Kolkata doctor rape-murder case: कोलकाता में महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या के बाद देश भर के डॉक्टरों में जारी आक्रोश के बीच बिहार में भी स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं। पीएमसीएच, एनएमसीएच, आईजीआईएमएस और पटना एम्स में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल आज नौंवे दिन भी जारी रही। मंगलवार को भी न तो ओपीडी चली और न ही पूर्व से निर्धारित सर्जरी हुई। अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं ठप होने से मरीजों की जान सांसत में पड़ गई है। डॉक्टरों ने इमरजेंसी सेवा को तो बाधित नहीं किया है, लेकिन ओपीडी की सेवा पिछले नौ दिनों से बंद है। जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल पर रहने के कारण दूर-दराज से इलाज कराने पटना पहुंचे मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मरीज और उनके परिजन इलाज के लिए इन अस्पतालों में भटकते नजर आए।
पीएमसीएच जेडीए के अध्यक्ष डॉ. अंशू ने बताया कि मंगलवार को इमरजेंसी छोड़ ओपीडी, ऑपरेशन थिएटर व वार्डों में जूनियर डॉक्टर कार्य नहीं करेंगे। वहीं, आईजीआईएमएस आरडीए के अध्यक्ष डॉ. रजत कुमार ने कहा कि जब तक प्रशासन लिखित में सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने का आश्वासन नहीं देते, हड़ताल जारी रहेगी।
इस बीच पूर्णिया से सांसद पप्पू यादव ने डॉक्टरों की हड़ताल पर सवाल खड़ा किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि "डॉक्टरों ने हड़ताल करके 12 लोगों को जान से मार डाला। इस नरसंहार का जिम्मेदारी कौन है?" उन्होंने सवाल किया कि "अगर कोलकाता सामूहिक दुष्कर्म में डॉक्टर ही शामिल पाए गए तो क्या सारे डॉक्टर उस दुष्कर्म की ज़िम्मेदारी लेंगे?"
उन्होंने सवाल किया कि "जहां भी डॉक्टर दुष्कर्मी होता है, वहां इसी डॉक्टर समाज को सांप क्यों सूंघ जाता है?" उधर, पप्पू यादव के इस बयान की इंडियन मेडिकल एसोसिएशन बिहार शाखा ने घोर निंदा की है। आईएमए के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सहजानंद प्रसाद सिंह व संयोजक डॉ. अजय कुमार ने कहा कि अगर सामूहिक दुष्कर्म में डॉक्टर दोषी पाए गए तो, आंदोलन कर रहे डॉक्टर इसकी जिम्मेदारी लेंगे।
डॉ. अजय कुमार ने कहा कि पप्पू यादव अगर माफी नहीं मांगेंगे, तो आईएमए उनके खिलाफ मोर्चा खोलेगा। उन्होंने कहा कि उनकी शिकायत लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर की गई है। इसी बीच बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि डॉक्टरों की नाराजगी जाहिर है। बंगाल में जो हुआ वह स्थानीय सरकार और प्रशासन की विफलता है।
उन्होंने कहा कि डॉक्टर-नर्सों के अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा को लेकर करीब चार से पांच साल पूर्व ही पुलिस महानिदेशक के माध्यम से सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिया है कि डॉक्टर, नर्स, स्वास्थ्य कर्मी की मामूली शिकायत पर भी तत्काल संज्ञान लेकर कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। पांडेय ने कहा डॉक्टरों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़, किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
सरकार इसे लेकर पूरी तरह सजग है। बता दें कि बिहार में 2011 से बिहार चिकित्सा सेवा संस्थान एवं व्यक्ति संरक्षण कानून प्रभावी है। कानून के तहत डॉक्टर, स्वास्थ्य कर्मी के साथ होने वाली किसी भी प्रकार की घटना, हिंसा से निपटने के लिए समुचित प्रावधान किए गए हैं।
डॉक्टर, स्वास्थ्य कर्मी के खिलाफ मामूली से मामूली अपराध पर तीन से पांच वर्ष तक की सजा और 50 हजार रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किए गए हैं। संपत्ति का नुकसान होने पर क्षति हुई संपत्ति का दोगुना जुर्माना वसूलने की भी व्यवस्था की गई है।