सूर्य ग्रहणः अंधविश्वास में चार दिव्यांग बच्चों को गले तक गोबर युक्त में कीचड़ में गाड़ा, मां-बाप बोले- इलाज से ठीक नहीं हो रहे थे
By भाषा | Updated: December 26, 2019 18:39 IST2019-12-26T18:39:39+5:302019-12-26T18:39:39+5:30
सुल्तानपुर गांव में बच्चों के माता-पिता ने उनकी दिव्यांगता को दूर करने के लिये उन्हें कीचड़ में गले तक जिंदा गाड़ दिया। कीचड़ में कथित रूप से गोबर मिला था। अधिकारियों ने बताया कि पुलिस और जिला प्रशासन घटना की जानकारी मिलते ही घटनास्थल पर पहुंचे।

चिकित्सा उपचार से कोई मदद नहीं मिली तो हम इसे आजमाना चाहते थे।
कर्नाटक के कलबुर्गी जिले के एक गांव में बृहस्पतिवार को सूर्य ग्रहण के दिन चार बच्चों को उनकी विकलांगता दूर करने के लिये गले तक कीचड़ में गाड़ दिया गया।
एक ओर जहां देश के अधिकतर हिस्से सूर्य ग्रहण के गवाह बने, वहीं दूसरी ओर सुल्तानपुर गांव में बच्चों के माता-पिता ने उनकी दिव्यांगता को दूर करने के लिये उन्हें कीचड़ में गले तक जिंदा गाड़ दिया। कीचड़ में कथित रूप से गोबर मिला था। अधिकारियों ने बताया कि पुलिस और जिला प्रशासन घटना की जानकारी मिलते ही घटनास्थल पर पहुंचे।
उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने कुछ स्थानीय लोगों के साथ बच्चों को बाहर निकाला। मामले की जांच चल रही है। एक बच्ची के पिता ने कहा, "हम उसीका अनुसरण कर रहे थे जो हमारे बड़ों ने हमें बताई, जब चिकित्सा उपचार से कोई फायदा नहीं हुआ तो हमने इसे आजमाने का फैसला किया... हमें नहीं पता कि इससे हमारा बच्चा ठीक होगा या नहीं।
Karnataka: Three specially-abled children were buried up till the neck at Tajsultanpur village in Kalaburagi, during #SolarEclipse, earlier today as parents believed that their children will be cured of deformities by this. pic.twitter.com/8JncLKk4Xl
— ANI (@ANI) December 26, 2019
चिकित्सा उपचार से कोई मदद नहीं मिली तो हम इसे आजमाना चाहते थे।" एक अन्य बच्चे की मां ने कहा, "हमने अस्पतालों में बहुत पैसे खर्च किए, अब हम इसे आजमाना चाहते थे क्योंकि माना जाता है कि ग्रहण के दौरान ऐसा करना कारगर साबित होता है, लिहाजा हमने ऐसा किया।"
जिले के कुछ अन्य हिस्सों से भी ऐसी ही घटनाओं की खबर मिली है, जिनमें विजयपुरा जिले का इंडी इलाका भी शामिल है। अधिकारियों ने कहा कि पहले भी सूर्य ग्रहण के दौरान इलाके से ऐसी ही घटनाओं की खबरें मिलती रही हैं। बहरहाल, पहले के मुकाबले अब इनकी तादाद कम हो गई है।