बेंगलुरु: कर्नाटक चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस को समान रूप से चुनौती दे रही पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा की पार्टी जनता दल सेक्यूलर (जेडीएस) ने 224 विधानसभा की सीटों में कुल 208 सीटों पर प्रत्याशियों के नाम का ऐलान किया है, जिसमें 28 ऐसे उम्मीदवार हैं, जो भाजपा और कांग्रेस से बगावत करके जेडीएस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।
इस लिहाज से 2023 का विधानसभा चुनाव बेहद दिलचस्प हो गया है और ऐसा लगता है कि जेडीएस भाजपा और कांग्रेस से आने वाले नेताओं के जरिये दोनों को मात देने की फिराक में है। राज्य के चुनाव को बेहद नजदीक से देखने वाले चुनावी विशेषज्ञों का कहना है कि जेडीएस अपने जनाधार के साथ कांग्रेस और भाजपा के बागी नेताओं को साथ लेकर उनके भी वोटबैंक में सेंधमारी का पुख्ता इंतजाम कर रही है।
जेडीएस को 28 बागी नेताओं को अपने टिकट पर चुनाव लड़ाने का फायदा उन निर्वाचन क्षेत्रों में मिलने की उम्मीद है, जहां पार्टी की मौजूदगी दूसरे या तीसरे पायदान पर होती है। कांग्रेस और भाजपा को उन्हीं के बागियों के हाथों चित करने का दांव जेडीएस ने बीते एक महीने में खेला है और 28 बागियों को साथ लाकर दोनों दलों के लिए भारी परेशानी खड़ी कर दी है।
दोनों दलों से आने वाले महत्वपूर्ण बागियों की बात करें तो उनमें सबसे प्रमुख हैं, शिमोगा सीट पर जेडीएस के टिकट से चुनाव लड़ने वाले भाजपा के पूर्व एमएलसी अयानूर मंजूनाथ। वहीं भाजपा के पूर्व विधायक एमपी कुमारस्वामी भी जेडीएस के टिकट पर मुदिगेरे से चुनाव लड़ रहे हैं। पार्टी ने कांग्रेस के पूर्व एमएलसी रघु अचार को चित्रदुर्ग से चुनावी मैदान में उतारा है। जेडीएस में शामिल होने वाले अधिकांश कांग्रेस और भाजपा के बागी नेता पुराने मैसूर क्षेत्र के बाहर से हैं, जिसे जेडीएस का गढ़ माना जाता है।
बागी प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारने के लिहाज से देखें तो इस बात की पूरी संभावना है कि चुनाव के बाद जेडीएस किंगमेकर बनने की भूमिका में उभर सकती है ऐसा इसलिए क्योंकि पार्टी ने अनिल लाड को भी शामिल करके बेल्लारी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का टिकट दे दिया है। अनिल लाड वही नेता हैं, जिन्हें बेल्लारी में अवैध खनन घोटाले के मामले में कुख्यात रेड्डी बंधुओं, जी सोमशेखर रेड्डी, जनार्दन रेड्डी और करुणाकर रेड्डी के साथ गिरफ्तार किया गया था।
वहीं कडूर निर्वाचन क्षेत्र से भी कांग्रेस से पूर्व विधायक वाईएसवी दत्ता भी जेडीएस खेमे से ताल ठोंक रहे हैं। इसके अलावा जेडीएस ने येदियुरप्पा के एक रिश्तेदार एनआर संतोष को मैदान में उतारा है, जो कभी बीवाई विजयेंद्र के करीबी थे। ये वही एनआर संतोष हैं, जिन्होंने कथित तौर पर साल 2019 में 17 बागी कांग्रेस और जेडीएस के विधायकों को तोड़कर एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार को गिराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
इनके अलावा जेडीएस ने चुनाव से पहले यादगीर में एबी मालाकारेड्डी, कुमटा में सूरज सोनी नाइक, उत्तरी मंगलुरु में मोहिउद्दीन बावा और अर्कलगुड में ए मंजू को पार्टी में मिलाकर भाजपा औऱ कांग्रेस को भारी धक्का पहुंचाया है।