बेंगलुरु: भाजपा ने कांग्रेस द्वारा जगदीश शेट्टर और लक्ष्मण सावदी को लिंगायतों की घर वापसी से जोड़ने के प्रयास को पलीता लगाने के लिए 'लिंगायत मुख्यमंत्री' का नारा दे दिया है। दरअसल भाजपा कांग्रेस के उस नैरेटिव पर हमला कर रही है, जिसमें कांग्रेस सत्ताधारी भाजपा को लिंगायत विरोधी कहकर प्रचारित कर रही थी और उसके लिए कांग्रेस भाजपा द्वारा जगदीश शेट्टर के साथ लक्ष्मण सावदी समेत तमाम लिंगयात नेताओं का टिकट काटे जाने को मुद्दा बना रही थी।
कांग्रेस के इस मुहिम से भाजपा में भी बेचैनी थी क्योंकि कर्नाटक में केवल लिंगायत समुदाय ही एक मुश्त वोट करके भाजपा को सत्ता के शिखर पर पहुंचाने का काम कर रहा था। कांग्रेस द्वारा भाजपा को "लिंगायत विरोधी" बताने पर अब पार्टी ने मजबूती से पलटवार किया है और "लिंगायत मुख्यमंत्री" अभियान छेड़कर कांग्रेस को चित करने का प्रयास शुरू कर दिया है।
दरअसल कर्नाटक की राजनीतिक में लिंगायत समुदाय बेहद प्रभावशाली माना जाता है क्योंकि राज्य के उत्तरी हिस्से में लगभग 17 फीसदी वोट लिंगायत समुदाय से आता है और 90 के दशक के बाद कर्नाटक में भाजपा के उत्थान में लिंगायत समुदाय का विशेष स्थान रहा है। लेकिन जगदीश शेट्टर और लक्ष्मण सावदी के कांग्रेस में जाने से भाजपा को लिंगायत समुदाय के वोटों में कांग्रेस की सेंधमारी का भय सता रहा है।
यही कारण है कि बीते बुधवार शाम में भाजपा के लिंगायत नेताओं ने लिंगायत नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के आवास पर मुलाकात की। जहां सभी नेता कांग्रेस के आरोपों के खिलाफ 'लिंगायत मुख्यमंत्री' के नारे पर एकमत से तैयार हुए। इस संबंध में गुरुवार को पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने बैठक की पुष्टि करते हुए कहा कि सबने एक मत से तय किया कि लिंगायत समुदाय को लेकर कांग्रेस द्वारा फैलाई जा रही "गलत सूचना" का दृढ़ता से मुकाबला करना चाहिए।
उन्होंने कहा, बैठक में कर्नाटक भाजपा के प्रभारी धर्मेद्र प्रधान भी थे। जिसमें सुझाव दिया गया कि भाजपा द्वारा 'लिंगायत सीएम' लगाया जाना चाहिए। बैठक में प्रधान ने कहा कि हम लिंगायत सीएम का नारा लेकर जनता के बीच पार्टी की भावनाओं के लेकर जाएं। इसके साथ ही सीएम बोम्मई ने कहा कि पिछले 50 सालो में 1967 से लेकर अब तक केवल वीरेंद्र पाटिल के नौ महीने के कार्यकाल को छोड़ दें तो कांग्रेस ने कभी किसी लिंगायत को मुख्यमंत्री नहीं बनाया है और हम इस बात को लेकर जनता के बीच जाएंगे।
भाजपा द्वारा दिये गये 'लिंगायत सीएम' नारे में एक दिलचस्प पहलू यह भी है कि कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद के दो प्रबल दावेदार, जिनमें से एक कर्नाटक कांग्रेस के मुखिया डीके शिवकुमार हैं और दूसरे पूर्व मुख्यमंत्री सिद्दारमैया हैं। ये दोनों लिंगायत समुदाय से नहीं आते हैं। डीके शिवकुमार मैसूर कर्नाटक के प्रभावशाली वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं, जिनकी जनसंख्या लगभग 12 से 15 फीसदी है।
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पिछड़ी हुई कुरुबा समुदाय से ताल्लूक रखते हैं। अब कांग्रेस के लिए यह मुश्किल जरूर पैदा होगी कि उसके यहां लिगायत से उतने प्रभावशाली नेता नहीं है, वैसे कर्नाटक कांग्रेस चुनाव अभियान के प्रमुख एमबी पाटिल लिंगायत समुदाय से जरूर आते हैं, लेकिन मुख्यमंत्री पद की दावेदारी में वो डीके शिवकुमार और सिद्दारमैया से काफी पीछे हैं। अब देखना ये है कांग्रेस भाजपा के दिये 'लिंगायत सीएम' नारे का मुकाबला कैसे करती है, जो शेट्टर और सावदी के कांग्रेस में आने को लिंगायतों की घर वापसी से जोड़ रही है।