बेंगलुरु: कर्नाटक के हावेरी से भारतीय जनता पार्टी के विधायक नेहरू ओलेकर ने पार्टी द्वारा विधानसभा चुनाव में टिकट काटे जाने के बाद पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। विधायक नेहरू ओलेकर से पहले मुदिगेरे विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के विधायक एमपी कुमारस्वामी ने भी पार्टी द्वारा टिकट काटे जाने के बाद पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। बीते बुधवार की रात भाजपा केंद्रीय चुनाव समिति द्वारा जारी की गई दूसरी सूची के बाद पार्टी को अब तक दो झटके लग चुके हैं।
भाजपा ने दूसरी सूची के तहत कुल 23 प्रत्याशियों के नाम का ऐलान किया था। जिसके पहले पार्टी 189 प्रत्याशियों के नाम के साथ पहली सूची जारी कर चुकी थी यानी भाजपा की ओर से कुल 224 सीटों में से 212 सीटों पर प्रत्यशियों का ऐलान तो कर दिया है लेकिन इन नामों की घोषणा भाजपा के लिए भारी सिरदर्द साबित हो रहा है।
भाजपा में विधायकों की बगावत और असंतोष की ताजा स्थिति पर बात करें तो हावेरी विधानसभा क्षेत्र के मौजूदा 65 वर्षीय विधायक नेहरू ओलेकर ने पार्टी आलाकमान द्वारा उनका टिकट काटे जाने पर पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया है। भाजपा ने विधायक नेहरू ओलेकर की जगह हावेरी (सुरक्षित) सीट पर गविसिद्दप्पा दयमन्नावर को टिकट दिया है।
अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखने वाले और भाजपा के टिकट पर दो बार विधायक चुने गये विधायक ओलेकर ने भाजपा के वरिष्ठ नेताओं पर हमला करते हुए आरोप लगाया है कि भाजपा ने उनके साथ छल किया है। जानकारी के मुताबिक हावेरी में जब से इस बात की जानकारी विधायक ओलेकर के समर्थकों को मिली है, वह पार्टी द्वारा उनकी अनदेखी करने के विरोध में सड़कों पर उतर गये हैं और विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
पार्टी द्वारा टिकट काटे जाने से नाराज विधायक ओलेकर बेहद गुस्से में हैं और उनका दावा है कि केवल वो नहीं बल्कि हावेरी के हजारों भाजपा कार्यकर्ता पार्टी के इस फैसले के खिलाफ प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहे हैं। उन्होंने कहा, "पार्टी ने हमारे साथ छल किया है। भाजपा में अब ऊर्जावान और संघर्षशील कार्यकर्ताओं की कोई जगह नहीं रही। फिलहाल हम समर्थकों से राय करेंगे और उसके बाद कोई उचित फैसला लेंगे।"
इसके साथ ही विधायक नेहरू ओलेकर ने कहा कि भाजाप ने भारी भूल की है, उनके पास जेडीएस के साथ-साथ कई अन्य पार्टियों से चुनाव लड़ने का न्योता है। मालूम हो कि भाजपा विधायक नेहरू ओलेकर को कोर्ट ने इस साल की शुरुआत में भ्रष्टाचार के आरोप में दो साल साधारण कारावास की सजा सुनाई गई थी।
विधायक नेहरू ओलेकर पर आरोप था कि उन्होंने कथित तौर पर अपने पुत्र को सरकारी ठेके दिलवाये, जिसमें धन का भारी दुरुपयोग किया गया। हालांकि निचली अदालत से मिली सजा को बाद में कर्नाटक हाईकोर्ट ने स्टे दे दिया। विधायक ओकेकर पर यह मामला अभी भी हाईकोर्ट में विचाराधीन है।