बिहार विधान परिषद के सदस्य बंशीधर ब्रजवासी के दिल में बसते हैं स्व. बाला साहेब ठाकरे
By एस पी सिन्हा | Updated: December 14, 2025 16:38 IST2025-12-14T16:38:15+5:302025-12-14T16:38:19+5:30
बंशीधर ब्रजवासी ने कहा कि वे हमेशा शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे को अपना रोल मॉडल मानते आए हैं और उनके व्यक्तित्व से प्रेरित रहे हैं।

बिहार विधान परिषद के सदस्य बंशीधर ब्रजवासी के दिल में बसते हैं स्व. बाला साहेब ठाकरे
पटना:बिहार विधान परिषद के सदस्य बंशीधर ब्रजवासी के दिल में शिवसेना के संस्थापक रहे स्व. बाला साहेब ठाकरे बसते हैं। बंशीधर ब्रजवासी ने कहा कि वे हमेशा शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे को अपना रोल मॉडल मानते आए हैं और उनके व्यक्तित्व से प्रेरित रहे हैं। उनका कहना है कि बाला साहेब ठाकरे सिर्फ महाराष्ट्र ही नहीं, बल्कि पूरे देश के एक ऐसे नेता थे, जिन्होंने अपने जीवन में सत्ता और राजनीतिक प्रभाव का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया। प्रधानमंत्री से लेकर किसी भी बड़े राजनेता से मिलने के लिए कभी दिल्ली नहीं गए।
उन्होंने कहा कि बिना संवैधानिक पद के भी सत्ता के केंद्र बिंदु बने। अपने विचारों और बयानों के प्रति उनका अडिग रुख उन्हें युगपुरुष का दर्जा देता है। ब्रजवासी ने कहा कि आज की भारतीय राजनीति में बाला साहेब ठाकरे जैसे लौह पुरुष कहीं दिखाई नहीं देते। उनका स्वभाव, काबिलियत और अडिग रुख प्रशंसनीय था। बिना किसी संवैधानिक पद पर बैठे, उन्होंने पूरे राजनीतिक परिदृश्य को अपने इशारों पर संचालित किया। पाकिस्तान को क्रिकेट में चुनौती देने से लेकर राजनीति में चमचाई और चाटुकारिता से दूर रहने तक, उनका मर्दाना अंदाज उदाहरणीय था।
उन्होंने स्पष्ट किया कि धार्मिक मुद्दों पर वे ठाकरे के विचारों के अनुयायी नहीं थे। लेकिन उनके नेचर, पुरुषार्थ और राजनीति में दृढ़ता के प्रशंसक रहे हैं। बता दें कि बंशीधर ब्रजवासी, पूर्व संविदा शिक्षक और शिक्षक नेता, 10 दिसंबर 2024 से तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से बिहार विधान परिषद के सदस्य हैं। उपचुनाव में स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में उनकी जीत हुई। मुजफ्फरपुर जिले के मरवन प्रखंड के दामुचक के रहने वाले ब्रजवासी ने पेशेवर कैरियर की शुरुआत उत्कृष्ट मध्य विद्यालय शिक्षक के रूप में की थी और हमेशा शिक्षकों के अधिकारों और मुद्दों के लिए मुखर रहे हैं।
अधिकारियों के साथ उनके विवाद, जैसे शिक्षा विभाग के तत्कालीन एसीएस केके पाठक के साथ संघर्ष, उनकी निडर और साहसी छवि को दर्शाते हैं। वे शिक्षकों की समस्याओं का समाधान करने और उनकी आवाज़ उठाने में हमेशा सक्रिय रहे हैं।