लोकसभा चुनावः राजस्थान में एक दर्जन सीटें बनी कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती, सशक्त उम्मीदवार जरूरी!
By प्रदीप द्विवेदी | Published: March 23, 2019 06:23 PM2019-03-23T18:23:49+5:302019-03-23T18:23:49+5:30
भाजपा ने राजस्थान में 16 में से 14 पुराने सांसदों को फिर से मैदान में उतारा है, जिनमें पीएम नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल के चार मंत्रियो को भी दोबारा टिकट दिया गया है.
होली होते ही लोस चुनाव के लिए भाजपा के उम्मीदवारों की पहली सूची आ गई, जिसमें राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों में से 16 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी गई.
अब सियासी नजर कांग्रेस पर हैं, क्योंकि प्रदेश में करीब एक दर्जन ऐसी सीटें हैं, जिन्हें पिछले लोस चुनाव में बीजेपी ने ढाई लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से जीती थी.
भाजपा ने राजस्थान में 16 में से 14 पुराने सांसदों को फिर से मैदान में उतारा है, जिनमें पीएम नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल के चार मंत्रियो को भी दोबारा टिकट दिया गया है, ये हैं- जयपुर ग्रामीण से राज्यवर्धन सिंह राठौड़, जोधपुर से गजेंद्र सिंह शेखावत, बीकानेर से अर्जुन मेघवाल और पाली से पीपी चौधरी.
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि जैसी कि संभावना थी, प्रत्याशियों के चयन में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, बीजेपी नेतृत्व को अपनी बात मनवाने में कामयाब रही हैं और उम्मीदवार बदलने का फार्मूला राजस्थान में बेअसर रहा है.
जयपुर ग्रामीण से केन्द्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने पिछला चुनाव 3,32,896 वोटों से जीता था. केन्द्रीय मंत्रियों में राठौड़ की स्थिति सबसे मजबूत मानी जा रही है, इसलिए यह सीट हांसिल करना कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती है.
जयपुर शहर से रामचरण बोहरा प्रदेश में सर्वाधिक वोटों- 5,39,345 वोटों से जीते थे. वैसे जयपुर में इस वक्त भाजपा में गुटबाजी का जोर है, बावजूद इसके, रामचरण बोहरा को हराना आसान नहीं है.
जोधपुर से केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह 4,06,029 वोटों से चुनाव जीते थे. इस बार सीएम अशोक गहलोत इस क्षेत्र में फिर से ताकतवर बन कर उभरे हैं, इसलिए यहां कांग्रेस-भाजपा में कांटे की टक्कर हो सकती है.
केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल वैसे तो बीकानेर से 3,08,079 वोटों से जीते थे, लेकिन इस बार वहां बीजेपी में बगावत के स्वर बुलंद हैं. उल्लेखनीय है कि भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता देवी सिंह भाटी ने अर्जुनराम मेघवाल को फिर से टिकट दिए जाने की संभावनाओं के मद्देनजर ही कुछ समय पहले भाजपा से इस्तीफा दे दिया था.
केन्द्रीय मंत्री पीपी चौधरी ने पिछली बार 399039 वोटों से चुनाव जीता जरूर था, लेकिन इस बार उनकी राह आसान नहीं है, क्योंकि पाली में स्थानीय भाजपा नेताओं ने ही उनका विरोध किया था. नाराज नेताओं को फिर से साथ लाना चौधरी के समक्ष बड़ी चुनौती है.
बारां-झालावाड़ से दुष्यंत सिंह को फिर से टिकट दिया गया है, जिन्होंने पिछला चुनाव 2,81,546 वोटों से जीता था. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के इस प्रभाव क्षेत्र में दुष्यंत सिंह को हराना आसान नहीं है.
देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस ढाई लाख से ज्यादा अंतर वाली करीब एक दर्जन सीटों पर भाजपा की चुनौती का जवाब किस तरह से देती है और मिशन- 25 किस तरह से पूरा करती है?