Lok Sabha elections 2024 Phase 7: मोदी-योगी मैजिक के सामने राहुल और अखिलेश, 13 सीट और 1 जून को वोटिंग, गोरखपुर और वाराणसी पर दुनिया की निगाह
By राजेंद्र कुमार | Updated: May 30, 2024 11:52 IST2024-05-30T11:48:48+5:302024-05-30T11:52:50+5:30
Lok Sabha elections 2024 Phase 7: सपा-कांग्रेस गठबंधन यानी राहुल और अखिलेश की जुगल जोड़ी की ताकत भी इसी चरण में परखी जाएगी.

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Lok Sabha elections 2024 Phase 7: उत्तर प्रदेश में सातवें चरण का मतदान साहित्य और आंदोलनों की जननी कही जाने वाली पूर्वांचल की धरती पर होना है. इस अंतिम चरण में गोरखपुर, महराजगंज, कुशीनगर, देवरिया, बांसगांव, घोसी, सलेमपुर, बलिया, गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, मिर्जापुर और रॉबर्ट्सगंज सहित 13 लोकसभा सीटों पर एक जून को मतदान होगा. इसमें गाजीपुर और घोसी को छोड़कर बाकी 11 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसकी सहयोगी अपना दल (एस) का कब्जा है. घोसी और गाजीपुर सीट बीते लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने जीती थी.
राहुल और अखिलेश की जुगल जोड़ी
इस सातवें चरण के चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरी बाद वाराणसी से चुनाव लड़ रहे हैं, इसलिए उनकी प्रतिष्ठा भी इस चरण में दांव पर लगी है. गोरखपुर मंडल की सीटों पर भी इसी चरण में वोट पड़ेंगे, ऐसे में सीएम योगी आदित्यनाथ के प्रभाव का इस चरण में आकलन होगा. इसके साथ ही सपा-कांग्रेस गठबंधन यानी राहुल और अखिलेश की जुगल जोड़ी की ताकत भी इसी चरण में परखी जाएगी.
भाजपा और विपक्ष के लिए बेहद अहम
बीते लोकसभा चुनाव में भाजपा ने इस चरण की 13 सीटों में से 11 पर चुनाव लड़कर 9 सीटों पर जीत हासिल की थी. जबकि उसकी सहयोगी अपना दल (एस) मिर्जापुर और रॉबर्ट्सगंज की सीट पर चुनाव लड़ी और जीती थी. इस बार भाजपा 10 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. जबकि उसकी सहयोगी अपना दल (एस) मिर्जापुर और रॉबर्ट्सगंज तथा गाजीपुर सीट पर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) ने अपना उम्मीदवार खड़ा किया. भाजपा के एक अन्य सहयोगी निषाद पार्टी के मुखिया संजय निषाद की प्रतिष्ठा भी इस चरण में दांव पर लगी हैं.
घोसी और गाजीपुर बसपा ने जीती थी
बीते चुनावों में घोसी और गाजीपुर बसपा ने जीती थी, लेकिन इस बार दोनों ही सीटों पर सपा और भाजपा मुख्य मुकाबले में हैं. राजनीति के जानकारों के अनुसार, यूपी में सातवें चरण की 13 लोकसभा सीटें भाजपा और विपक्षी गठबंधन के लिए बेहद अहम हैं. उन्हे अपनी झोली में डालने के लिए भाजपा और उसके सायोगी दलों ने कोई कोर कसर छोड़ी नहीं है.
इसके चलते ही यहां मंदिर, मजहब, आरक्षण, बेरोजगारी और महंगाई सरीखे मुद्दों की खूब चर्चा हुई लेकिन इस चरण की सभी 13 सीटों पर हर तरफ जाति के समीकरण हावी रहे हैं. परिणाम स्वरूप सातवें चरण के हर सीट में मतदाताओं पर जातीय अस्मिता का सवाल इतना छाया हुआ दिखा है और उसके सामने दूसरे मुद्दे गौड़ हो गए हैं.
इन सीटों पर सीएम योगी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी
सातवें चरण की 13 सीटों में छह सीटें गोरखपुर, बांसगांव, महराजगंज, कुशीनगर, देवरिया और सलेमपुर गोरखपुर मंडल का हिस्सा हैं. इस कारण से इस सीटों पर पार्टी के उम्मीदवार को जीतने की ज़िम्मेदारी सीधे सीएम योगी आदित्यनाथ के कंधों पर है. गोरखपुर सदर से सीएम योगी आदित्यनाथ विधायक हैं. जबकि गोरखपुर सीट से वह पांच बार देश की संसद में पहुंचे हैं.
बांसगांव में 1.53 लाख और सलेमपुर में 1.12 लाख वोटों से भाजपा उम्मीदवार को जीत मिली थी
ऐसे में सीएम योगी पर गोरखपुर मण्डल की सभी छह सीटें फिर से जिताने का दबाव है. बीते लोकसभा चुनावों में सपा और बसपा गठबंधन के बाद भी गोरखपुर, कुशीनगर, महाराजगंज में भाजपा की जीत का अंतर 3 लाख से अधिक था. जबकि देवरिया में लगभग 2.50 लाख, बांसगांव में 1.53 लाख और सलेमपुर में 1.12 लाख वोटों से भाजपा उम्मीदवार को जीत मिली थी.
भाजपा के मौजूदा सांसद रविंद्र कुशवाहा और रमाशंकर राजभर के बीच कड़ा मुकाबला
सूबे के राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भाजपा के मजबूत गढ़ में विपक्ष जातीय समीकरणों के भरोसे बहुत ही मुश्किल लड़ाई लड़ रहा है. इन छह सीटों में तीन पर सपा और तीन सीटों बांसगांव, देवरिया व महराजगंज में कांग्रेस लड़ रही है. कहा जा रहा है कि सलेमपुर में भाजपा के मौजूदा सांसद रविंद्र कुशवाहा और रमाशंकर राजभर के बीच कड़ा मुकाबला है.
जबकि कुशीनगर में भाजपा के विजय दुबे के मुकाबले सपा ने भाजपा नेता के बेटे अजय कुमार सिंह को उतारकर लड़ाई कठिन बना दी है. वही सपा से नाता तोड़ने के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य भी अपने नए दल राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के टिकट पर कुशीनगर से ही दावेदारी कर रहे हैं. उनका भी जनाधार यह सीट बताएगी.
बनारस के आसपास विपक्ष की घेराबंदी
सातवें चरण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी और उसके आस-पास की सात सीटों को जीतने के लिए मोदी मैजिक की जरूरत है. इन सीटों में से ही बीते लोकसभा चुनाव में भाजपा दो सीटें हारी थी और दो सीटों पर जीत का अंतर 16 हजार से कम था. कहा जा रहा है कि वाराणसी में पीएम मोदी के सामने कोई चुनौती नहीं हैं.
लेकिन बनारस के आसपास की सीटों पर इस बार सपा-कांग्रेस गठबंधन ने भाजपा की यहां मजबूत घेराबंदी की है. जिसके चलते ही घोसी सीट में सुभासपा मुखिया ओम प्रकाश राजभर की इज्जत और ताकत दांव पर लगी है क्योंकि उनके बेटे अरविंद राजभर इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.
अफजाल अंसारी और भाजपा के पारसनाथ राय में कांटे की टक्कर
बलिया सीट जिसे भाजपा पिछली बार महज 15 हजार वोटों से जीती थी पर भी इस बार पूर्व पीएम चंद्रशेखर के बेटे के खिलाफ सपा ने सनातन पांडेय को खड़ा कर मुक़ाबला कांटे का बना दिया है. गाजीपुर में सपा के टिकट पर उतरे मौजूदा सांसद अफजाल अंसारी और भाजपा के पारसनाथ राय में कांटे की टक्कर हो रही है.
चंदौली से पिछली बार महज 13 हजार वोटों से जीतने वाले केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय भी सपा के वीरेंद्र सिंह से कठिन लड़ाई लड़ रहे हैं. वही राजा भैया के विरोध के बीच अपना दल (एस) की मुखिया अनुप्रिया पटेल के सामने मिर्जापुर में हैट्रिक लगाने व रॉबर्ट्सगंज से अपनी पार्टी की जीत बरकरार रखने की चुनौती है. क्योंकि अखिलेश और राहुल की जोड़ी ने सातवें चरण के मुक़ाबले को रोचक बना दिया है. इन दोनों की दोस्ती कितना पावरफुल है, इसकी परीक्षा भी इस चरण में होगी.

