पटनाः रेलवे में नौकरी के बदले जमीन और फ्लैट रजिस्ट्री कराने के मामले में प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) के द्वारा मंगलवार को पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और तेज प्रताप यादव से पूछताछ किए जाने को लेकर के विधानसभा के भीतर और बाहर पर जबर्दस्त सियासी घमासान देखने को मिला। सत्ता पक्ष इसे भ्रष्टाचार पर कार्रवाई बता रहा है, तो विपक्ष इसे राजनीतिक हथकंडा करार देने में जुटा है। राजद विधायक ललित यादव ने जांच एजेंसियों की कार्रवाई को राजनीतिक दबाव का नतीजा बताते हुए कहा कि यह सत्ता पक्ष की रणनीति है, जो विरोधियों को दबाने के लिए जांच एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है।
वहीं, बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने पलटवार करते हुए कहा कि बिहार को जिन लोगों ने लूटा है या बर्बाद किया है, वे अब बच नहीं पाएंगे। चाहे नेता हों या अधिकारी, किसी को बख्शा नहीं जाएगा। एनडीए की यह खुली चेतावनी है कि जिसने जनता की कमाई को लूटा, उसे सजा जरूर मिलेगी।
जबकि भाजपा विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल ने इस पूरे मामले को कर्मों का फल बताते हुए कहा कि विज्ञान कहता है कि हर क्रिया की विपरीत प्रतिक्रिया होती है और सनातन संस्कृति में कहा गया है- जैसी करनी वैसी भरनी। जब इन लोगों के पास सत्ता थी, तब इन्होंने इसका दुरुपयोग किया। जमीन के बदले नौकरियां दीं और घोटाले किए, अब इन्हें इसका जवाब देना ही होगा।
वहीं, इस मुद्दे पर लालू परिवार के करीबी विधान पार्षद सुनील सिंह ने कहा कि यह कोई नई घटना नहीं है। यह सुनते सुनते हम लोगों के दोनों काम पक चुके हैं। जब भी चुनाव आता है, चाहे वह लोकसभा का चुनाव हो या विधानसभा का चुनाव हो, इनके तीन जो मेन हार्डकोर कार्यकर्ता हैं पूरी तरह से सक्रिय हो जाते हैं।
ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स सक्रिय होकर काम करते हैं। जो काम भाजपा के कार्यकर्ता नहीं कर पाते हैं वह ये तीन सक्रिय हार्डकोर कार्यकर्ता करते हैं। उन्होंने कहा कि कहने को तो तीनों ऑटोनोमस बॉडी हैं, लेकिन यह बिना आका के आदेश के एक कप चाय भी नहीं पी सकता।
विधानसभा का चुनाव नजदीक आ गया है और जिस तरह से सरकार चौतरफा फेल हो चुकी है तो ऐसी हालत में इन कार्यकर्ताओं को लगाने के अलावा इनके पास दूसरा कोई उपाय नहीं है। सैकड़ों बार लालू परिवार को ऐसे नोटिस भेजे जा चुके हैं और सैकड़ों बार ये लोग जवाब दे चुके हैं। हर बार एक ही सवाल और एक ही जवाब होता है।