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Karnataka Assembly Elections 2023: कांग्रेस ने कहा, "जगदीश शेट्टर और लक्ष्मण सावदी का आना लिंगायतों की घर वापसी है"

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: April 20, 2023 14:45 IST

कर्नाटक में विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा से बगावत करते लिंगायत समुदाय के दो प्रमुख नेता जगदीश शेट्टर और लक्ष्मण सावदी खुद कांग्रेस के पाले में आ गये हैं। इससे कांग्रेसी खेमे में भारी उत्साह है।

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ठळक मुद्देजगदीश शेट्टर और लक्ष्मण सावदी के कांग्रेस में शामिल होने से पार्टी को बड़ा बल मिला है कांग्रेस शेट्टर और सावदी के आने की घटना को लिंगायत वोटों की घर वापसी बता रही हैराजीव गांधी के वक्त में तत्कालीन सीएम वीरेंद्र पाटिल को हटाये जाने से लिंगायत कांग्रेस से दूर हो गये थे

बेंगलुरु: कर्नाटक विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी भाजपा के खिलाफ संघर्ष कर रही कांग्रेस को जगदीश शेट्टर और लक्ष्मण सावदी के भाजपा छोड़कर पार्टी में शामिल होने से बड़ा बल मिला है। कांग्रेस इसे लिंगायत वोटों की घर वापसी बता रही है। साल 2018 के चुनाव में कांग्रेस के पराजय में लिंगायत समुदाय की बहुत बड़ी भूमिका मानी जा रही थी। लेकिन चूंकि इस बार भाजपा से बगावत करते लिंगायत समुदाय के दो प्रमुख नेता जगदीश शेट्टर और लक्ष्मण सावदी खुद कांग्रेस के पाले में आ गये हैं तो इससे कांग्रेसी खेमे में भारी उत्साह है।

कर्नाटक कांग्रेस चुनाव अभियान के प्रमुख एमबी पाटिल के अनुसार इससे पार्टी को अवश्य चुनावी लाभ मिलेगा और पार्टी की एक बार फिर लिंगायत समुदाय में वही पकड़ होगी, जो 90 के दशक से पहले हुआ करती थी। दरअसल पूरे कर्नाटक में लिगायत समुदाय का तकरीबन 17 फीसदी वोटबैंक है और ये समुदाय राजीव गांधी के वक्त में कांग्रेस से इस कारण से छिटक गया था क्योंकि राजीव गांधी ने अक्टूबर 1990 को कर्नाटक के दावणगेरे में एक शोभायात्रा के दौरान हुए दंगे के कारण बीमारी से बिस्तर पर पड़े तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरेंद्र पाटिल को बेंगलुरु एयरपोर्ट पर ही मुख्यमंत्री पद से हटाने का ऐलान कर दिया था।

जिस तरह से आज के दौर में भाजपा के बीएस येदियुरप्पा लिंगायत समुदाय के सबसे प्रभावशाली नेता माने जाते हैं, ठीक उसी तरह की स्थिति उस समय वीरेंद्र पाटिल की थी लेकिन राजीव गांधी ने उसे बीमारी में सीएम पद से हटाकर पूरे लिंगायत समुदाय को नाराज कर दिया और उसी का नतीजा रहा कि कांग्रेस ने 1989 में वीरेंद्र पाटिल की अगुआई में 178 सीट जीती थी लेकिन 1994 के चुनाव में उसे महज 34 सीटें मिली। लिंगायत समुदाय के बल पर ही भाजपा 1989 के 4 सीटों से 1994 में 40 सीटों तक पहुंच गई।

लिंगायत समुदाय की उस नाराजगी का खामयाजा कांग्रेस पार्टी आज तक उठा रही है। लेकिन अब कांग्रेस को लगता है कि भाजपा ने जगदीश शेट्टर और लक्ष्मण सावदी जैसे नेताओं को टिकट न देकर कांग्रेस की 1990 वाली गलती कर दी है और इसका सीधा फायदा अब कांग्रेस को लिंगायतों की घर वापसी के तौर पर मिलेगा।

समाचार वेबसाइट डेक्कन हेराल्ड के साथ बातचीत में एमबी पाटिल ने कहा भाजपा ने गद्दी पाने के लिए लिंगायत समुदाय इस्तेमाल वोट बैंक के रूप में किया है और राजनीतिक लाभ उठाने के बाद शेट्टर और सावदी जैसे कई नेताओं को छोड़ दिया। उन्होंने कहा कि शेट्टर और सावदी दो बड़े लिंगायत नेता हैं।

उन्होंने कहा कि शेट्टर लिंगायत समुदाय की बनजिगा उप-संप्रदाय से आते हैं और इनकी हुबली-धारवाड़, हावेरी और गदग क्षेत्र में अच्छी पकड़ है। वहीं लक्ष्मण सावदी गनिगा उप-संप्रदाय से आते हैं और इनका येलबुर्गा, अथानी, निप्पानी और कल्याण कर्नाटक के बड़े हिस्से में अच्छा खासा प्रभाव है। इन दोनों नेताओं के कांग्रेस में शामिल होने से कम से कम 14-16 निर्वाचन क्षेत्रों में कांग्रेस की चुनावी स्थिति मजबूत होगी।

पाटिल ने कहा कि भाजपा ने जिस तरह से बीएस येदियुरप्पा के कंधे पर साख बनाई और फिर उन्हें मुख्यमंत्री पद छोड़ने के लिए कह दिया। उससे साफ पता चलता है कि भाजपा को लिंगायत समुदाय से कोई मतलब नहीं है। हाल ही में शेट्टर और सावदी का जिस तरह से अपमान किया गया। उससे लिंगायतों में बड़ा संदेश गया है कि भाजपा लिंगायतों को धोखा दे रही है।

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