नेताओं के खिलाफ मुकदमों की सुनवाई कर रही अदालतों के क्षेत्राधिकार कानून के अनुरूप हों : न्यायालय

By भाषा | Updated: November 15, 2021 23:08 IST2021-11-15T23:08:14+5:302021-11-15T23:08:14+5:30

Jurisdiction of courts hearing cases against politicians should be as per law: Court | नेताओं के खिलाफ मुकदमों की सुनवाई कर रही अदालतों के क्षेत्राधिकार कानून के अनुरूप हों : न्यायालय

नेताओं के खिलाफ मुकदमों की सुनवाई कर रही अदालतों के क्षेत्राधिकार कानून के अनुरूप हों : न्यायालय

नयी दिल्ली,15 नवंबर उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को मौखिक रूप से कहा कि मौजूदा और पूर्व सांसदों व विधायकों के खिलाफ मुकदमों की सुनवाई कर रही विशेष फौजदारी अदालतों के अधिकार क्षेत्र को विधान के अनुरूप होना होगा और यदि शीर्ष न्यायालय इस पहलू पर फैसला करता है तो एक ‘‘बहुत गंभीर समस्या’’ हो जाएगी।

न्यायालय ने यह टिप्पणी इस विधिक प्रश्न की पड़ताल करने से सहमति जताते हुए की है कि एक मजिस्ट्रेट अदालत द्वारा सांसद व विधायक के खिलाफ मुकदमा चलाने योग्य मामूली आपराधिक वारदात को न्यायिक मजिस्ट्रेट के वरिष्ठ, सत्र न्यायाधीश की अध्यक्षता वाले एक विशेष अदालत में क्या अभियोजित किया जा सकता है। साथ ही, क्या इसके परिणामस्वरूप अपील करने के लिए एक न्यायिक मंच मिलने के अधिकार से कथित तौर पर वंचित होना पड़ेगा, जबकि यह अधिकार सभी आरोपियों को प्राप्त है।

समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण से कहा कि उनके मुवक्किल को एक विशेष अदालत ने अभियोजित किया है, जिसमें एक सत्र न्यायाधीश बैठे थे, जबकि उन मामलों की सुनवाई मजिस्ट्रेट को करनी चाहिए थी क्योंकि वे मामूली श्रेणी के अपराध हैं।

पीठ के सदस्यों में न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्य कांत भी शामिल हैं।

सिब्बल ने पीठ से कहा, ‘‘सत्र अदालत के स्तर पर मामले को अभियोजित किये जाने से हमें कोई समस्या नहीं है लेकिन इसका प्रावधान विधान या संविधान के अनुच्छेद 142 से अवश्य होना चाहिए। ’’

शीर्ष न्यायालय प्रथम दृष्टया दलील से सहमत होता प्रतीत हुआ और उसने कहा, ‘‘यहां दो अलग-अलग मुद्दे हैं और जहां तक इस (शीर्ष) न्यायालय के अधिकार क्षेत्र की बात है, यह निर्देश दे सकता है कि कोई न्यायाधीश या निचली अदालत संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत इस प्रकार के मामलों की सुनवाई करेगी और उस पर सवाल नहीं किया जा सकता।

न्यायालय ने कहा कि दूसरा अलग मुद्दा यह है कि इन विशेष अदालतों के अधिकार क्षेत्र की प्रकृति क्या होगी?

पीठ ने कहा, ‘‘इस तरह के अधिकार क्षेत्र को विधान के अनुरूप होना होगा। या तो यह सीआरपीसी के तहत हो या फिर विशेष अधिनियम हो...। इसे विधान के अनुरूप होना होगा।

पीठ 2016 में दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें जघन्य अपराध के मामलों में दोषी ठहराये गये सांसदों व विधायकों पर आजीवन प्रतिबंध लगाने तथा उनके खिलाफ मामलों के तीव्र गति से निस्तारण का अनुरोध किया गया है।

न्यायालय ने मामले की सुनवाई 24 नवंबर के लिए निर्धारित कर दी।

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