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कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, "संसद धारा 370 को निरस्त करने के प्रस्ताव के जरिये खुद को 'संविधान सभा' नहीं कह सकती"

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: August 2, 2023 13:45 IST

सुप्रीम कोर्ट में धारा 370 के मामले की सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा कि संसद अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के प्रस्ताव के जरिए यह नहीं कह सकती कि "हम संविधान सभा हैं"।

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ठळक मुद्देकपिल सिब्बल ने कहा कि भारत के गणतंत्र बनने से पहले से जम्मू-कश्मीर में धारा 370 लागू थीजब हम पूर्ण गणराज्य भी नहीं थे, तब भी धारा 370 लागू थी। इसलिए यह अस्थाई नहीं हैसंसद धारा 370 को निरस्त करने के प्रस्ताव के जरिये खुद को 'संविधान सभा' नहीं कह सकती है

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पांच सदस्यों वाली संवैधानिक बेंच में धारा 370 को लेकर सुनवाई चल रही है। कोर्ट में धारा 370 की हिमायत करते हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि भारत के गणतंत्र बनने से पहले से जम्मू-कश्मीर में धारा 370 लागू थी।

वकील सिब्बल ने चीफ जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत के समक्ष कहा कि धारा 370 जम्मू-कश्मीर पर तब से लागू है, जब हम पूर्ण गणराज्य भी नहीं बने थे। इसलिए यह तर्क पूरी तरह से गलत है कि अनुच्छेद 370 को अस्थायी तौर पर लागू किया गया था।

सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की संविधान पीठ के सामने याचिका उस वक्त दायर की गई थी, जब 5 अगस्त 2019 को भारत के राष्ट्रपति ने अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया था। सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में महाराजा हरि सिंह द्वारा 5 मार्च 1948 को की गई उस घोषणा को पढ़ा जिसके तहत जम्मू-कश्मीर में एक लोकप्रिय अंतरिम सरकार की स्थापना की गई थी।

कपिल सिब्बल ने कोर्ट के सामने कहा कि जम्मू-कश्मीर पर लागू की गई धारा 370 भारत के गणराज्य बनने से पहले से लागू थी। उन्होंने कोर्ट को बताया कि जम्मू-कश्मीर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के बीच मधुर संबंधों में कभी भी किसी संवैधानिक आदेशों को लेकर किसी तरह का मनमुटाव नहीं हुआ है।

वकील सिब्बल ने कहा कि 1947 में जम्मू-कश्मीर पर पाकिस्तान के आक्रमण की घटना पर विलय पत्र और महाराजा हरि सिंह का लॉर्ड माउंटबेटन को लिखा पत्र पढ़ा। सिब्बल ने अदालत को बताया कि आजादी के वक्त में राज्य में आने वाले जो लोग पाकिस्तान जाना चाहते थे, वो पाकिस्तान लौट गये थे।

वहीं मामले में सीजेआई ने कहा कि संविधान सभा द्वारा पारित किये गये प्रस्ताव में शुरू में जम्मू-कश्मीर को धारा 370 के तहत दिये विशेष शक्तियों के संबंध में विचार किया गया था लेकिन उसमें तय हुआ था कि मूल शक्ति राज्य के पास होगी।

कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि संसद अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के प्रस्ताव के जरिए यह नहीं कह सकती कि "हम संविधान सभा हैं"। उन्होंने कहा, "कानून के मामले में केंद्र सरकार ऐसा नहीं कर सकती है। उन्हें संविधान की बुनियादी विशेषताओं का पालन करना होगा। वे आपात स्थिति, बाहरी आक्रमण को छोड़कर लोगों के मौलिक अधिकारों को निलंबित नहीं कर सकते।"

उन्होंने आगे कहा, "कोई भी संसद खुद को संविधान सभा में परिवर्तित नहीं कर सकती है और यदि आप उस प्रस्ताव को स्वीकार करते हैं, तो उससे देश के भविष्य पर बेहद गंभीर परिणाम होंगे।"

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