बेंगलुरु: कर्नाटक कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के प्रमुख एमबी पाटिल ने सत्ताधारी दल भाजपा को घेरते हुए आरोप लगाया कि 10 मई को मतदान और 13 मई को नतीजे आने के बाद जो विधानसभा का स्वरूप बनेगा, उसमें सत्तधारी भाजपा के 'ऑपरेशन कमल' चलाने का कोई विकल्प नहीं मिलेगा क्योंकि कांग्रेस विधानसभा की कुल 224 सीटों में से कम से कम 130 सीटों पर जीत दर्ज करके पूर्ण बहुमत की सरकार बनाएगी।
इसके साथ ही एमबी पाटिल ने कर्नाटक कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद को लेकर आंतरिक लड़ाई और भाजपा से कांग्रेस में आने वाले जगदीश शेट्टर एवं लक्ष्मण सावदी से किसी भी प्रकार का भेदभाव किये जाने से इनकार करते हुए कहा कि पार्टी में किसी भी नेता के लिए मुख्यमंत्री पद की आकांक्षा रखना गलत नहीं होता और जहां तक शेट्टर एवं सावदी का सवाल है तो कांग्रेस समावेशी पार्टी है और इसमें सभी बराबर हैं। किसी के साथ कोई अलगाव या अनदेखी करने का सवाल नहीं पैदा होता है।
पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के शासनकाल में गृह और जल संसाधन मंत्री रहे एमबी पाटिल ने कहा कि जगदीश शेट्टार और लक्ष्मण सावदी के कांग्रेस में शामिल होने के बाद न तो उन्हें दरकिनार किया गया है और न ही पार्टी में उनका महत्व कम हुआ है।
उन्होंने कहा, "पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टर हुबली-धारवाड़ सीट के अलावा विजयपुरा जिले के आठ विधानसभा क्षेत्रों पर अपना व्यापक प्रभाव रखते हैं। वो लिंगायत समुदाय के बनिगा उपसमूह से ताल्लुक रखते हैं। उन्हीं में से एक बाबलेश्वर सीट से मैं स्वयं चुनाव लड़ रहा हूं। इसके अलावा लक्ष्मण सावदी भी लिंगायत समुदाय के उप संप्रदाय गनिगा से आते हैं और उनका भी अपना अच्छा-खासा प्रभाव है। इसलिए वो भी कम से कम 10-12 निर्वाचन क्षेत्रों में अपना असर रखते हैं। सावदी और शेट्टर कांग्रेस के लिए बेहद फायदेमंद होंगे।"
पाटिल ने भाजपा पर हमला करते हुए कहा, "भाजपा के लिए सबसे दुखद बात यह है कि वो इस बार 'ऑपरेशन कमला' नहीं चला पाएंगे। कांग्रेस अपने बल पर कम से कम 130 सीटें जीत रही है। इस कारण भाजपा और जेडीएस के पास सरकार बनाने के लिए पर्याप्त संख्या बल नहीं होगा। इसके साथ ही हमें यह भी याद रखना चाहिए कि 2018 के चुनाव में भाजपा बहुमत से सत्ता में नहीं आई थी। जबकि भाजपा ने लिंगायत समुदाय के प्रभावशाली नेता बीएस येदियुरप्पा को सीएम उम्मीदवार बनाया था। लेकिन क्या हुआ भाजपा को महज 105 सीटें मिली थीं।"
एमबी पाटिल ने इसके आगे कहा, "भाजपा में अब तो माइनस येदियुरप्पा हैं, इस कारण से उसका अपने दम पर सत्ता में आने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता। 2018 में वो 'ऑपरेशन कमला' के जरिए हमारे 17 विधायकों को खरीदकर सत्ता में आये थे। उसमें भाजपा ने कांग्रेस से जाने वाले हर विधायक पर 100 करोड़ रुपये खर्च किया था। भाजपा ने 2018 के 'ऑपरेशन कमल' में 1700 करोड़ रुपये खर्च किये थे।"
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पाटिल ने कांग्रेस में खुद को मुख्यमंत्री पद से दरकिनार किये जाने की खबरों का खंडन करते हुए कहा, "मुझे कभी दरकिनार नहीं किया गया है और न ऐसी कोई बात है। मुख्यमंत्री पद को लेकर सभी की आकांक्षाएं हैं और इसमें गलत क्या है। क्या भाजपा नेताओं की आकांक्षाएं नहीं हैं? हमारे यहां सिद्धारमैया, डीके शिवकुमार और मल्लिकार्जुन खड़गे के अलावा कई और भी नेता हैं, जो मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं। लेकिन इस विषय पर अंतिम फैसला पार्टी आलाकमान करेगा।"
उन्होंने कहा, मैं भी मुख्यमंत्री पद का दावेदार हूं और मैं खुलकर यह बात कहता हूं। कांग्रेस में केवल मैं ही नहीं बल्कि जी परमेश्वर, कृष्णा बायरेगौड़ा, रामलिंगा रेड्डी, एचके पाटिल, आरवी देशपांडे जैसे भी नेता हैं, जो मुख्यमंत्री बनने में सक्षम हैं। लेकिन कांग्रेस में जो भी होगा, वो विधायकों के चुनाव और आला कमान की इच्छा पर निर्भर करेगा।"