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2021 में सेना के सबसे लंबे सर्च ऑपरेशन की तबाही के बाद सिहर उठे कश्मीरी

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: March 17, 2021 14:08 IST

कश्मीर में जब भी किसी इलाके में कोई मुठभेड़ आरंभ होती है तो उस इलाके के रहने वाले अपने घरों को बचाने की दुआ करते हैं। पर कुछेक ही नसीबवाले होते हैं जो अपने घरों को सही सलामत देख पाते हैं।

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ठळक मुद्देदर्जनभर घरों के राख के ढेर में बदल जाने पर उनके वाशिंदों के सामने अब सिर छुपाने का सवाल पैदा हो गया है।घरों का सारा सामान भी राख के ढेर में कोयला बन चुका है और वे किसी को कोस भी नहीं सकते हैं।

जम्मू: शोपियां में साठ से अधिक घंटों तक चलने वाले वर्ष 2021 के सबसे बड़े सर्च ऑपरेशन ने कश्मीरियों के चेहरों पर चिंता के भाव पैदा कर दिए हैं। कारण स्पष्ट है।

साठ घंटों के भीतर दो आतंकियों को ढेर करने की खुशी सुरक्षाबलों को तो मिली थी पर, करीब दर्जनभर परिवारों के चेहरे मायूस हो गए थे क्योंकि उनके घर तहस नहस हो गए थे। ऐसा सुरक्षाबलों द्वारा जल्द से जल्द मुठभेड़ को खत्म करने की खातिर घरों को मोर्टार से उड़ा देने की नीति के कारण हुआ है।

शोपियां के रावपलपोरा में 60 घंटों की मशक्कत के बाद सुरक्षाबलों ने जैश ए मुहम्मद के चीफ कमांडर सज्जाद अफगानी को मार गिरा कर कश्मीरियों को उसके आतंक से मुक्ति तो दिलवा दी थी लेकिन दर्जनभर परिवारों को उनके सिरों को छत से भी मुक्ति दिलवा दी थी।

दरअसल, इतनी लंबी लड़ाई को खत्म करने की खातिर सुरक्षाबलों ने एक बार फिर से मोर्टार को अंतिम हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया था। नतीजा सामने था। सज्जाद अफगानी के छुपने वाले घर के साथ ही उसके साथ सटे हुए घर ताश के पत्तों के महल की तरह भर्रभर्रा कर गिर गए थे और वहां सिर्फ राख का ही ढेर बचा था।

दर्जनभर घरों के राख के ढेर में बदल जाने पर उनके वाशिंदों के सामने अब सिर छुपाने का सवाल पैदा हो गया है। घरों का सारा सामान भी राख के ढेर में कोयला बन चुका है। वे किसी को कोस भी नहीं सकते।

कश्मीरियों की मजबूरी यही है। यही कारण है कि जब भी किसी इलाके में कोई मुठभेड़ आरंभ होती है तो उस इलाके के रहने वाले अपने घरों को बचाने की दुआ करते हैं। पर कुछेक ही नसीबवाले होते हैं जो अपने घरों को सही सलामत देख पाते हैं।

टॅग्स :जम्मू कश्मीरआतंकवादी
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