मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने ट्वीट किया है कि, 'जब देश और प्रदेश के मुखिया दीपावली का जश्न मना रहे हैं, तब हम प्रदेश में कुपोषण और भूख से मर रहे बच्चों का प्रश्न उठा रहे हैं। शिवराज या तो मामा की स्वयंभू पदवी त्याग दीजिए, या बच्चों की भूख और कुपोषण से मौत का हिसाब दीजिए?
कमलनाथ ने कहा कि इस साल जून में मध्य प्रदेश सरकार ने विधानसभा में बताया था कि फरवरी से मई 2018 तक 120 दिनों में कुल 7,332 बच्चों की मौत हो गई। आपकी जवाबदेही क्या है ? मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 14 सितंबर, 2016 को समीक्षा बैठक में कुपोषण पर श्वेत-पत्र जारी करने की बात कही थी। इसके लिए समिति का गठन भी किया था। मगर दो साल बीत जाने के बावजूद समीक्षा के बिंदुओं का निर्धारण नहीं हो पाया है और श्वेत-पत्र के लिए समिति की बैठक तक नहीं हुई।
उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश विधानसभा में महिला एवं बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनिस से पूछा गया था कि फरवरी 2018 से मई तक 120 दिनों में कुल कितने बच्चे कम वजन के पाए गए और उनमें से कितनों की मौत हुई। चिटनिस की ओर से दिए गए जवाब में कहा गया कि कम वजन के 1,183,985 बच्चे पाए गए।
अति कम वजन के 103,083 बच्चे पाए गए। मंत्री ने अपने जवाब में बताया कि शून्य से एक वर्ष की आयु के 6,024 बच्चे काल के गाल में समा गए, वहीं एक से पांच वर्ष आयु के 1,308 बच्चों की मौत हुई है। इस तरह कुल 7,332 बच्चों की मौत हुई है। यानी हर दिन करीब 61 बच्चों की मौत हुई है । ये परिस्थितियाँ तब हैं जब सरकार कुपोषण और बच्चों की मृत्यु के आँकड़े कम कर के बता रही है।