पटना: बिहार में 65 फीसदी आरक्षण को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल किए जाने की मांग को लेकर राजद लगातार एनडीए की सरकार पर हमलावर बनी हुई है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अपने कई साल पुराने निर्णय को पलटते हुए एससी/एसटी आरक्षण में कोटा के अंदर कोटा को मंजूरी दी है। इसके बाद से यह मुद्दा गरम है और देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है। राजद ने भी इस फैसले के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है और इसे बदलने की मांग की है।
इसी कड़ी में बिहार में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि हमने 17 महीनों के अल्प कार्यकाल में देश में प्रथम बार बिहार में जाति आधारित गणना तथा उसके आंकड़े प्रकाशित कराने के साथ-साथ जातिगत गणना के अनुसार आरक्षण का दायरा बढ़ाकर 75 फीसदी किया।
उन्होंने आगे लिखा है कि भाजपा और एनडीए के लोगों ने दलितों/पिछड़ों और आदिवासियों के लिए आरक्षित 65 फीसदी आरक्षण सीमा को रुकवा दिया। एनडीए की केंद्र और राज्य सरकार आरक्षण विरोधी है इसलिए बिहार में हमारी सरकार द्वारा दिए गए 65 फीसदी आरक्षण को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल नहीं कर रही है।
तेजस्वी ने लिखा है कि सभी वर्गों को सामाजिक के साथ-साथ आर्थिक न्याय मिले, उनका आर्थिक उत्थान हो इसके लिए हम निरंतर प्रयासरत रहते हैं। यही वजह है की अपने 17 महीने के कार्यकाल में हमने अपनी इच्छाशक्ति के बल पर 5 लाख से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरी दी, 3 लाख से अधिक नौकरियां प्रक्रियाधीन करायी।
अन्यथा इन्हीं मुख्यमंत्री और एनडीए सरकार ने 17 सालों में इतनी नौकरियां क्यों नहीं दी? जातिगत गणना क्यों नहीं कराई? आरक्षण का दायरा क्यों नहीं बढ़ाया? आपके समर्थन, सहयोग और आशीर्वाद के साथ हम सब मिलकर बिहारवासियों की उन्नति, प्रगति और उत्थान के लिए सदैव संघर्षरत रहेंगे।