लोकसभा चुनाव 2019ः गुजरात में राजस्थानी प्रचारक बनेंगे मददगार
By महेश खरे | Published: April 5, 2019 08:54 AM2019-04-05T08:54:22+5:302019-04-05T08:54:22+5:30
गुजरात में राजस्थानी प्रचारक बनेंगे मददगार, 23 को मतदान के बाद लौटेंगी कार्यकर्ताओं की टोलियां
चुनाव में गुजरात और राजस्थान एक दूसरे के मददगार बनते रहे हैं और इस बार लोकसभा चुनाव में भी बनेंगे. पिछले चुनावों में भी दोनों राज्यों के दलीय प्रतिबद्धता से बंधे कार्यकर्ता और नेताओं ने सियासी रिश्तेदारी निभाई है. चाहे कांग्रेस हो या भाजपा राजस्थानी नेताओं का गुजरात की सियासत में खासा प्रभाव रहा है. 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव की बात करें तो कांग्रेस की चुनावी रणनीति की कमान राजस्थान कांग्रेस के बड़े चेहरे अशोक गहलोत के हाथ में रही. तब गहलोत कांग्रेस महासचिव और गुजरात के प्रभारी थे.
उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने लगातार चुनावी पराजय की हताशा से उबरकर भाजपा को कड़ी टक्कर दी. अब गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री हैं. बीते वषार्ें में गुजरात भाजपा की राजनीतिक कमान भी राजस्थान के नेता के ही हाथ में रही है. मारवाड़ भाजपा के प्रभावी नेता ओम माथुर गुजरात भाजपा के प्रभारी रहे हैं. आज भी गुजरात ही नहीं राजस्थान की राजनीति में उनका प्रभाव और वर्चस्व है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी ओम माथुर की गुजरात चुनाव के प्रत्याशी चयन से लेकर चुनावी रणनीति बनाने में दखल इस बार भी रहा. विधायक, मंत्रियों के होंगे दौरे नामांकन की अंतिम तारीख गुजरने के बाद प्रत्याशियों की स्थिति स्पष्ट होने के साथ ही अब चुनाव प्रचार अपनी रफ्तार पकड़ेगा. इसके साथ ही गुजरात में बसे राजस्थानी प्रवासियों को अपने अपने पक्ष में साधने के लिए राजस्थानी नेताओं के दौरे शुरू हो जाएंगे. कांग्रेस और भाजपा के कुछ नेता अपनी पार्टी के पक्ष में प्रचार दौरे कर भी चुके हैं.
पिछली बार से ज्यादा का है लक्ष्य गुजरात में 23 अप्रैल को मतदान है. इसके बाद राजस्थानी प्रवासी राजस्थान में अपने गृहनगरों के लिए रवाना हो जाएंगे और वहां अपने पसंदीदा प्रत्याशियों के प्रचार में जुट जाएंगे. राजस्थान में हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों के समय अकेले सूरत से शेखावाटी, मारवाड़ आदि इलाकों के लिए 40 बसों से प्रवासी रवाना हुए थे. ट्रेन से भी बड़ी संख्या में टोलियां राजस्थान पहुंची थी. इस बार ज्यादा बसों का लक्ष्य रखा गया है.
दक्षिण गुजरात सहित हीरा और कपड़ा नगरी के नाम से पहचाने जाने वाले सूरत में राजस्थानी वोटरों का वर्चस्व है. सूरत के कई क्षेत्रों में लघु राजस्थान के दर्शन होते हैं. कपड़ा व्यापार में तो राजस्थानी व्यापारियों का दबदबा है. इस इलाके में करीब 15 लाख राजस्थानी हैं. सूरत जिले की 4 से 5 सीटों पर राजस्थानी वोटर निर्णायक है. अहमदाबाद, बड़ौदा, भावनगर समेत उत्तर और मध्य गुजरात के नगरों में भी राजस्थानियों की काफी आबादी है. सूरत से सटे दो संघ प्रदेशों दमन और दादरा नगर हवेली में भी राजस्थानियों की बड़ी संख्या है.