Justice Arun Kumar Mishra: न्यायमूर्ति मिश्रा ने कई चर्चित मामलों में फैसले सुनाए, प्रशांत भूषण पर एक रुपए का जुर्माना

By भाषा | Updated: September 2, 2020 21:36 IST2020-09-02T21:36:56+5:302020-09-02T21:36:56+5:30

न्यायमूर्ति मिश्रा छह साल से अधिक समय तक उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश रहने के बाद बुधवार को सेवानिवृत्त हो गये। अनेक महत्वपूर्ण फैसले सुनाने वाले न्यायमूर्ति मिश्रा एक कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रशंसा करने के कारण विवादों में भी रहे। बार के एक वर्ग ने न्यायमूर्ति मिश्रा की इसके लिये आलोचना भी की थी।

Justice Arun Kumar Mishra retires from Supreme Court today delivered verdicts in many popular cases | Justice Arun Kumar Mishra: न्यायमूर्ति मिश्रा ने कई चर्चित मामलों में फैसले सुनाए, प्रशांत भूषण पर एक रुपए का जुर्माना

न्यायमूर्ति मिश्रा ने पर्यावरण संरक्षण, परेशान मकान खरीदारों की समस्या ओर दूरसंचार से संबंधित मामलों में महत्वपूर्ण फैसले और आदेश दिये।

Highlightsलोया की हत्या के मामले की निष्पक्ष जांच के लिये दायर याचिका का न्यायमूर्ति मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सूचीबद्ध होने से संबंधित था।यह मामला उस समय सुर्खियों में आया जब शीर्ष अदालत के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों ने जनवरी, 2018 में अप्रत्याशित कदम उठाते हुय प्रेस कांफ्रेंस की थी।न्यायमूर्ति मिश्रा ने न्यायाधीशों और बार से विदाई लेते हुये कहा कि उन्होंने अपने अंत:करण से मामलों का फैसला किया और प्रत्येक निर्णय दृढ़ता के साथ लिया था।

नई दिल्लीः न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में, कथित रिश्वत देने से संबंधित सहारा-बिड़ला डायरी के आधार पर बड़ी हस्तियों के खिलाफ आरोपों की विशेष जांच दल से जांच की मांग ठुकराने से लेकर कार्यकर्ता अधिवक्ता प्रशांत भूषण को अवमानना का दोषी ठहराने के बाद सजा के रूप में उन पर एक रुपए का सांकेतिक जुर्माना करने सहित अनेक महत्वपूर्ण फैसलों के लिये याद किया जायेगा।

न्यायमूर्ति मिश्रा छह साल से अधिक समय तक उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश रहने के बाद बुधवार को सेवानिवृत्त हो गये। अनेक महत्वपूर्ण फैसले सुनाने वाले न्यायमूर्ति मिश्रा एक कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रशंसा करने के कारण विवादों में भी रहे। बार के एक वर्ग ने न्यायमूर्ति मिश्रा की इसके लिये आलोचना भी की थी।

एक अन्य विवाद विशेष न्यायाधीश बी एच लोया की हत्या के मामले की निष्पक्ष जांच के लिये दायर याचिका का न्यायमूर्ति मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सूचीबद्ध होने से संबंधित था। यह मामला उस समय सुर्खियों में आया जब शीर्ष अदालत के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों ने जनवरी, 2018 में अप्रत्याशित कदम उठाते हुय प्रेस कांफ्रेंस की थी। न्यायमूर्ति मिश्रा ने न्यायाधीशों और बार से विदाई लेते हुये कहा कि उन्होंने अपने अंत:करण से मामलों का फैसला किया और प्रत्येक निर्णय दृढ़ता के साथ लिया था।

न्यायमूर्ति मिश्रा सात जुलाई, 2014 को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश बने। शीर्ष अदालत की वेबसाइट के अनुसार मध्य प्रदेश, राजस्थान और कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में उन्होंने करीब 97,000 मुकदमों का फैसला किया और दूरगामी असर वाले कई निर्णय सुनाये।

न्यायमूर्ति मिश्रा के फैसलों में जनवरी, 2017 में सुनाया गया दो सदस्यीय पीठ का वह फैसला भी शामिल है जिसमे बिड़ला और सहारा समूह की कंपनियों पर छापे के दौरान बरामद आपत्तिजनक दस्तावेजों के आधार पर विशेष जांच दल के लिये दायर याचिका खारिज की गयी थी। सेवानिवृत्त होने से चंद दिन पहले ही न्यायमूर्ति मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने अधिवक्ता प्रशांत भूषण को न्यायपालिका के प्रति अपमानजनक ट्वीट करने पर आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराते हुये उन पर सजा के रूप में एक रूपए का सांकेतिक जुर्माने फैसला सुनाया।

इसके अलावा, न्यायमूर्ति मिश्रा ने पर्यावरण संरक्षण, परेशान मकान खरीदारों की समस्या ओर दूरसंचार से संबंधित मामलों में महत्वपूर्ण फैसले और आदेश दिये। न्यायमूर्ति मिश्रा ने अंतरराष्ट्रीय न्यायिक सम्मेलन, 2020- ‘न्यायपालिका और बदलती दुनिया’ के उद्घाटन समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की थी जिसकी वजह से बार के एक वर्ग ने उनकी आलोचना भी की थी।

न्यायमूर्ति मिश्रा ने अपने संबोधन में मोदी को एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित स्वप्नदर्शी और बुद्धिमान बताया था जो वैश्विक स्तर पर सोचते हैं और स्थानीय स्तर पर काम करते हैं। सेवानिवृत्ति से एक दिन पहले न्यायमूर्ति मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने समायोजित सकल राजस्व से संबंधित 93,000 करोड़ रूपए की बकाया राशि का सरकार को भुगतान दस साल में करने की दूरसंचार कंपनियों को अनुमति प्रदान की थी। उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति मिश्रा का अंतिम फैसला उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर में स्थित शिवलिंगम के क्षरण को रोकने से संबंधित है। 

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