कर्नाटक: मेंगलुरु में बुर्के के समर्थन में सैकड़ों लड़कियों ने किया प्रदर्शन, लगाया "बुर्का हमारा अधिकार है" का नारा

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: July 17, 2022 17:17 IST2022-07-17T17:03:32+5:302022-07-17T17:17:31+5:30

कर्नाटक के मेंगलुरु में कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया की ओर से आयोजित प्रदर्शन में बुर्का पहने सैकड़ों लड़कियों ने "इंकलाब जिंदाबाद" और "बुर्का हमारा अधिकार है" के नारे भी लगाए।

Karnataka: Hundreds of girls protest in support of burqa in Mangalore, raising the slogan "Burka is our right" | कर्नाटक: मेंगलुरु में बुर्के के समर्थन में सैकड़ों लड़कियों ने किया प्रदर्शन, लगाया "बुर्का हमारा अधिकार है" का नारा

कर्नाटक: मेंगलुरु में बुर्के के समर्थन में सैकड़ों लड़कियों ने किया प्रदर्शन, लगाया "बुर्का हमारा अधिकार है" का नारा

Highlightsकर्नाटक के मेंगलुरु में बुर्का पहने सैकड़ों लड़कियों ने "हिजाब हमारा अधिकार है" का नारा बुलंद कियासरकार बुर्के पर पाबंदियों लगाकर मुस्लिम छात्राओं को प्रताड़ित करने का काम कर रही हैकर्नाटक हाईकोर्ट शैक्षिक संस्थाओं में बुर्के पहनने की मांग वाली याचिका को पहले ही खारिज कर चुकी है

बेंगलुरु: कर्नाटक के मंगलुरु में शैक्षिक संस्थाओं में लगे बुर्के के प्रतिबंध के खिलाफ कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई) की अगुवाई में सैकड़ों लड़कियों ने शनिवार को विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान लड़कियों ने "इंकलाब जिंदाबाद" और "बुर्का हमारा अधिकार है" के नारे भी लगाए।

सीएफआई की ओर से आयोजित इस प्रदर्शन में लड़कियों ने एक नाटक के जरिये भाजपा विधायक रधुपति भट के उस टिप्पणी का विरोध भी किया, जिसमें उन्होंने बुर्के का विरोध किया था।

समाचार वेबसाइट 'द न्यूज मिनट' के अनुसार इस आयोजन के संबंध में जानकारी देते हुए मंगलुरु के कमिश्नर एन शशि कुमार ने कहा कि लड़कियों का विरोध-प्रदर्शन शांत रहा। हालांकि जिला प्रशासन ने सीएफआई को शहर में ज्योति सर्कल से टाउन हॉल रैली की आयोजित करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था।

सीएफआई की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में संगठन की मेंबर फातिमा उस्मान ने कहा कि सरकार बुर्के पर पाबंदियों लगाकर मुस्लिम छात्राओं को प्रताड़ित करने का काम कर रही है।

उन्होंने कहा, "हम टीपू सुल्तान की संतान हैं और सरकार के इस तरह के फैसले से डरने वाले नहीं हैं, हम डॉक्टर बीआर अंबेडकर को फॉलो करते हैं।"

मालूम हो कि कर्नाटक में बुर्के को लेकर विवाद तब शुरू हुआ था जब उडुपी विमेंस प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज की छह छात्राओं ने कॉलेज प्रशासन से कॉलेज कैंपस में बुर्का पहनने की मांग की थी, जिसे कॉलेज ने ठुकरा दिया था।

इसके बाद यह मामला बीते मार्च में कर्नाटक हाईकोर्ट गया था, जहां स्पेशल बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए कॉले कैंपस में बुर्का पहनने की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया था।

कर्नाटक हाईकोर्ट की स्पेशल बेंच ने अपने फैसले में कहा था कि चूंकि बुर्का पहनना इस्लाम की अनिवार्य प्रथा नहीं है। इसलिए इसे किसी कॉलेज या शिक्षण संस्थान पर नहीं थोपा जा सकता है। ये पूरी तरह से कॉलेज के अधिकार क्षेत्र का विषय है और इस मामले में फैसले लेने के लिए शिक्षम संस्थान पूरी तरह से मुक्त हैं।

उसके बाद यह मामला सीधे देश की सर्वोच्च अदालत में पहुंचा, जहां कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई पर अपनी सहमति प्रदान करते हुए सूचिबद्ध किया है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण की दलीलों को सुन चुकी है।

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