पटनाः बिहार में एनडीए टूटने और जदयू के महागठबंधन के साथ सरकार बनाने के बाद हो रहे उपचुनाव में कुढ़नी बहुत ही महत्वपूर्ण सीट बन गया है। माना जा रहा है कि इस उपचुनाव का नतीजा राज्य की भावी चुनावी राजनीति की दिशा तय करेगा। राज्य में सत्ता समीकरण बदलने के बाद इससे पूर्व हुए विधानसभा की दो सीटों के उपचुनाव में यथास्थिति बरकरार रही।
राजद मोकामा और भाजपा गोपालगंज सीट बचाने में कामयाब रही। जबकि बड़ी उलटफेर की संभावना व्यक्त की जा रही थी। हालांकि, दोनों जगह जीत का अंतर कम जरूर हुआ। लेकिन जैसी चर्चा थी कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पाला बदलने से भाजपा बहुत कमजोर हो गई और महागठबंधन मजबूत। पर वैसा कोई खास नजर नहीं आया।
अब कुढ़नी उपचुनाव में महागठबंधन और भाजपा की ताकत की असली परीक्षा होगी। भाजपा ने काफी सोच विचार और मंथन के बाद एक बार फिर पूर्व विधायक केदार प्रसाद गुप्ता पर भरोसा जताया है। वह 2020 के विधानसभा चुनाव में राजद के अनिल सहनी से 712 वोट से हार गये थे। उस चुनाव में नीतीश भाजपा के साथ थे।
इस बार कुढ़नी उपचुनाव में महागठबंधन, भाजपा और एआईएमआईएम के उम्मीदवार की घोषणा के बाद विकासशील इंसान पार्टी ने भी अपना उम्मीदवार उतार दिया है। वीआईपी ने नीलाभ कुमार को कुढ़नी सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है। जबकि एआईएमआईएम ने उम्मीदवार के तौर पर ऑल इंडिया मोमिन कॉन्फ्रेंस के सदस्य और पूर्व जिला पार्षद गुलाम मुर्तजा अंसारी को मैदान में उतारा है।
गुलाम मुर्तजा जदयू के साथ-साथ राजद में भी रह चुके हैं। अब देखना दिलचस्प होगा कि कुढ़नी की चुनावी लड़ाई में गुलाम मुर्तजा अंसारी को कितने वोट मिलते हैं। मतदान पांच दिसंबर को होगा। नतीजा आठ दिसम्बर को आयेगा।