विधायिका को कानूनों पर फिर से विचार करने की जरूरत: प्रधान न्यायाधीश

By भाषा | Published: September 25, 2021 05:33 PM2021-09-25T17:33:19+5:302021-09-25T17:33:19+5:30

Legislature needs to rethink laws: CJI | विधायिका को कानूनों पर फिर से विचार करने की जरूरत: प्रधान न्यायाधीश

विधायिका को कानूनों पर फिर से विचार करने की जरूरत: प्रधान न्यायाधीश

कटक, 25 सितंबर देश के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन वी रमण ने शनिवार को कहा कि विधायिका को कानूनों पर फिर से विचार करने और उन्हें समय तथा लोगों की जरूरतों के अनुरूप सुधारने की जरूरत है ताकि वे ‘‘व्यावहारिक वास्तविकताओं’’ से मेल खा सकें।

प्रधान न्यायाधीश ने यहां ओडिशा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के नए भवन का उद्घाटन करते हुए कहा कि ‘‘संवैधानिक आकांक्षाओं’’ को साकार करने के लिए कार्यपालिका और विधायिका को साथ मिलकर काम करने की जरूरत है। न्यायमूर्ति रमण ने कहा, ‘‘मैं कहना चाहूंगा कि हमारे कानूनों को हमारी व्यावहारिक वास्तविकताओं से मेल खाना चाहिए। कार्यपालिका को संबंधित नियमों को सरल बनाकर इन प्रयासों का मिलान करना होगा।’’

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि कार्यपालिका और विधायिका के लिए ‘‘संवैधानिक आकांक्षाओं को साकार करने में एक साथ कार्य करना’’ महत्वपूर्ण है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि ऐसा करने से न्यायपालिका को कानून-निर्माता के रूप में कदम उठाने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ेगा और केवल कानूनों को लागू करने तथा व्याख्या करने के कर्तव्य रह जाएंगे।

प्रधान न्यायाधीश ने उल्लेख किया कि भारतीय न्यायिक प्रणाली दोहरी चुनौतियों का सामना कर रही है और सबसे पहले ‘‘न्याय वितरण प्रणाली का भारतीयकरण’’ होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आजादी के 74 साल बाद भी परंपरागत जीवन शैली का पालन कर रहे लोग और कृषि प्रधान समाज ‘‘अदालतों का दरवाजा खटखटाने में झिझक महसूस’’ करते हैं।

न्यायमूर्ति रमण ने कहा, ‘‘हमारे न्यायालयों की परंपराएं, प्रक्रियाएं, भाषा उन्हें विदेशी लगती हैं।’’ उन्होंने कहा कि कानूनों की जटिल भाषा और न्याय वितरण की प्रक्रिया के बीच आम आदमी अपनी शिकायत के भविष्य पर नियंत्रण खो देता है।

उन्होंने कहा कि यह एक कठोर वास्तविकता है कि अक्सर भारतीय कानूनी प्रणाली सामाजिक वास्तविकताओं और निहितार्थों को ध्यान में रखने में विफल रहती है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘दुर्भाग्य से हमारी प्रणाली को इस तरह से बनाया गया है कि जब तक सभी तथ्यों और कानून को अदालत में मंथन किया जाता है, तब तक बहुत कुछ खत्म हो जाता है।

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Web Title: Legislature needs to rethink laws: CJI

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