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बेगूसराय सीट बनती जा रही है BJP के लिए भी गले की हड्डी, जानिए क्या फंसा है पेंच

By एस पी सिन्हा | Updated: March 26, 2019 06:08 IST

गिरिराज सिंह भाजपा के बिहार प्रभारी भूपेन्द्र यादव और प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय से बेहद नाराज हैं. बताया जाता है कि उनकी नाराजगी इस बात को लेकर है कि अगर भूमिहार के नाते उन्हें बेगूसराय भेजा जा रहा है, तो  हिंदू के नाते उन्हें अररिया से ही प्रत्याशी क्यों नहीं बनाया गया?

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बिहार की बेगूसराय लोकसभा सीट इन दिनों खासी चर्चा में हैं. दरअसल, भाजपा के फायर ब्रांड नेता व केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह नवादा से बेगूसराय जाना नही चाहते हैं. कहा तो जा रहा है कि जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार से टक्कर लेने में उन्हें परेशानी महसूस होने लगी है. कन्हैया ने पिछले एक साल में अपनी जमीन को और पुख्ता कर लिया है और भूमिहार वर्ग के लोगों में भी उसका अच्छा खासा प्रभाव हो गया है.

वैसे नवादा से बेगूसराय शिफ्ट किये जाने से गिरिराज सिंह सिर्फ आहत हीं नहीं हैं बल्कि शीर्ष नेतृत्व के इस फैसले के वह इस हद तक खिलाफ हैं कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व और प्रदेश नेतृत्व द्वारा खुद को अपमानित करने का भी आरोप लगा रहे हैं. गिरिराज सिंह ने अपनी सीट शिफ्टिंग को अपना अपमान माना है और अपने स्वाभिमान पर हमला माना हैं. 

गिरिराज सिंह भाजपा के बिहार प्रभारी भूपेन्द्र यादव और प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय से बेहद नाराज हैं. बताया जाता है कि उनकी नाराजगी इस बात को लेकर है कि अगर भूमिहार के नाते उन्हें बेगूसराय भेजा जा रहा है, तो  हिंदू के नाते उन्हें अररिया से ही प्रत्याशी क्यों नहीं बनाया गया?

गिरिराज सिंह का कहना है कि जब किसी भी केंद्रीय मंत्री की सीट नहीं बदली गई तो उनके साथ पार्टी ऐसा क्‍यों किया गया? उन्‍होंने कहा कि यदि ऐसा करना भी था तो उन्‍हें विश्‍वास में लेना चाहिए था. वहीं, सूत्रों की अगर मानें तो भाजपा ने जब गिरिराज सिंह को नवादा से बेगूसराय भेजने का फैसला किया तो गिरिराज सिंह को विश्वास में नहीं लिया और गिरिराज सिंह की नाराजगी की वजह यही है कि उनके कद को इतना छोटा कर दिया गया कि इतने बड़े फैसले लेने से पहले उन्हे इस लायक भी नहीं समझा गया कि पार्टी उन्हें नवादा से बेगूसराय भेजे जाने की वजह बताए. 

सूत्रों के अनुसार गिरिराज सिंह अब जिद पर हैं कि शीर्ष नेतृत्व ने उनके साथ ऐसा क्यों किया और सीट बदलने से पहले उन्हें भरोसे में क्यों नहीं लिया इसका जबाब भाजपा नेतृत्व को देना होगा और अगर जवाब नहीं मिला तो वे चुनाव नहीं लडेंगे. गिरिराज सिंह ने साफ कहा है कि अगर पार्टी ने उनसे बात की होती तो वे खुशी-खुशी नवादा से बेगूसराय चले जाते, लेकिन बिना पूछे फैसला लेकर उनके स्वाभिमान को चोट पहुंचाई गई है. 

वहीं वजह यह भी है कि जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार यहां से लेफ्ट पार्टी के उम्मीदवार हैं. फिर महागठबंधन ने न तो लेफ्ट पार्टी को जगह दी और न हीं कन्हैया को स्वीकार किया, इसलिए बेगूसराय में मुकाबला त्रिकोणीय होने वाला है, अगर गिरिराज सिंह चुनाव मैदान में होंगे और राजद के तनवीर हसन भी चुनाव लड़ेंगे और इन दोनों को कड़ी टक्कर देंगे कन्हैया. ऐसे में कन्हैया को कम आंकना गिरिराज सिंह के लिए भारी पड़ सकता है. 

लेफ्ट पार्टी की ओर से कन्‍हैया कुमार को खड़ा करने से इस सीट पर मुकाबला और पेचीदा हो गया है. वहीं दूसरी ओर बेगूसराय सीट से टिकट देना अब भाजपा के लिए भी गले की हड्डी बनती जा रही है. 

यहां बता दें कि पिछले लोकसभा चुनाव में गिरिराज सिंह नवादा सीट से जीतकर संसद पहुंचे थे. लेकिन इस बार एनडीए गठबंधन के फॉर्मूले के तहत नवादा की सीट लोजपा के खाते में चली गई है. ऐसे में पार्टी ने गिरिराज सिंह की सीट को बदलकर बेगूसराय से उन्‍हें टिकट दी गई है. लेकिन गिरिराज सिंह बेगूसराय से लड़ने के लिए राजी नहीं है.

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