लोकसभा चुनाव 2019: राफेल पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हुआ तो ठंडा पड़ा मुद्दा फिर से चर्चा में आ गया!
By प्रदीप द्विवेदी | Published: April 11, 2019 04:18 PM2019-04-11T16:18:25+5:302019-04-11T16:18:25+5:30
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने कहा था कि- याचिकाकर्ताओं ने विशेष दस्तावेज गैरकानूनी तरीके से प्राप्त किए गए और 14 दिसम्बर, 2018 के फैसले को चुनौती देने के लिए इसका उपयोग किया गया.
सुप्रीम कोर्ट ने राफेल सौदे से संबंधित कुछ नए दस्तावेजों को आधार बनाये जाने पर केंद्र की प्रारंभिक आपत्ति को अस्वीकार कर दिया है, जिन पर केंद्र सरकार ने विशेषाधिकार का दावा किया था. इसके बाद कुछ समय से ठंडा पड़ा राफेल मुद्दा एक बार फिर चर्चा में आ गया.
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट किया- राफेल इतना बड़ा मुद्दा है, जिसका जवाब देश मांगता है, लेकिन न प्रधानमंत्री जी जवाब दे रहे हैं, न रक्षा मंत्री दे रहे हैं, घुमा-फिरा कर बात जरूर कर रहे हैं. जिस रूप में माननीय सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है, मैं उसका स्वागत करता हूँ. उम्मीद है कि जो आरोप लग रहे हैं, उनकी तह तक माननीय सुप्रीम कोर्ट जाएगा और देश को जानकारी मिलेगी कि वास्तव में क्या स्थिति है, देश हित में क्या होना चाहिए था और क्या हुआ है.
लेकिन, राजस्थान के प्रमुख बीजेपी नेता इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहे हैं. वैसे भी विस चुनाव के बाद से ही राजस्थान में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सहित प्रदेश स्तर के कोई बड़े नेता, लंबे समय से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के आक्रमक बयानों पर कोई जवाब नहीं दे रहे हैं. मतलब, इस वक्त राजस्थान में प्रदेश स्तर पर जहां कांग्रेस की ओर से गहलोत और पायलट आक्रामक मोर्चा संभाले हैं, वहीं बीजेपी में केवल नरेन्द्र मोदी के नाम पर ही सारी सियासत फोकस है और विरोध के नाम पर विपक्ष की ओर से केवल रस्म अदायगी चल रही है.
उल्लेखनीय है कि कोर्ट में केंद्र ने कहा था कि- याचिकाकर्ताओं ने विशेष दस्तावेज गैरकानूनी तरीके से प्राप्त किए गए और 14 दिसम्बर, 2018 के फैसले को चुनौती देने के लिए इसका उपयोग किया गया.
इस संबंध में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एसके कौल और न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की एक पीठ का कहना था कि- हम केन्द्र द्वारा समीक्षा याचिका की स्वीकार्यता पर उठाई गई प्रारंभिक आपत्ति को खारिज करते हैं.
सियासी सारांश यही है कि- लोस चुनाव के नतीजों के बाद ही यह साफ होगा कि राजस्थान के बीजेपी नेताओं का यह सियासी रूख पार्टी को मिशन- 25 में कितनी कामयाबी दिला पाता है.