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लोकसभा चुनाव: बिहार में महागठबंधन की करारी हार के बाद सहयोगी दलों के बीच किचकिच का दौर शुरू

By एस पी सिन्हा | Updated: May 24, 2019 17:34 IST

कांग्रेस ने जहां एक ओर हार का ठिकरा राजद और बाकी गठबंधन के दलों पर फोड़ा है. वहीं, राजद ने भी कांग्रेस को ही हार का कारण बताया है. बता दें कि बिहार में एनडीए ने 40 में से 39 सीटों पर जीत हासिल की है.

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ठळक मुद्देएक भी सीट नहीं जीती कुशवाहा की पार्टी उपेंद्र कुशवाहा केंद्र में मंत्री भी बनेबिहार में महागठबंधन के सहयोगी दल कांग्रेस ही केवल एक सीट जीतने में कामयाब हुई है

लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद महागठबंधन के सहयोगी दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप और किचकिच का दौर शुरू हो गया है. बिहार में महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी राजद का सूपड़ा साफ हो गया है. अब इस बडी हार के बाद महागठबंधन में रार शुरू हो गई है. 

कांग्रेस ने जहां एक ओर हार का ठिकरा राजद और बाकी गठबंधन के दलों पर फोड़ा है. वहीं, राजद ने भी कांग्रेस को ही हार का कारण बताया है. बता दें कि बिहार में एनडीए ने 40 में से 39 सीटों पर जीत हासिल की है.

बिहार में महागठबंधन के सहयोगी दल कांग्रेस ही केवल एक सीट जीतने में कामयाब हुई है. बाकी राजद समेत अन्य छोटे दल भी कोई कारनामा नहीं कर पाई है. वहीं, अब कांग्रेस खुलकर महागठबंधन के दलों से कह रही है कि उन्होंने कांग्रेस की अनदेखी की है इसलिए महागठबंधन को हार का सामना करना पड़ा है. 

बिहार में इस बार जिन नई पार्टियों ने भाग्य आजमाया उनमें मुख्य रूप से वीआईपी के बाद कुछ ऐसी पार्टियां भी हैं जो पिछले चुनाव में बडे जीत के साथ आगे बढ़ रही थीं. ऐसी पार्टी उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा है जिसने पिछली बार एनडीए से 3 सीटों पर चुनाव लड़ा था और तीनों पर जीत हासिल की थी. इस बार महागठबंधन में शामिल रालोसपा को 5 सीटों पर लडने का मौका मिला, लेकिन उनमें से एक पर भी उन्हें जीत नसीब नहीं हुई. 

ऐसे में अब यह सवाल उठने लगे हैं कि आखिर रालोसपा जैसी पार्टियों का अब क्या होगा? रालोसपा कार्यालयकुशवाहा के राजनीतिक भविष्य पर ग्रहणलोकसभा चुनाव के नतीजों ने छोटी पार्टियों के भविष्य पर ग्रहण लगा दिया है. इनमें से मुख्य रूप से हम, वीआईपी और रालोसपा जैसी पार्टियां हैं, जो महागठबंधन में इस बार बडे जीत का इंतजार कर रही थीं. रालोसपा पिछली बार 3 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और तीनों पर उन्हें जीत हासिल हुई थी. 

एक भी सीट नहीं जीती कुशवाहा की पार्टी उपेंद्र कुशवाहा केंद्र में मंत्री भी बने, लेकिन आखिरी वक्त में लोकसभा चुनाव से बिल्कुल पहले वे एनडीए छोडकर महागठबंधन में शामिल हो गए. महागठबंधन में रालोसपा पांच सीटों पर चुनाव लडी, लेकिन उसमें एक पर भी उन्हें सफलता हासिल नहीं हुई. खुद उपेंद्र कुशवाहा को भी काराकाट और उजियारपुर दोनों जगहों से हार का सामना करना पड़ा.

ऐसे में बिहार में महागठबंधन का हिस्सा और रालोसपा प्रमुख उपेन्द्र कुशवाहा ने हार के बाद प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हमलोगों से चूक हुई है. हम इस हार की समीक्ष महागठबंधन के नेताओं के साथ करेंगे. इसके साथ ही कुशवाहा ने कहा कि महागठबंधन के सभी लोगों को हार की जिम्मेदारी लेनी चाहिए न कि एक दूसरे पर कोई आरोप लगाना चाहिए. टिकट के बंटवारे पर कुशवाहा ने कहा कि हर जगह टिकट के बंटवारे में आरोप लगते हैं, लेकिन अब उस पर चर्चा का कोई मतलब नहीं है. हर पार्टी की मजबूरी होती है, जिसका ख्याल टिकट बंटवारे में रखना पडता है, लेकिन अब इस पर चर्चा और छीछालेदर की जरूरत नहीं है.

विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के सामने कौन है? इसके जवाब में कुशवाहा ने कहा कि हम सभी लोग इस विषय पर बैठ कर विचार करेंगे. तेजस्वी के नाम पर कुशवाहा ने कहा कि अभी इस विषय पर कुछ कहना उचित नहीं है और सब लोग मिलकर ही नाम तय करेंगे. कुशवाहा से जब एनडीए को छोडने को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मुझे एनडीए छोड़ने का कोई अफसोस नहीं है क्योंकि मैंने ये निर्णय सोंच समझकर लिया था.

उधर, बिहार कांग्रेस के विधायक दल के नेता सदानंद सिंह ने कहा कि कांग्रेस के साथ महागठबंधन के दलों ने अनदेखी की गई. सीट बंटवारे में भी नाइंसाफी की गई थी. इसलिए कांग्रेस को नजरअंदाज और नाइंसाफी की वजह से ही महागठबंधन को कडी शिकस्त मिली है. बिहार में महागठबंधन उम्मीदवारों के हारने के कारणों में आपसी तालमेल और टिकट बंटवारे में गड़बड़ी को बताया. साथ ही उन्होंने राजद के सामने सवाल उठाते हुए कहा है कि सीटों के तालमेल में जिद के कारण राजद ने अधिक सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसका खाता भी नहीं खुल पाया.

उन्होंने कहा कि राजद को इसका जवाब देना चाहिए. उन्होंने अगले साल होनेवाले बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को अकेले चुनाव लडने की भी बात कही. साथ ही कहा कि नतीजों से घबराने की जरूरत नहीं है. अपने लंबे राजनीतिक कॅरियर में आये उतार-चढ़ाव का जिक्र करते हुए कहा कि कांग्रेस बडी पार्टी है. उसे ही नेतृत्व करना चाहिए. लेकिन, ऐसा नहीं हो सका. 

जबकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद निखिल कुमार ने कहा कि कांग्रेस को किसी भी गठबंधन की जरूरत नहीं थी. उन्होंने कहा कि यह मेरा निजी विचार है कि आगे के चुनाव के लिए हमें किसी तरह के गठबंधन की जरूरत नहीं है. हमें अकेले चुनाव लडना चाहिए. हालांकि उन्होंने कहा कि इस पर विचार पार्टी करेगी. 

वहीं, कांग्रेस के इस बयान पर राजद नेता शिवानंद तिवारी ने कहा ने उल्टा हार का ठिकरा कांग्रेस पर फोड दिया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस को राष्ट्रीय स्तर पर लीड करना था. दिल्ली, यूपी कही भी वह समझौता नहीं कर पाए. राहुल गांधी अमेठी से चुनाव हार गए क्या वहां भी राजद से गठबंधन था. उन्होंने कहा कि कांग्रेस में ऐसे नेता हैं, जो अपने बयानों से अहंकार दिखाते हैं जिससे कांग्रेस की ऐसी हालत हो गई है.

शिवानंद तिवारी ने कहा कि सदानंद सिंह और निखिल कुमार से पूछना चाहिए की देश में कांग्रेस को जो हार मिली है. उसके लिए क्या राजद जिम्मेदार है. राजद नेता ने कांग्रेस नेता के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि हमारे सामने सवाल उठाने से पहले उन्हें मंथन करना चाहिए. उत्तर प्रदेश में गठबंधन में शामिल नहीं हो सके. दिल्ली में आम आदमी पार्टी से गठबंधन करने में भी नाकाम रहे. साथ ही कहा कि कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी अमेठी में भी चुनाव हार गये. उन्हें हार पर पहले मंथन करना चाहिए.

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