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सांसद और रामविलास के भाई पशुपति पारस ने चमकी बुखार से मरने वाले बच्चों के परिजनों को दिए 5000 रुपये

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: June 23, 2019 14:50 IST

केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के छोटे भाई रविवार को हाजीपुर के हरिवंशपुर गांव पहुंचे थे जहां उन्होंने दवाईयां भी बांटी। गांव वालों ने हाजीपुर से दशकों तक सांसद रहने वाले रामविलास पासवान के लापता होने के पोस्टर लगा दिए थे, इसके बाद पशुपति पारस का दौरा हुआ है।

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ठळक मुद्देबिहार: मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से अब तक 129 बच्चों की मौतबिहार में नहीं थम रहा चमकी बुखार का कहर, मासूमों की मौत का आंकड़ा 179 तक जा पहुंचा

बिहार के हाजीपुर से लोजपा के सांसद पशुपति कुमार पारस ने चमकी बुखार से मरने वाले बच्चों के परिवारों को 5000-5000 रुपये की सहायता राशि प्रदान की है। केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के छोटे भाई रविवार को हाजीपुर के हरिवंशपुर गांव पहुंचे थे जहां उन्होंने दवाईयां भी बांटी। गांव वालों ने हाजीपुर से दशकों तक सांसद रहने वाले रामविलास पासवान के लापता होने के पोस्टर लगा दिए थे, इसके बाद पशुपति पारस का दौरा हुआ है।

लापरवाही के चलते सीनियर डॉक्टर निलंबित 

बिहार में चमकी बुखार से बच्चों के मरने का सिलसिला नहीं थम रहा है। मुजफ्फरपुर में एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (AES) से एक और बच्चे की मौत हो गई है। मुजफ्फरपुर में अब तक कुल 129 बच्चों की मौत हो चुकी है। एसकेएमसीएच में 109 और केजरीवाल अस्पताल में 20 बच्चों की मौत हो चुकी है। वहीं, एसकेएमसीएच के एक सीनियर डॉक्टर को निलंबित कर दिया गया है। वहीं पूरे बिहार में अब तक 179 बच्चों की मौत हो चुकी है।

 

प्राप्त जानकारी के अनुसार मुजफ्फरपुर जिले में ही अब तक 580 बच्चे बीमारी से प्रभावित हो चुके हैं। इस तरह से चमकी बुखार का प्रकोप जारी है। तमाम कोशिशों के बावजूद बच्चों की मौत नहीं थम रही है। चमकी बुखार से बच्चों की मौत की संख्या तो बढ़ ही रही है, नए मरीजों की संख्या में भी कमी नहीं आ रही है।

आज भी एसकेएमसीएच में 15 नए बच्चों को इलाज के लिए भर्ती कराया गया है। एईएस के तय प्रोटोकॉल के तहत इनका इलाज किया जा रहा है। इस बिमारी से बिहार के 16 जिले प्रभावित हैं। बिहार में साल 2014 में 350 से ज्यादा लोग मारे गए थे। हालांकि यह अब तक पता नहीं चला है कि एईएस फैलने का कारण क्या है? लेकिन कई स्वास्थ्य विशेषज्ञ मानते हैं कि बिहार में पिछले एक महीने से पड़ रही भयंकर गर्मी से इसका ताल्लुक है। 

हालांकि कुछ स्टडीज में लीची को भी मौतों का जिम्मेदार ठहराया गया है। मुजफ्फरपुर लीची के लिए खासा मशहूर है। हालांकि कई परिवारों का कहना है कि उनके बच्चों ने हालिया हफ्तों में लीची नहीं खाई है। जबकि डॉक्टरों का कहना है कि पीड़ित गरीब परिवारों से आते हैं जो कुपोषण और पानी की कमी से जूझ रहे हैं।

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