में तैयार किया। उन्होंने कहा कि इस कार्य में सहयोग के लिए राज्यों में विभिन्न दलों की सरकारें धन्यवाद की पात्र हैं।
उन्होंने कहा कि इस दिशा में केंद्र सरकार उपनियम नहीं बना सकती थी, लेकिन राज्यों ने इसमें भी सहयोग किया और सभी राज्यों ने उपनियमों को स्वीकार किया। शाह ने कहा कि आज सहकारी क्षेत्र में 19 हजार से अधिक किसानों के प्रामाणिक जैविक उत्पाद ‘भारत’ ब्रांड से ऑनलाइन बेचे जा रहे हैं जिनकी जांच दुनिया की सबसे आधुनिक प्रयोगशाला में की जाती है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने सहकारी चीनी मिलों की अरसे से लंबित आयकर की समस्या का समाधान किया। शाह ने कहा कि इस सरकार ने ‘श्वेत क्रांति -2’ के लिए लक्ष्य निर्धारित किए हैं । उन्होंने कहा कि देश में 2014-15 में प्रतिदिन दुग्ध उत्पादन 14.6 करोड़ टन होता था, जिसे 2023-24 में 24 करोड़ टन के स्तर पर पहुंचा दिया गया।
उन्होंने कहा कि 75 साल के दुग्ध उत्पादन के स्तर से हमने केवल 10 साल में 24 करोड़ टन के स्तर पर पहुंचा दिया और पिछले तीन साल में भारत दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश बन गया है। शाह ने कहा कि देश में सहकारी बीमा कंपनी आने वाले कुछ साल में देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी बन जाएगी।
उन्होंने त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी के संदर्भ में कहा कि यह गुजरात में स्थित होगा, लेकिन इसका कार्यक्षेत्र पूरे देश में होगा। उन्होंने कहा कि देश के हर राज्य में सहकारिता संस्थान पंजीकृत किये जाएंगे और इस क्षेत्र में प्रशिक्षित मानव संसाधन की जरूरत इसी संस्थान के माध्यम से पूरी होगी। शाह ने कहा कि विश्वविद्यालय बनने के बाद सहकारिता क्षेत्र में डिग्री, डिप्लोमा रखने वाले अभ्यर्थियों को ही इस क्षेत्र में नौकरी मिलेगी। उन्होंने कहा, ‘‘हमने पाठ्यक्रम डिजाइन करने का काम शुरू कर दिया है। इसमें डिग्री, डिप्लोमा दिया जाएगा।
यहां से पीएचडी भी की जा सकेगी। सप्ताह का प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम भी प्राप्त किया जा सकेगा।’’ उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय देश के सहकारिता क्षेत्र को अच्छे कर्मी देगा। शाह ने कहा कि सहकारिता के क्षेत्र में दुनियाभर को आश्चर्य चकित करने वाले और अमूल जैसी सबसे बड़ी सहकारी दुग्ध उत्पादक समिति की नींव रखने वाले त्रिभुवन दास पटेल के नाम पर विश्वविद्यालय का नाम रखने का विचार किया गया।
उन्होंने कहा कि 250 लीटर प्रतिदिन दुग्ध उत्पादन से विश्व में सबसे बड़े डेयरी ब्रांड बनने तक की अमूल की यात्रा त्रिभुवन दास पटेल की ही देन है। शाह ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी ने इस विश्वविद्यालय को यह नाम देकर त्रिभुवन दास पटेल को बहुत बड़ी श्रद्धांजलि दी है।’