Karnataka Assembly Elections 2023: बीएल संतोष ने जगदीश शेट्टर के आरोपों पर किया पलटवार, बोले- "मैं किसी का प्रतियोगी नहीं हूं"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: April 23, 2023 07:52 AM2023-04-23T07:52:00+5:302023-04-23T07:55:20+5:30
मैसूर: भारतीय जनता पार्टी के संगठन महासचिव बीएल संतोष ने भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा वक्त में कांग्रेस के टिकट पर हुबली-धारवाड़ सीट से चुनाव लड़ रहे जगदीश शेट्टर के उन आरोपों पर पलटवार किया है। जिसमें जगदीश शेट्टर ने बीएल संतोष पर सीधा आरोप लगाया था कि उनके कारण भाजपा ने विधानसभा चुनाव में उनका टिकट काट दिया था। अब मामले में सफाई देते हुए बीएल संतोष ने कहा कि सारे आरोप बेबुनियाद हैं क्योंकि मैं भाजपा में किसी का प्रतियोगी नहीं हूं।
राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ से भाजपा में आकर पार्टी के संगठन की जिम्मेदारी संभाल रहे बीएल संतोष ने कहा कि जगदीस शेट्टर गलत बयानी कर रहे हैं क्योंकि वह तो भाजपा में किसी को प्रतियोगी भी नहीं हैं। उन्होंने कहा, "पार्टी में कई नेता हैं लेकिन मैं तो किसी से मुकाबला करने लिए खड़ा भी नहीं हूं।" यह कहने के बाद संतोष ने पत्रकारों को पास में खड़े मैसूर से भाजपा के सांसद प्रताप सिम्हा से बात करने का इशारा किया।
बीएल संतोष ने बयान देकर जगदीश शेट्टर के आरोपों को नकारा है, जिसमें शेट्टर द्वारा सार्वजनिक रूप से उनका नाम लिया गया था और कहा गया था कि भाजपा ने हुबली-धारवाड़ (सेंट्रल) से उनका टिकट संतोष के कहने पर काटा है। इस वजह से वो कांग्रेस में शामिल होने के लिए मजबूर हुए। भाजपा ने जगदीश शेट्टर की जगह महेश तेंगिंकायी को मैदान में उतार दिया, जिन्हें बीएल संतोष का नजदीकी समझा जाता है।
मालूम हो कि कर्नाटक के सियासी हलके में बीएल संतोष को बेहद प्रभावशाली नेताओं में माना जाता है। उडुपी में जन्मे संतोष को कर्नाटक भाजपा के दिग्गज बीएस येदियुरप्पा के प्रमुख प्रतिद्वंद्वी माना जाना जाता है। माना जाता है कि कर्नाटक भाजपा में बीएस येदियुरप्पा के बाद बीएल संतोष दूसरे सबसे प्रभावी नेता हैं।
मैसूर में पार्टी का प्रचार करने के लिए पहुंचे संतोष ने दावा किया कि 99 फीसदी सर्वे भाजपा के पक्ष में है, चुनाव बाद भाजपा कर्नाटक में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी। इसके साथ ही कांग्रेस और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया निशाना साधते हुए बीएल संतोष ने कहा कि भाजपा को अपने मुख्यमंत्री के लिए निर्वाचन क्षेत्र की तलाश करने की कोई जरूरत नहीं है। मैसूर के रहने वाले सिद्धारमैया को को अन्य क्षेत्रों में उम्मीदें खोने के बाद वरुणा लौटना पड़ा।
उन्होंने कहा, “सिद्धारमैया को अपनी इज्जत बचाने के लिए वरुणा से चुनाव लड़ना पड़ा, इसमें उन्होंने कोई कुर्बानी नहीं दी है। असली त्याग तो केएस ईश्वरप्पा और एसए रामदास ने किया है।" उन्होंने सिद्धारमैया द्वारा अपने पोते धवन राकेश को अपने राजनैतिक उत्तराधिकारी के तौर पर पेश करने पर कहा, "मुझे कांग्रेस पार्टी और कार्यकर्ताओं पर दया आती है। जब तक कांग्रेस में सामंतवादी सोच वाले नेता रहेंगे प्रदेश की जनता उन्हें कभी स्वीकार नहीं करेगी।"