केदारनाथ विवाद: धामी सरकार बनाएगी कानून, चारधाम मंदिरों के नामों का उपयोग नहीं कर पाएगा कोई संगठन
By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: July 20, 2024 12:40 IST2024-07-20T12:39:45+5:302024-07-20T12:40:53+5:30
केदारनाथ मंदिर से जुड़े पुजारी और प्रबंधन इस बात के विरोध में हैं कि देश में अन्य किसी जगह केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति बने। अब उत्तराखंड राज्य मंत्रिमंडल ने एक कानून लाने का फैसला किया है जो संगठनों या ट्रस्टों को चारधाम मंदिरों के नामों का उपयोग करने से रोकेगा।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (फाइल फोटो)
देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बीते दिनों दिल्ली में नए केदारनाथ मंदिर के भूमि पूजन या शिलान्यास समारोह में भाग लिया था। इस पर काफी विवाद हुआ। केदारनाथ मंदिर से जुड़े पुजारी और प्रबंधन इस बात के विरोध में हैं कि देश में अन्य किसी जगह केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति बने। अब उत्तराखंड राज्य मंत्रिमंडल ने एक कानून लाने का फैसला किया है जो संगठनों या ट्रस्टों को चारधाम मंदिरों के नामों का उपयोग करने से रोकेगा।
राज्य सरकार के एक बयान के अनुसार यह निर्णय गुरुवार को धामी कैबिनेट की बैठक में किया गया और हाल के कुछ मामलों के बाद आया। भारत के अन्य हिस्सों में कुछ मंदिरों का नाम उत्तराखंड के चार धामों - केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री के नाम पर रखा गया है जिससे चार धाम मंदिरों से जुड़े पुरोहित नाराज हैं।
धामी कैबिनेट ने राज्य हित में राज्य सरकार द्वारा सख्त कानूनी प्रावधान लागू करने का निर्णय लिया है। अब राज्य के भीतर या बाहर कोई भी व्यक्ति या संस्था राज्य के चारों धामों और प्रमुख मंदिरों के नाम पर कोई समिति या ट्रस्ट नहीं बना सकेगी। बयान में फैसले का कारण जनता की भावनाओं का हवाला देते हुए कहा गया है कि इससे इस संबंध में उत्पन्न होने वाले विवाद का भी समाधान हो जाएगा।
गौरतलब है कि यह ऐसे समय में आया है जब भाजपा दिल्ली मंदिर को लेकर न केवल विपक्षी कांग्रेस बल्कि केदारनाथ धाम के पुजारियों के भी निशाने पर है। पुजारियों ने दिल्ली मंदिर के खिलाफ धरना दिया था। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर राज्य की धामी सरकार को घेरने के लिए इस महीने के अंत में हरिद्वार से केदारनाथ तक पदयात्रा निकालने का फैसला किया है।
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ धाम हिंदुओं के लिए आध्यात्मिक महत्व रखता है। यह मंदिर, उत्तराखंड के बद्रीनाथ के साथ, भगवान शिव को समर्पित है और 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जिन्हें उनका भक्ति प्रतिनिधित्व माना जाता है।
बता दें कि दिल्ली का मंदिर ऐसा पहला मंदिर नहीं है जिसका नाम चार धामों में से किसी एक के नाम पर रखा गया है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने विरोध कर रहे कांग्रेस नेताओं को जवाब देते हुए कहा है कि दिल्ली का तीर्थस्थल महज एक मंदिर है, कोई धाम नहीं। महत्वपूर्ण पवित्र स्थानों के नाम पर मंदिरों का नाम रखना असामान्य नहीं है, उदाहरण के तौर पर उन्होंने मुंबई में बद्रीनाथ मंदिर का हवाला दिया, जिसके भूमि पूजन समारोह में उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता हरीश रावत 2015 में शामिल हुए थे। महेंद्र भट्ट ने कैबिनेट के फैसले का स्वागत किया है।