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लखीमपुरी खीरी हिंसा: आशीष मिश्रा को जमानत देने वाले हाईकोर्ट के जज ने खुद को सुनवाई से अलग किया, सुप्रीम कोर्ट ने निष्पक्ष सुनवाई का दिया था आदेश

By विशाल कुमार | Updated: April 28, 2022 08:48 IST

बीते 18 अप्रैल को मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जमानत देने के लिए न्यायिक मिसालों और स्थापित मानकों की अनदेखी करने का हवाला देते हुए आशीष मिश्रा की जमानत खारिज कर दी और उनकी जमानत पर नए सिरे और निष्पक्षता से सुनवाई करने के लिए मामला हाईकोर्ट के पास वापस भेज दिया था।

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ठळक मुद्देइलाहाबाद हाईकोर्ट ने 10 फरवरी को आशीष मिश्रा को जमानत दे दी थी। 18 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने आशीष मिश्रा की जमानत खारिज कर दी थी।याचिकाकर्ताओं के वकील ने मामले को इलाहाबाद हाईकोर्ट की दूसरी पीठ के पास भेजने का निर्देश देने की मांग की थी।

लखनऊ: लखीमपुरी खीरी हिंसा मामले के आरोपी केंद्रीय मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा को जमानत देने वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक जज जस्टिस राजीव सिंह ने जमानत पर आगे होने वाली सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है।

बता दें कि, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 10 फरवरी को आशीष मिश्रा को जमानत दे दी थी। हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।

बीते 18 अप्रैल को मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जमानत देने के लिए न्यायिक मिसालों और स्थापित मानकों की अनदेखी करने का हवाला देते हुए आशीष मिश्रा की जमानत खारिज कर दी और उनकी जमानत पर नए सिरे और निष्पक्षता से सुनवाई करने के लिए मामला हाईकोर्ट के पास वापस भेज दिया था।

इस पर याचिकाकर्ताओं के वकील ने मामले को इलाहाबाद हाईकोर्ट की दूसरी पीठ के पास भेजने का निर्देश देने की मांग की थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पर छोड़ दिया था।

हालांकि, सिंह ने जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही एकल न्यायाधीश की पीठ से खुद को अलग करने का कोई कारण नहीं बताया। नई पीठ के गठन के बाद अब अगली सुनवाई की तारीख तय की जाएगी।

गौरतलब है कि पिछले साल तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में हिंसा के दौरान आठ लोग मारे गए थे। यह हिंसा तब हुई थी जब किसान उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इलाके के दौरे का विरोध कर रहे थे।

उत्तर प्रदेश पुलिस की प्राथमिकी के अनुसार, एक वाहन जिसमें आशीष मिश्रा बैठे थे, उसने चार किसानों को कुचल दिया था। घटना के बाद गुस्साए किसानों ने वाहन चालक और दो भाजपा कार्यकर्ताओं की कथित तौर पर पीट-पीट कर हत्या कर दी।

इस दौरान हुई हिंसा में एक पत्रकार की भी मौत हो गई थी। केंद्र के अब निरस्त किए गए कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे विपक्षी दलों और किसान समूहों में इस घटना को लेकर काफी आक्रोश था।

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