दिल्ली: राज्यसभा सांसद और पूर्व कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल ने 2024 के आम चुनाव को लेकर कहा कि यदि भाजपा का मुकाबला करना है तो विपक्षी दलों के पास कांग्रेस की अगुवाई में साथ आने के अलावा और दूसरा विकल्प नहीं है। राजनेता के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि विपक्षी दलों की एकता कांग्रेस की धुरी में ही निहित है लेकिन विपक्षी दलों को एक मजबूत गठबंधन बनाने के लिए एक-दूसरे की विचारधाराओं की आलोचना करते वक्त बेहद सावधान बरतनी चाहिए।
सिब्बल ने रविवार को विपक्षी दलों का आह्वान करते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार का सत्ता से हटाने के लिए सभी राजनीतिक दलों को एक साझा मंच बनाने की गंभीर आवश्यकता है। समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि 2024 के लिए विपक्षी गठबंधन का चेहरा होना जरूरी नहीं है, सब कांग्रेस के नेतृत्व में एक साथ रहें, इतना ही काफी है।
उन्होंने 2004 में इंडिया शाइनिंग का नारा देने के बावजूद हारने वाले अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के वक्त का हलावा देते हुए कहा कि उस समय भी विपक्ष का कोई चेहरा नहीं था, बावजूद विपक्ष ने अटल सरकार को सत्ता से बाहर कर दिया था। इसके साथ ही सिब्बल ने जोर देकर कहा कि 2024 में भाजपा से मुकाबला करने के लिए निश्चित तौर पर कांग्रेस की अगुवाई होनी चाहिए तभी विपक्षी दल एक धुरी पर मोदी सरकार का मुकाबला करने में सक्षम हो पाएंगे।
जब कपिल सिब्बल से यह पूछा गया कि क्या वो कांग्रेस द्वारा लगातार घेरे जा रहे अडानी समूह के पक्ष में एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार के बयान को विपक्षी एकता के लिए भारी झटका समझते हैं, सिब्बल ने कहा, "ऐसा नहीं है, आप यदि मुद्दों को सीमित करते हैं, तो मंच साझा करने वाले राजनीतिक दलों के बीच आपसी मतभेद हो सकते हैं। लेकिन यदि आप एक व्यापक सहयोगी मंच इकट्ठा हैं, तो वह किसी खास या संकीर्ण मुद्दे पर आपसी असहमति के बावजूद अन्य तमाम मुद्दों पर आम सहमति के कारण एकजुट रहते हैं।"
उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि राहुल गांधी का नजरिया भारत में क्रोनी कैपिटलिज्म को गंभीर खतरा मानता है, जबकि शरद पवार जी की सोच क्रोनी कैपिटलिज्म पर राहुल गांधी से इतर है। इसलिए हमें इन व्यापक मुद्दों को देखते हुए साझा प्लेटफार्म की आवश्यकता है, जो यह सुनिश्चित कर सके विपक्ष तमाम ऐसे मुद्दों से परे एकजुट रहे।"
सिब्बल ने कहा, "अलग-अलग दलों को अलग-अलग विचार रखने की अनुमति होनी चाहिए। हमें राहुल गांधी को एक व्यक्ति पर विचार रखने की अनुमति देनी चाहिए और शरद पवार को भी अपना दृष्टिकोण रखना चाहिए। केवल ऐसे मुद्दे विपक्षी एकता के खिलाफ उदाहरण को तौर पर नहीं पेश किये जाने चाहिए।"
कपिल सिब्बल पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के यूपीए-एक और दो के दौरान मंत्री रहे। सिब्बल ने पिछले साल मई में कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी और समाजवादी पार्टी के समर्थन से बतौर निर्दलीय राज्यसभा के लिए चुने गए थे।