इंफाल: लोकसभा के चुनाव परिणाम मंगलवार को घोषित हुए और भाजपा को पूर्वोत्तर के राज्यों में सबसे भारी झटका मणिपुर में लगा, जहां के चुनाव परिणामों में कांग्रेस ने आंतरिक और बाहरी मणिपुर के दोनों निर्वाचन क्षेत्रों में भाजपा को मात देते हुए निर्णायक जीत हासिल की। मणिपुर हिंसा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी का भारी असर भाजपा के प्रदर्शन पर पड़ा है।
मणिपुर के चुनाव परिणामों की बात करें तो कांग्रेस के अंगोमचा बिमोल अकोइजाम और अल्फ्रेड कान-नगम ने आंतरिक और बाहरी मणिपुर संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में जीत हासिल की। उन्होंने भाजपा-नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी)-नागा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) गठबंधन के थौनाओजम बसंत कुमार सिंह और कच्चुई टिमोथी जिमिक को सीधे मुकाबले में हराया।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर बिमोल, सत्तारूढ़ भाजपा का विकल्प तलाश रहे कई मतदाताओं के पसंदीदा उम्मीदवार थे। प्रोफेसर बिमोल ने कुल 7,89,912 वोटों में से 3,74,017 वोट हासिल किए। राज्य ने बीत लगभग एक साल के अशांत माहौल में कांग्रेस के प्रत्याशियों पर अपना भरोसा जताया है और भाजपा को पूरी तरह नकार दिया है।
आउटर मणिपुर में आर्थर की जीत उन्हें 1957 में रुंगसुंग सुइसा की जीत के बाद लोकसभा चुनाव जीतने वाले तीसरे तांगखुल नागा के रूप में चिह्नित करती है। 50 वर्षीय पूर्व विधायक ने एनपीएफ के जिमिक को 60,000 से अधिक वोटों से हराया।
वहीं आंतरिक सीट के अन्य उम्मीदवारों में आरपीआई (अठावले) के महेश्वर थौनाओजम, स्वतंत्र उम्मीदवार मोइरंगथेम टोटोमसाना, राजकुमार सोमेंद्र सिंह और हाओरुंगबाम शरत शामिल हैं।
आउटर मणिपुर में कांग्रेस उम्मीदवार आर्थर ने कुल 7,89,793 वोटों में से 3,84,954 वोट हासिल कर जीत हासिल की। मतगणना के दिन अपना 51वां जन्मदिन मनाते हुए आर्थर ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी, एनपीएफ के कचुई टिमोथी ज़िमिक को हराया, जिन्होंने 2,99,536 वोट हासिल किए।
सभी चार नागा उम्मीदवारों ने बाहरी मणिपुर सीट से चुनाव लड़ा, जिनमें स्वतंत्र उम्मीदवार एस खो जॉन और एलिसन अबोनमई शामिल थे।