देशभर की जिला अदालतों में 4 करोड़ से अधिक, हाईकोर्टों में 60 लाख और सुप्रीम कोर्ट में 70 हजार मामले लंबित, सरकार ने संसद में दी जानकारी

By विशाल कुमार | Published: April 6, 2022 11:39 AM2022-04-06T11:39:28+5:302022-04-06T11:44:02+5:30

28 मार्च, 2022 तक जिला और निचली अदालतों में 4 करोड़ 9 लाख 85 हजार 490 मामले लंबित हैं जबकि विभिन्न हाईकोर्ट में ऐसे मामलों की संख्या 58 लाख 90 हजार 726 है। वहीं, 2 मार्च, 2022 तक सुप्रीम कोर्ट में 70 हजार 154 मामले लंबित हैं।

law-ministry-pending-court-cases-disposal-rate-judiciary | देशभर की जिला अदालतों में 4 करोड़ से अधिक, हाईकोर्टों में 60 लाख और सुप्रीम कोर्ट में 70 हजार मामले लंबित, सरकार ने संसद में दी जानकारी

देशभर की जिला अदालतों में 4 करोड़ से अधिक, हाईकोर्टों में 60 लाख और सुप्रीम कोर्ट में 70 हजार मामले लंबित, सरकार ने संसद में दी जानकारी

Highlightsकानून मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि लंबित मामलों का निपटान न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र में है।उन्होंने कहा कि अदालतों में मामलों का समय पर निपटान कई कारकों पर निर्भर करता है।कई सांसदों ने मंत्री से इस सबंध में जानकारी मांगी थी।

नई दिल्ली: कानून और न्याय मंत्रालय ने लोकसभा को बताया कि जिला और निचली अदालतों में 4 करोड़ से अधिक तो विभिन्न हाईकोर्ट में करीब 60 लाख और सुप्रीम कोर्ट में 70 हजार मामले लंबित हैं।

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, 28 मार्च, 2022 तक जिला और निचली अदालतों में 4 करोड़ 9 लाख 85 हजार 490 मामले लंबित हैं जबकि विभिन्न हाईकोर्ट में ऐसे मामलों की संख्या 58 लाख 90 हजार 726 है। वहीं, 2 मार्च, 2022 तक सुप्रीम कोर्ट में 70 हजार 154 मामले लंबित हैं।

इस दौरान कानून मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि अदालतों में लंबित मामलों का निपटान न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र में है और निपटान में सरकार की कोई भूमिका नहीं है। इसके साथ ही संबंधित न्यायालयों द्वारा विभिन्न प्रकार के मामलों के निपटान के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की गई है।

उन्होंने कहा कि अदालतों में मामलों का समय पर निपटान कई कारकों पर निर्भर करता है, जिनमें अन्य बातों के साथ-साथ पर्याप्त संख्या में न्यायाधीशों और न्यायिक अधिकारियों की उपलब्धता, अदालत के सहायक कर्मचारी और बुनियादी ढांचे, घटना में शामिल तथ्यों की जटिलता, साक्ष्य की प्रकृति, हितधारकों का सहयोग शामिल हैं।

सांसदों टीआरवीएस रमेश, राजेंद्र अग्रवाल, जगदंबिका पाल और पीपी चौधरी ने मंत्री से इस सबंध में जानकारी मांगी थी। सांसदों ने पूछा था कि कहा कि क्या विभिन्न न्यायालयों में लम्बित मामलों की संख्या में वृद्धि हो रही है और यदि हां, तो उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालयों और अधीनस्थ न्यायालयों में पिछले तीन वर्षों के दौरान लंबित मामलों की संख्या क्या है।

Web Title: law-ministry-pending-court-cases-disposal-rate-judiciary

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे