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Lok Sabha Election Results 2024: अखिलेश यादव ने रोका भाजपा का बहुमत रथ, लोकसभा सीटों के लिहाज से सपा बनी यूपी की नंबर वन पार्टी, देश में तीसरे पायदान पर

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: June 5, 2024 08:20 IST

लोकसभा चुनाव 2024 में समाजवादी पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी के अपराजय होने का भ्रम तोड़ते हुए उसे बहुमत के आंकड़े यानी 272 की संख्या से काफी पीछे धकेलते हुए 240 सीटों पर रोक दिया है।

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ठळक मुद्देलोकसभा चुनाव 2024 में अखिलेश यादव की सपा ने भाजपा के अपराजय होने का भ्रम तोड़ दिया हैसपा ने भाजपा को बहुमत के आंकड़े 272 की संख्या से काफी पीछे धकेलते हुए 240 रोकासपा उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 37 सीटें अपने नाम करके देश में तीसरे स्थान पर है

लखनऊ: लोकसभा चुनाव 2024 में समाजवादी पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी के अपराजय होने का भ्रम तोड़ते हुए उसे बहुमत के आंकड़े यानी 272 की संख्या से काफी पीछे धकेलते हुए 240 सीटों पर रोक दिया है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 के बाद सूबे की सत्ता से बेदखल होने वाले सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव 2024 में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 37 सीटें अपने नाम करके सियासी जानकारों को हैरान कर दिया है।

समाचार वेबसाइट हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार देश के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य यूपी में सपा ने सत्तारूढ़ भाजपा को 2019 में मिले 62 सीटों से घटाकर 33 सीटों पर ला दिया। भाजपा और कांग्रेस के बाद सपा देश में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

उत्तर प्रदेश में इंडिया ब्लॉक का नेतृत्व कर रहे अखिलेश यादव और उनकी पार्टी ने राष्ट्रीय स्तर पर सत्तारूढ़ भाजपा को सबसे बड़ा झटका दिया, क्योंकि इंडिया ब्लॉक ने एसपी-कांग्रेस गठबंधन के साथ 43 सीटें जीतकर एनडीए को काफी पीछे छोड़ दिया। राज्य में एनडीए को कुल 36 सीटें हासिल हुई हैं।

2024 में समाजवादी पार्टी की स्ट्राइक रेट बड़ी पार्टियों में सबसे ज्यादा है क्योंकि उसने जिन 62 सीटों पर चुनाव लड़ा था उनमें से 37 पर जीत हासिल की थी, जबकि बीजेपी उत्तर प्रदेश में लड़ी गई 76 सीटों में से केवल 33 पर ही जीत हासिल कर सकी है।

देश के सभी राजनीतिक दलों के बीच सपा ने 2019 में अपनी पांच सीटों की संख्या से सात गुना वृद्धि के साथ सबसे बड़ी छलांग लगाई। साल 2004 में जब सपा ने लोकसभा की 35 सीटें जीतीं तो उसके संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने उत्तर प्रदेश में सरकार का नेतृत्व किया। अब सात साल तक राज्य की सत्ता से बाहर रहने के बावजूद पार्टी को यह बड़ी सफलता मिली है।

मतदान प्रतिशत के अनुसार, उत्तर प्रदेश में 2019 के लोकसभा चुनावों में 18.11 फीसदी के मुकाबले 2024 में एसपी को 33.59 फीसदी वोट शेयर हासिल हुआ। साल 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में, एसपी का वोट शेयर 32.1 फीसदी था और सीटों की संख्या 2017 में 47 से बढ़कर 111 हो गई, जिसने 2024 के प्रदर्शन की नींव रखी।

2022 के चुनावों में सपा ने गैर-यादव ओबीसी+यादव+दलित+मुसलमानों के जातीय गठबंधन को एक साथ जोड़ने के लिए अपने एमवाई (मुस्लिम-यादव) वोट बैंक से आगे विस्तार करना शुरू कर दिया।

2024 के चुनावों के लिए इस फॉर्मूले को बरकरार रखते हुए अखिलेश ने इसे पीडीए नाम दिया - पिछड़ा (यादव और गैर-यादव सहित पिछड़े), दलित और अल्पसाख्यक (अल्पसंख्यक, बड़े पैमाने पर मुस्लिम)। जाति जनगणना की मांग के साथ पीडीए फॉर्मूले को मजबूत करते हुए उन्होंने जून में राज्य भर में पीडीए-जाति जनगणना बस यात्रा शुरू की।

अखिलेश यादव ने भाजपा के हिंदुत्व और राम मंदिर के जवाब में जाति कार्ड खेलकर पार्टी के एजेंडे, अभियान और यहां तक ​​कि पीडीए और जाति जनगणना के आसपास पुनर्गठन और टिकट वितरण योजना को भी बढ़ावा दिया।

जब इंडिया ब्लॉक का गठन हुआ तो शुरू से ही अखिलेश ने इसे अपनी पसंद के अनुरूप पाया, लेकिन इस शर्त के साथ कि किसी राज्य की सबसे मजबूत पार्टी को वहां गठबंधन का नेतृत्व करना चाहिए।

इंडिया ब्लॉक के सीट-बंटवारे में कुछ उतार-चढ़ाव वाले क्षणों के बावजूद, अखिलेश अड़े रहे और अंततः 62 सीटें एसपी के पास रखीं और 17 कांग्रेस और एक तृणमूल कांग्रेस को दी। उस समय तक कांग्रेस ने भी जाति जनगणना की मांग उठा ली थी।

2024 के चुनावों से पहले, सपा ने अपनी राष्ट्रीय और राज्य कार्यकारिणी का पुनर्गठन किया, जिसमें अधिकांश पद गैर-यादव ओबीसी, दलितों, मुसलमानों और यादवों को दिए गए। 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए टिकट वितरण में भी पार्टी इसी फॉर्मूले पर चली। सपा ने जिन 62 सीटों पर चुनाव लड़ा, उनमें से 27 गैर-यादव ओबीसी, पांच यादव (एसपी के सभी यादव परिवार के सदस्य), 15 दलित, चार मुस्लिम और 11 उच्च जाति के नेताओं को टिकट दिए।

सपा द्वारा पांच यादवों को मैदान में उतारने और उनमें से सभी अखिलेश यादव के परिवार से होने पर भाजपा की तमाम आलोचना के बावजूद यह फॉर्मूला काम कर गया। यादव परिवार में खुद अखिलेश यादव कन्नौज से, उनकी पत्नी डिंपल यादव मैनपुरी से, उनके चचेरे भाई अक्षय यादव फिरोजाबाद से, आदित्य यादव बदायूं से और धर्मेंद्र यादव ने आजमगढ़ से अपनी सीटें जीती हैं।

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