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कुरुक्षेत्र ग्राउंड रिपोर्ट: BJP को नुकसान पहुंचा सकते हैं वर्तमान सांसद राजकुमार सैनी, मुकाबला त्रिकोणीय

By निखिल वर्मा | Updated: May 10, 2019 20:50 IST

कुरुक्षेत्र संसदीय सीट का गठन 1977 में हुआ था, इससे पहले ये सीट कैथल में आती थी। जाट बहुल कुरुक्षेत्र में बीजेपी को पहली बार इस सीट पर राजकुमार सैनी ने 2014 में जीत दिलाई थी।

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ठळक मुद्देबीजेपी ने नारायणगढ़ से विधायक और हरियाणा सरकार में श्रम एवं रोजगार मंत्री नायब सैनी को मैदान में उतारा है। कुरुक्षेत्र में सैनी समुदाय से चार सांसद रह चुके हैं, जिसमें कैलाशो देवी का नाम प्रमुख हैं।

धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में लोकसभा चुनाव 2019 के रण में मुकाबला त्रिकोणीय है। दो बार भारत के कार्यवाहक प्रधानमंत्री रहे गुलजारी लाल नंदा का इलाका होने से यह जगह राजनीतिक रूप से काफी जागरूक है। हरियाणा में लोकसभा की 10 सीटें हैं। लोकसभा चुनाव 2014 में मोदी लहर में पहली बार बीजेपी ने इस सीट पर अपना खाता खोला था। लेकिन इस बार यहां की परिस्थितियां अलग है।

बीजेपी सांसद सैनी ने बनाई अलग पार्टी

कुरुक्षेत्र संसदीय सीट का गठन 1977 में हुआ था, इससे पहले ये सीट कैथल में आती थी। जाट बहुल कुरुक्षेत्र में बीजेपी को पहली बार इस सीट पर राजकुमार सैनी ने 2014 में जीत दिलाई थी। जाट आंदोलन के समय ही पार्टी से मतभेदों के चलते सैनी बीजेपी से अलग हो गए। इसके बाद सैनी ने लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी बना ली और बीएसपी के साथ गठबंधन में लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। 

सैनी ने पिछले चुनाव में कांग्रेस पार्टी से दो बार लगातार सांसद रह चुके उद्योगपति नवीन जिंदल को 1.30 लाख वोटों से हराया था। 2004 और 2009 में कुरुक्षेत्र से सांसद रहे कांग्रेस के नवीन जिंदल को तीसरे नंबर पर पहुंच गए थे। समझौते के तहत कुरुक्षेत्र से बीएसपी उम्मीदवार शशि सैनी चुनाव लड़ रही हैं। सैनी पूर्व में कांग्रेस की सक्रिय कार्यकर्ता रह चुकी हैं। उनके लिए खुद बीएसपी प्रमुख मायावती ने 9 मई को एक जनसभा की है।

बीजेपी ने नारायणगढ़ से विधायक और हरियाणा सरकार में श्रम एवं रोजगार मंत्री नायब सैनी को मैदान में उतारा है। कुरुक्षेत्र में सैनी समुदाय से चार सांसद रह चुके हैं, जिसमें कैलाशो देवी का नाम प्रमुख हैं। इस सीट पर करीब सवा लाख सैनी मतदाता है। बहादुरपुर के रहने वाले पवन सैनी कहते हैं, उनका वोट इस बार बीजेपी को पड़ेगा। राजकुमार सैनी पुराने नेता हैं, लेकिन इस सीट पर जात के नाम पर वोट नहीं पड़ने वाला।

कांग्रेस को वापसी की उम्मीद

कांग्रेस ने नवीन जिंदल की जगह हरियाणा सरकार में मंत्री रह चुके जट सिख निर्मल सिंह को टिकट दिया है। सिरसमा के रहने वाले राजीव शर्मा कहते हैं, इस बार कांग्रेस यहां से जीत रही है। लोकमत ने जब उसने सवाल किया कि सिंह तो स्थानीय नहीं है? राजीव कहते हैं कि 2014 का चुनाव जीतने वाले राजकुमार सैनी भी बाहरी थे। इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। 

इस सीट पर मुसलमानों और यादवों की एक आबादी है जो मूलत: अन्य प्रदेशों से यहां आकर बसे हैं। यूपी के उन्नाव से यहां आकर बसे बस ड्राइवर मुस्तफा कहते हैं, कुरुक्षेत्र शहर में मुसलमानों की आबादी करीब 3 हजार है। मुसलमानों का एकमुश्त वोट कांग्रेस को मिलेगा। इसी तरह यूपी के सुलतानपुर से आकर बसे केदारनाथ यादव कहते हैं, वो भी कांग्रेस को वोट करेंगे।

चौटाला परिवार की चौथी पीढ़ी मैदान में 

दिवंगत उप प्रधानमंत्री देवीलाल की चौथी पीढ़ी के अर्जुन सिंह चौटाला इंडियन नेशनल लोकदल से यहां मैदान में है। चौटाला के उतरने से यहां मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। हालांकि इनेलो के वोटबैंक में जेजेपी-आप सेंध लगाने की तैयारी है। अर्जुन सिंह चौटाला के चचेरे भाई दुष्यंत चौटाली की पार्टी जननायक जनता पार्टी ने अभी यहां अपना उम्मीदवार उतारा है। जेजेपी से जयभगवान डीडी चुनाव लड़ रहे हैं। 

इस सीट पर करीब चार लाख जाट मतदाता हैं। इनेलो में टूट के चलते जाट वोटों में भी बिखराव होना तय है। उमरी के रहने वाले जाट गुरनाम सिंह कहते हैं, उनका वोट जेजेपी-आप गठबंधन को ही जाएगा। 

इस सीट पर जाट और जट सिख की आबादी करीब 5 लाख है। अर्जुन सिंह चौटाला का रिश्ता यमुनानगर में इनेलो के पूर्व विधायक दिलबाग सिंह की बेटी से हुआ है। इनेलो को उम्मीद है कि यह समीकरण उसे जिताने में मददगार साबित होगा।

विधानसभा 2014 की स्थिति

लोकसभा क्षेत्र कुरुक्षेत्र के अंदर कुल 9 विधानसभा क्षेत्र हैं, जिसमें लाडवा, शाहाबाद, थानेसर, पिहोवा, रादौर, गुहला, कलायत, कैथल और पुंडरी विधानसभा क्षेत्र आते हैं। बीजेपी ने पांच, आईएनएलडी-कांग्रेस ने एक-एक और दो सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी।

शहरी क्षेत्र में बीजेपी का प्रभाव मजबूत है। सेक्टर आठ के रहने वाले हरीश अग्रवाल कहते हैं, इस बार भी पीएम मोदी के नाम पर बीजेपी आसानी से जीत जाएगी। राजकुमार सैनी के अलग होने से बीजेपी के वोटबैंक पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला।

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