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चारा घोटाले में लालू यादव को उच्च न्यायालय से झटका, जमानत याचिका खारिज

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: December 6, 2019 17:03 IST

दरअसल पिछली दो तारीखों पर उच्च न्यायालय में द्वितीय पाली में शोक सभा हुई, जिसके चलते लालू की जमानत याचिका पर सुनवाई नहीं हो सकी। लालू यादव की जमानत याचिका पर सुनवाई पहले 22 नवंबर को और फिर 29 नवंबर को दोपहर बाद होनी

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ठळक मुद्देन्यायमूर्ति अपरेश कुमार सिंह की पीठ के समक्ष इस मामले की सुनवाई हुई।सीबीआई ने इस मामले में पहले ही अपना जवाब न्यायालय के समक्ष दाखिल कर दिया है।

उच्च न्यायालय ने चारा घोटाले में लालू यादव की जमानत याचिका खारिज कर दी। उच्च न्यायालय ने चारा घोटाले के चाईबासा कोषागार से गबन के मामले में पूर्व जदयू सांसद जगदीश शर्मा को जमानत दे दी है।

झारखंड उच्च न्यायालय ने चारा घोटाले से जुड़े दुमका कोषागार से धन के गबन के मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के मुखिया लालू प्रसाद यादव की जमानत याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी।

इस मामले में आज न्यायमूर्ति अपरेश कुमार सिंह की पीठ ने सुनवाई पूरी की और लालू की जमानत याचिका इस आधार पर खारिज कर दी कि अभी उन्होंने सीबीआई अदालत द्वारा दी गयी सजा की आधी अवधि न्यायिक हिरासत में पूरी नहीं की है। सीबीआई अदालत ने लालू को इस मामले में भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (पीसी एक्ट) के तहत सात.- सात वर्ष की कैद की सजा सुनायी है। अर्थात् इस मामले में लालू को कुल चौदह वर्ष कैद की सजा सुनायी गयी है।

इस मामले की सुनवाई पिछली दो तारीखों से उच्च न्यायालय में द्वितीय पारी में शोक सभा के चलते नहीं हो सकी थी। लालू यादव की जमानत याचिका पर सुनवाई पहले 22 नवंबर को और फिर 29 नवंबर को दोपहर बाद होनी थी लेकिन उच्च न्यायालय के अधिवक्ता के निधन के चलते द्वितीय पारी में न्यायालय में शोक सभा हुई और सुनवाई नहीं हो सकी थी। सीबीआई ने इस मामले में पहले ही अपना जवाब न्यायालय के समक्ष दाखिल कर दिया है जिसमें उसने लालू को भ्रष्टाचार के इस मामले में जमानत दिये जाने का सख्त विरोध किया है।

सीबीआई ने लालू प्रसाद की जमानत का विरोध करते हुए कहा था कि लालू प्रसाद ने दुमका कोषागार मामले में जमानत दाखिल की है। इस मामले में लालू ने मात्र 22 माह ही जेल में बिताया है। ऐसे में सजा की आधी अवधि भी पूरी नहीं हो रही है जबकि सर्वोच्च न्यायालय भी इस मामले में उनकी याचिका खारिज कर चुका है। जहां तक उनके स्वास्थ्य की बात है तो रिम्स के चिकित्सक लगातार उनके स्वास्थ्य पर नजर रख रहे हैं। 15 बीमारियां होने के बाद भी फिलहाल उनकी जान को कोई खतरा नहीं है।

इसलिए उन्हें जमानत नहीं दी जाए। हालांकि लालू प्रसाद की ओर से बढ़ती उम्र और खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए जमानत की गुहार लगाई गई थी। अंततः आज उच्च न्यायालय ने सीबीआई की दलील मान ली और लालू प्रसाद की जमानत याचिका खारिज कर दी।

झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अपरेश कुमार सिंह ने मामले में आठ नवंबर को लालू के वकीलों की दलील सुनी थी जिसमें मुख्य रूप से उन्होंने लालू की उम्र एवं उनके स्वास्थ्य का हवाला देते हुए उन्हें जमानत दिये जाने का अनुरोध किया था। लालू चारा घोटाले के चार विभिन्न मामलों में सजायाफ्ता हैं और फिलहाल बिरसा मुंडा कारागार के माध्यम से रिम्स अस्पताल में भर्ती हैं और इलाज करा रहे हैं।

टॅग्स :बिहारझारखंडलालू प्रसाद यादवसीबीआई
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