जमीन के बदले नौकरी घोटाला: राजद प्रमुख लालू यादव को राहत नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने ट्रॉयल रोक पर किया इनकार, सुनवाई तेज करने का निर्देश
By सतीश कुमार सिंह | Updated: July 18, 2025 11:44 IST2025-07-18T11:39:16+5:302025-07-18T11:44:48+5:30
उच्चतम न्यायालय ने लालू प्रसाद के खिलाफ निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार किया, दिल्ली उच्च न्यायालय को सुनवाई तेज करने का निर्देश दिया।

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नई दिल्लीः सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 29 मई के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। जिसमें राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव के खिलाफ दिल्ली की एक विशेष अदालत में चल रहे मुकदमे पर रोक लगाने से इनकार कर दिया गया था। यह मुकदमा रेल मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान नौकरी के बदले जमीन मामले में चल रहा है। न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ संभवतः 18 जुलाई को इस मामले की सुनवाई की। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने नौकरी के बदले जमीन मामले में निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाने के उनके अनुरोध को खारिज कर देने के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया था।
Supreme Court refuses to interfere with the Delhi High Court May 29 order that had refused to stay the trial against Rashtriya Janata Dal (RJD) chief Lalu Prasad Yadav before a special court in Delhi in a land-for-jobs case during his tenure as railways minister.
— ANI (@ANI) July 18, 2025
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Land-for-jobs scam: SC refuses to stay trial court proceedings against Lalu Yadav, directs Delhi HC to expedite hearing— Press Trust of India (@PTI_News) July 18, 2025
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 29 मई को कहा कि कार्यवाही पर रोक लगाने का कोई ठोस कारण नहीं है। उच्च न्यायालय ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की प्राथमिकी को रद्द करने की यादव की याचिका पर सीबीआई को नोटिस जारी किया और सुनवाई 12 अगस्त के लिए स्थगित कर दी।
अधिकारियों का कहना है कि यह मामला मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित भारतीय रेलवे के पश्चिम मध्य क्षेत्र में ग्रुप डी की नियुक्तियों से संबंधित है। ये नियुक्तियां लालू प्रसाद के 2004 और 2009 के बीच रेल मंत्री रहने के दौरान की गई थीं। नौकरियां पाने वालों ने इन नियुक्तियों के बदले में कथित तौर पर राजद सुप्रीमो के परिवार या सहयोगियों को भूखंड दिये थे।
उच्च न्यायालय में अपनी याचिका में प्रसाद ने प्राथमिकी तथा 2022, 2023 और 2024 में दाखिल किये गये तीन आरोपपत्रों को रद्द करने एवं उसके बाद के संज्ञान आदेशों को खारिज करने की मांग की थी। यह मामला 18 मई, 2022 को यादव , उनकी पत्नी, दो बेटियों, अज्ञात सरकारी अधिकारियों एवं अन्य व्यक्तियों के विरूद्ध दर्ज किया गया था।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सक्षम अदालत में ‘क्लोजर रिपोर्ट’ रिपोर्ट दाखिल करने पर सीबीआई की प्रारंभिक पूछताछ और जांच बंद कर दी गयी थी लेकिन उसके बावजूद 14 साल बाद 2022 में प्राथमिकी दर्ज की गयी। याचिका में कहा गया, ‘‘पिछली जांच और उसकी समापन रिपोर्टों को छिपाकर नयी जांच शुरू करना क़ानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है।’’
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि निष्पक्ष जांच के उसके मौलिक अधिकार का उल्लंघन करते हुए एक "अवैध, (दुर्भावना से) प्रेरित जांच’’ के जरिए उसे परेशान किया जा रहा है। याचिका में कहा गया है, ‘‘मौजूदा पूछताछ और जांच दोनों की शुरुआत अवैध है क्योंकि दोनों ही पीसी अधिनियम की धारा 17ए के तहत अनिवार्य मंजूरी के बिना शुरू की गई हैं। इस तरह की मंजूरी के बिना, की गई कोई भी पूछताछ/जांच शुरू से ही अमान्य होगी।’’