पटना:बिहार में इंडिया गठबंधन में सीट बंटवारे का पेंच फंसा हुआ है। राजद ने कांग्रेस को सीधे चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर जो सीटें दी जा रही हैं अगर वह मंजूर नहीं हैं तो आप अपना फैसला लेने के लिए आजाद हैं। सूत्रों के मुताबिक राजद ने कांग्रेस को समस्तीपुर, सासाराम, पटना साहिब, मुजफ्फरपुर, मधेपुरा और किशनगंज सीट देने का मन बनाया है।
जबकि कांग्रेस 9 सीट से पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है। ऐसे में राजद की ओर से कांग्रेस के नेताओं को साफ-साफ कह दिया गया है कि अगर आपको ये सीटें मंजूर नहीं है तो आप अपने मन मुताबिक चुनाव मैदान में जाने के लिए आजाद हैं।
राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने पटना में मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी जरूरत से ज्यादा सीटों की मांग कर रही है, जिसकी वजह से सीट बंटवारे में दिक्कत सामने आ रही है। महागठबंधन में राजद बड़े भाई की भूमिका में है और उसकी ताकत के सहारे महागठबंधन को निकलना है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस बिहार में अपनी क्षमता से ज्यादा लोकसभा सीटें मांग रही हैं। कांग्रेस को राजद के मजबूत कंधों के सहारे ही चुनाव में सफलता मिलनी है। शिवानंद तिवारी ने कहा कि बिहार में कांग्रेस पार्टी का आधार कमजोर है। इसलिए उन्हें अपनी क्षमता के अनुसार ही लोकसभा सीटें मांगनी चाहिए। राजद के कंधे पर ही महागठबंधन को जीत दिलाने की जिम्मेदारी है।
लिहाजा कांग्रेस अपने जनाधार को देखकर ही सीट मांगे तो बेहतर होगा। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस और राजद में सीट बंटवारे का सबसे पहले पेच औरंगाबाद, बेगूसराय, कटिहार और पूर्णिया को लेकर फंसा है। कांग्रेस ने जहां-जहां दबाव बनाया, लालू यादव ने बिना सीट बंटवारे का अपना उम्मीदवार उतार दिया।
जिसमें कांग्रेस औरंगाबाद में निखिल कुमार को उतारने की तैयारी कर रही थी। उससे पहले लालू यादव ने औरंगाबाद में अपने सिंबल पर अभय कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया। फिर कांग्रेस बेगूसराय से कन्हैया कुमार को चुनाव लड़ाना चाहती थी। उससे पहले लालू यादव ने यह सीट भाकपा को दे दिया।
वहीं, पप्पू यादव ने अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने के लिए किया। उससे पहले पूर्णिया सीट पर भी राजद ने बीमा भारती को अपना उम्मीदवार बना दिया। कटिहार सीट से कांग्रेस तारिक अनवर को चुनाव लड़ाना चाहती है, लेकिन जानकारी के मुताबिक राजद और भाकपा-माले के बीच जल्द ही समझौता हो जाएगा।
यह सीट राजद या भाकपा-माले दोनों में से किसी एक के खाते में जाएगी। ऐसे में अब कांग्रेस के सामने इन सीटों को लेने का अलावा कोई और चारा नही है। ऐसे में कांग्रेस को अकेले चलने की राह अपनानी पड़ सकती है। इसतरह बिहार में महागठबंधन में पेंच फंसा हुआ है।