बेंगलुरु: कर्नाटक की सियासत में और खासकर सत्ताधारी भाजपा में हुबली-धारवाड़ सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे भाजपा के बागी और पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टर को लेकर भयानक गहमा-गहमी मची हुई है। जगदीश शेट्टर का कहना है कि भाजपा ने दशकों साथ रहने के बाद भी उनके साथ धोखा किया और वो अपने चुनावी राजनीति का आखिरी चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। वहीं अब भाजपा की ओर से कहा जा रहा है कि हुबली विधानसभा क्षेत्र में जगदीश शेट्टर के खिलाफ जबरदस्त सत्ता विरोधी लहर थी, जिसके कारण पार्टी को उनका टिकट काटना पड़ा।
इस संबंद में भाजपा के राज्यसभा सांसद और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने शेट्टर की विधानसभा क्षेत्र हुबली में एक बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि भाजपा के शीर्ष नेताओं ने जगदीश शेट्टर से इस बार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने के लिए कहा था क्योंकि उनके निर्वाचन क्षेत्र में उनके खिलाफ बेहद तीव्र सत्ता विरोधी लहर थी।
सुशील मोदी ने बीते गुरुवार को हुबली में पत्रकारों से बात करते हुए कहा, "केंद्रीय चुनाव समिति और पार्टी के शीर्ष नेताओं ने जगदीश शेट्टर से साफ कहा था कि अगर पार्टी उन्हें टिकट देती है तो हो सकता है कि हुबली सीट पार्टी हार जाए क्योंकि उनके खिलाफ लोगों में जबरदस्त गुस्सा है। पार्टी ने उन्हें टिकट से देने से इनकार किया लेकिन साथ ही उनकी नाराजगी को भी दूर करने का प्रयास किया गया। उन्हें राज्यसभा भेजने और परिवार के किसी सदस्य को टिकट देने का विकल्प दिया गया लेकिन बावजूद उसके शेट्टर कांग्रेस में शामिल हो गए।"
इसके साथ ही उन्होंने जगदीश शेट्टर को लेकर यह भी कहा, "भाजपा एक ऐसी पार्टी है, जिससे अगर कोई दूसरे दल में जाता है तो वहां वो सफल नहीं हो सकता क्योंकि दूसरे दलों में न तो लोकतंत्र है और वो पार्टियां कार्यकर्ताओं के बल पर बनी है। वंशवाद के सहारे चलने वाली पार्टियों में लोकतांत्रिक माहौल हो ही नहीं सकता। इस कारण मुझे कम उम्मीद है कि जगदीश शेट्टर को कभी वो इज्जत मिलेगी, जो उन्हें भाजपा में मिला करता था।"
भाजपा नेता सुशील मोदी ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भाजपा के केंद्रीय नेताओं और मंत्रियों के शामिल होने और उनके द्वारा पार्टी प्रत्याशियों के प्रचार को सही ठहराते हुए कहा गया, "इसमें कौन सी खामी है, पार्टी के नेताओं को हक है कहीं भी और किसी भी चुनाव में प्रचार करने का। केंद्र और राज्य में अगर एक ही पार्टी की सरकार बनती है तो केंद्रीय योजनाओं को राज्य में लागू करना आसान होता है। इससे प्रदेश का विकास होती है।"