Lok Sabha Election 2024: फूलपुर सीट से अखिलेश सिंह के कंधे के बगैर नीतीश नहीं कर सकते हैं फीलगुड, संसद में जाना आसान नहीं

By एस पी सिन्हा | Updated: August 4, 2023 15:41 IST2023-08-04T15:41:36+5:302023-08-04T15:41:36+5:30

सियासत के जानकारों के अनुसार अगर नीतीश कुमार को समाजवादी पार्टी का खुलकर साथ मिला तो भाजपा के लिए मुश्किल पेश आ सकती है। दरअसल, फूलपुर सीट कुर्मी जाति बहुल है और इस जाति का अब तक आठ बार कब्जा रह चुका है।

Lok Sabha Election 2024: Nitish cannot do without Akhilesh Singh's shoulder from Phulpur seat, it is not easy to go to Parliament | Lok Sabha Election 2024: फूलपुर सीट से अखिलेश सिंह के कंधे के बगैर नीतीश नहीं कर सकते हैं फीलगुड, संसद में जाना आसान नहीं

Lok Sabha Election 2024: फूलपुर सीट से अखिलेश सिंह के कंधे के बगैर नीतीश नहीं कर सकते हैं फीलगुड, संसद में जाना आसान नहीं

Highlightsनीतीश कुमार को सपा का खुलकर साथ मिला तो भाजपा के लिए मुश्किल पेश आ सकती हैउत्तर प्रदेश की फूलपुर सीट कुर्मी जाति बहुल हैइस जाति का अब तक आठ बार कब्जा रह चुका है

पटना: उत्तर प्रदेश की "फूलपुर" संसदीय सीट के नाम पर भले ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार "फीलगुड" कर रहे हों, लेकिन उत्तर प्रदेश के किसी भी सीट से उनके लिए राह आसान नही दिख रहा है। इसका कारण यह है कि उत्तर प्रदेश में जदयू का हाल बहुत बुरा है। जदयू नाम की कोई पार्टी धरातल पर दिखाई नहीं देती है। हालांकि बिहार से जदयू के नेता वहां जाकर पार्टी को धरातल पर लाने का प्रयास जरूर करते हैं, लेकिन वहां मौसमी नेताओं के सहारे ही पार्टी का काम चल रहा है। ऐसे में नीतीश कुमार को चुनाव जीतने के लिए अखिलेश सिंह के कंधे की जरूरत पड़ेगी। अखिलेश सिंह के कंधे के बगैर नैया पार लगना मुश्किल होगा।

सियासत के जानकारों के अनुसार अगर नीतीश कुमार को समाजवादी पार्टी का खुलकर साथ मिला तो भाजपा के लिए मुश्किल पेश आ सकती है। दरअसल, फूलपुर सीट कुर्मी जाति बहुल है और इस जाति का अब तक आठ बार कब्जा रह चुका है। इसके साथ एक तथ्य यह भी है कि फूलपुर कांग्रेस के साथ समाजवादियों का भी गढ़ रहा है। 1962 में राममनोहर लोहिया यहां नेहरू के सामने लड़े थे। जनेश्वर मिश्र एवं पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह भी जीत चुके हैं। लेकिन जवाहरलाल नेहरू का बैकग्राउंड प्रयागराज (इलाहाबाद) से रहा था। जबकि वीपी सिंह भी उत्तर प्रदेश के राजा परिवार से आते थे। ऐसे में समाजवाद का झंडा बुलंद करने वाली सपा फैक्टर इस बार भी बड़ा कारगर साबित हो सकता है। 

जानकारों के अनुसार नीतीश कुमार ने अपनी अगुआई में पहली दफे 2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जदयू ने सारी ताकत लगाकर 403 सीटों में से 219 पर उम्मीदवार उतारा था। उसवक्त बिहार के तमाम जदयू विधायकों, विधान पार्षदों, सांसदों के साथ साथ छोटे-बड़े सारे नेताओं को महीने भर के लिए उत्तर प्रदेश में लगा दिया गया था। खुद नीतीश कुमार कई जगहों पर प्रचार करने गए थे। लेकिन चुनाव परिणाम ने नीतीश कुमार के हसीन सपनों को चकनाचूर कर दिया था। 219 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली जदयू एक भी सीट पर जमानत तक नहीं बचा पाई थी। जदयू के उम्मीदवार को 200-300 वोट आये थे। कुल मिलाकर 0.36 फीसदी वोट मिले थे। यानि आधा फीसदी वोट भी नहीं मिल पाया था। 

2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जदयू ने कुल 27 सीटों पर उम्मीदवार उतारा था। लेकिन 27 में से 26 सीट पर जमानत जब्त हो गई। सिर्फ एक सीट पर जमानत इसलिए बच पाई क्योंकि उत्तर प्रदेश के कुख्यात माफिया धनंजय सिंह को जदयू ने टिकट दिया था। धनंजय सिंह पहले भी दो टर्म विधायक के साथ साथ सांसद रह चुके हैं। धनंजय सिंह की अपनी व्यक्तिगत पकड़ के कारण उत्तर प्रदेश की मल्हनी सीट पर जदयू की जमानत बच गई। बाकी सारे सीटों पर हजार वोट भी नही आ पाये थे। 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जदयू को कुल मिलाकर 0.11 फीसदी वोट मिले थे। ऐसे में नीतीश कुमार को अपने बल पर फूलपुर सीट से फूल का सुगंध मिल पाना मुश्किल ही नही नामुमकिन है।

Web Title: Lok Sabha Election 2024: Nitish cannot do without Akhilesh Singh's shoulder from Phulpur seat, it is not easy to go to Parliament

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