पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जदयू ने बुधवार को घोषणा की कि लोकसभा चुनाव के बाद एनडीए सरकार सत्ता में लौटी तो केंद्र से अपील करेगी कि राजद अध्यक्ष लालू यादव जैसे नेताओं की "अवैध कमाई" और जमीन को जब्त करने के लिए नया कानून बनाए।
जदयू की ओर से यह तान इस कारण से छेड़ी गई है क्योंकि लालू यादव पहले से ही जमीन के बदले नौकरी घोटाले के सिलसिले में कानूनी शिकंजे में फंसे हैं।
समाचार वेबसाइट टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने बीते बुधवार को कहा, "हमारी पार्टी नई एनडीए सरकार पर सत्ता में लौटने पर राजद अध्यक्ष लालू की गलत तरीके से कमाई गई जमीन को जब्त करने के लिए एक नया कानून बनाने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाएगी।"
उन्होंने कहा, "हमारी सरकार बनेगी तो हम यह काम करेंगे औऱ लालू यादव की अवैध संपत्ति जब्त होगी।"
नीतीश के बहुत करीबी माने जाने वाले नीरज ने कहा, "जहां तक हमें पता है लालू यादव के पास अकेले पटना में 43 बीघे जमीन है। आखिर यह जमीन उनके पास कैसे रखे हुए हैं?"
उन्होंने कहा कि सरकार या तो वृद्धाश्रम खोलेगी या पिछड़े वर्ग के भूमिहीन लोगों के बीच जमीन वितरित करेगी।
कुमार के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राजद ने कहा कि लालू प्रसाद के परिवार की संपत्ति पहले से ही सार्वजनिक डोमेन में है और वे "बेनामी संपत्ति" नहीं हैं। लेकिन, नीरज कुमार जैसे लोगों के बारे में क्या, जिनके पास पूर्णिया के एक प्रमुख होटल में बड़ी हिस्सेदारी है, जिनके पास पूर्णिया में 250 एकड़ जमीन है और जिन्होंने मॉरीशस में संपत्ति हासिल की है?
राजद के मुख्य प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने कुछ जदयू नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा, "हमारी इंडिया ब्लॉक सरकार सत्ता में आने के बाद स्पष्ट रूप से ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेगी।”
यादव ने कहा कि एनडीए, जिसका जदयू हिस्सा है। वो ऐसा बयान इसलिए जारी कर रहा है क्योंकि वे लोकसभा चुनाव हारने के डर से घबरा गया है।
उन्होंने दावा किया, ''जो लोग लालू को धमकियां दे रहे हैं, वे जल्द ही नीतीश को छोड़ देंगे।'' उन्होंने पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव की बात दोहराते हुए कहा कि बिहार की राजनीति में ''4 जून के बाद भारी बदलाव'' आएगा।
हालांकि, मुख्यमंत्री के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल में नीतीश कुमार भ्रष्ट अधिकारियों की गलत कमाई को जब्त करने के लिए एक कठोर कानून लेकर आए थे। उनका वादा तब हकीकत में बदल गया जब राज्य सरकार ने सितंबर 2011 में भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे वरिष्ठ आईएएस अधिकारी शिव शंकर वर्मा के जब्त किए गए आलीशान घर में वंचित बच्चों के लिए एक स्कूल खोल दिया। पूर्व लघु सिंचाई सचिव वर्मा की आय के ज्ञात स्रोत से 1.44 करोड़ रुपये अधिक हैं।
राज्य सरकार ने एक और वरिष्ठ सरकारी अधिकारी रघुवंश कुँवर के जब्त बंगले में एक अनाथालय खोला है। उसके बाद राज्य सरकार ने बिहार के पूर्व डीजीपी नारायण मिश्रा का बंगला और पटना जिला मजिस्ट्रेट के कार्यालय में सहायक गिरीश कुमार की तीन मंजिला इमारत को भी जब्त कर लिया है, जिसे बाद में विशेष रूप से विकलांग बच्चों के लिए एक स्कूल और आवासीय में बदल दिया गया।