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कश्मीर नए किस्म के चोरों से परेशान, कर रहे सेब की पेट्टियों और पेड़ों की चोरी

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: October 9, 2023 13:46 IST

पहले ही एक माह पूर्व कश्मीर के कई गांवों से सेब के बागानों में से सेब के पेड़ों को ही काट कर ले जाने की चोरी को अभी तक सुलझाया नहीं जा सका था। नई चोरी ने अब कश्मीरियों को मजबूर किया है कि आतंकी खतरे के बीच वे अपने सेब के बागानों की आप ही रक्षा करें।

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ठळक मुद्देपहले चोर सेब के पेड़ काट कर ले गए थे और अब सेब की फसल से भरी हुई पेट्टियों को।सिर्फ कचदूरा गांव में ही नहीं बल्कि शोपियां के जेनपोरा गांव में भी चोरों ने सेब की भरी हुई सैंकड़ों पेट्टियों पर हाथ साफ कर दिया है।अपने किस्म की पहली चोरी से पुलिस भी परेशान है।

जम्मू: कश्मीर के कचदूरा गांव का गुलाम अहमद शेख परसों रात से सोया नहीं है। उसके बागानों में एक माह के भीतर दूसरी चोरी हुई है। पहले चोर सेब के पेड़ काट कर ले गए थे और अब सेब की फसल से भरी हुई पेट्टियों को। सिर्फ कचदूरा गांव में ही नहीं बल्कि शोपियां के जेनपोरा गांव में भी चोरों ने सेब की भरी हुई सैंकड़ों पेट्टियों पर हाथ साफ कर दिया है।

अपने किस्म की पहली चोरी से पुलिस भी परेशान है। पहले ही एक माह पूर्व कश्मीर के कई गांवों से सेब के बागानों में से सेब के पेड़ों को ही काट कर ले जाने की चोरी को अभी तक सुलझाया नहीं जा सका था। नई चोरी ने अब कश्मीरियों को मजबूर किया है कि आतंकी खतरे के बीच वे अपने सेब के बागानों की आप ही रक्षा करें।

पुलिस ने इसकी पुष्टि की है कि पिछले 48 घंटों में शोपियां के इन दो गांवों से ही सिर्फ 560 सेब की पेट्टियां चोर ले गए। नतीजतन गयास अहमद खान सबसे अधिक परेशान है क्योंकि उसकी पूरी फसल ही गायब है। उसके चोरी गए सेबों की कीमत बाजार में पांच लाख रूपया है। गयास खान के बागान से कुछ ही दूरी पर राउफ अहमद मल्ला के बागान से भी सेब चोर 100 पेट्टियां लेकर फरार हो चुके हैं। 

फिलहाल पुलिस का कहना था कि वे मामले की जांच कर रहे हैं कि कोई कैसे इतनी पेट्टियां एकसाथ लेकर जा सकता है। कश्मीर में यह कोई पहली चोरी नहीं है जिसमें चोरों ने सेब की सैकड़ों पेट्टियों पर हाथ साफ किया हो। इसी महीने की 2 तारीख को पुलवामा में 200 क्रेट चोर ले गए थे तो सितम्बर महीने की 3 तारीख को गुलजार अहमद के सेब के बागान में घुस कर चोरों ने पूरी फसल ही तबाह कर दी थी।

इन बागानों के मालिकों की परेशानी यह है कि आतंकवाद के चलते लोग अपने बागानों  में रात को पहरा देने से भी डरते हैं। उन्होंने कुछ मजदूरों को अच्छा मेहनताना देकर इस काम के लिए कई बार तैयार भी किया, पर शोपियां में प्रवासी श्रमिकों पर अतीत में होने वाले हमलों के कारण प्रवासी श्रमिक भी भाग जाते रहे हैं। जबकि पुलिस सिर्फ जांच जारी है कह कर खानापूर्ति कर रही है।

टॅग्स :जम्मू कश्मीरएप्पल
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