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जज लोया मामलाः मीडिया ने उठाए थे ये 10 बड़े सवाल, सुप्रीम कोर्ट का फैसला- जज लोया की मौत प्राकृतिक

By आदित्य द्विवेदी | Updated: April 19, 2018 17:44 IST

जज बीएच लोया की मौत की एसआईटी जांच की मांग कर रही याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। इसी के साथ निराधर साबित हुए मीडिया में उठ रहे उनकी मौत से जुड़े ये 10 बड़े सवाल...

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नई दिल्ली, 19 अप्रैलः सुप्रीम कोर्ट ने जज बीएच लोया की मौत मामले की एसआईटी से जाँच कराने से जुड़ी याचिकाएं खारिज कर दीं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जज लोया के साथ मौजूद जजों के बयान पर संदेह नहीं किया जा सकता। यह फैसला चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने दिया है। याचिका खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक और कारोबारी वजहों से पीआईएल का इस्तेमाल गलत है। सीबीआई की विशेष अदालत के जज बीएच लोया की एक दिसंबर 2014 को मौत हुई थी। मृत्यु के समय वो सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ केस की सुनवाई कर रहे थे। सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले में बीजेपी नेता अमित शाह भी अभियुक्त थे जिन्हें बाद में आरोप मुक्त कर दिया गया। नवंबर 2017 में 'कारवां' नाम की पत्रिका ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसके बाद से लगातार बीएच लोया की मौत पर सवाल उठ रहे थे। उसके बाद कारवाँ एवं अन्य मीडिया संस्थानों में जज लोया से जुड़ी कई खबरें आईं जिनमें अलग-अलग सवाल उठाए गये।

यह भी पढ़ेंः- जज बीएच लोया की मौत की SIT जाँच नहीं होगी, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- PIL का हो रहा है गलत इस्तेमाल

मीडिया रिपोर्ट में जज बीएच लोया से जुड़े ये 10 सवाल उठाए गये थे- 

1. मौत के बाद जज लोया का पार्थिव शरीर उनके पैतृक निवास गाटेगांव भेजा गया जबकि उनकी पत्नी और बेटा मुंबई में रहते थे?

2. जिस एम्बुलेंस में जज लोया का शव उनके गांव पहुंचा उसमें सिर्फ ड्राइवर था। साथ में ना तो कोई सुरक्षाकर्मी था और ना ही कोई सहकर्मी।

3. नागपुर के रवि भवन में बड़े-बड़े अधिकारी ठहरते हैं. लेकिन जज लोया को ऑटो से अस्पताल ले जाया गया।

4. जज लोया का मोबाइल मौत के तीन दिन बाद एक आरएसएस कार्यकर्ता ने उनके परिवार को दिया। मोबाइल का सारा डाटा डिलीट था। 

5. पोस्टमॉर्टम नागपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में हुआ था। रिपोर्ट में पुलिस अधिकारी के साथ एक और व्यक्ति के हस्ताक्षर हैं जिसने नाम के साथ मैयाताजा चलतभाऊ लिखा है जिसका मतलब है मृतक का चचेरा भाई। जज लोया का इस नाम का कोई चचेरा भाई नहीं था।

देखें वीडियो चर्चा- सुप्रीम कोर्ट का बीएच लोया की मौत की जाँच पर फैसला

6. गेस्ट हाउस के 17 कर्मचारियों को मौत के बारे में तब तक कुछ नहीं पता चला जब तक खबरें अखबारों में नहीं आ गई।

7. जज लोया की मौत का कारण हॉर्ट अटैक बताया गया। ईसीजी रिपोर्ट से इसकी पुष्टि नहीं हो रही थी।

8.  परिवार को जज लोया के कपड़ों में गर्दन के पास खून मिला था। जब हॉर्ट अटैक से मौत हुई तो खून कहां से आया?

9. द कारवाँ की रिपोर्ट के अनुसार जज लोया के पोस्टमार्टम में एक ऐसा डॉक्टर भी शामिल था जो आधिकारिक तौर पर उस टीम का हिस्सा नहीं था। ये डॉक्टर महाराष्ट्र की बीजेपी सरकार में शामिल एक मंत्री का करीबी बताया जाता है। 

10. नेशनल हेरल्ड की रिपोर्ट के अनुसार जज लोया की मौत की एफआईआर की कॉपी बदली गयी थी। 

सुप्रीम कोर्ट ने जिन जजों के बयानों के आधार पर खारिज की जज लोया की मौत की जाँच की माँग- 

- सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जज लोया की मौत का जो घटनाक्रम चार ज्यूडिशियल ऑफिसर्स ने बताया है और बॉम्बे हाईकोर्ट के दो जजों ने जो दावे किए हैं उनमें शक जाहिर करने का कोई कारण नहीं है। इन चार ज्यूडिशियल ऑफिसर्स के नाम हैं- श्रीकांत कुलकर्णी, श्रीराम मोदक, आर. राठी और विजय कुमार बरडे; बॉम्बे हाईकोर्ट के दो जस्टिस के नाम हैं भूषण गवई और सुनील शुकरे।

- जज लोया की मौत के वक्त अस्पताल में बॉम्बे हाई कोर्ट के दो जज मौजूद थे- जस्टिस भूषण गवई और जस्टिस सुनील शुकरे। ये दोनों जज ही जज लोया को अस्पताल ले कर गए थे और मौत के बाद शव को गांव भेजने का बंदोबस्त किया था। दोनों जजों ने कहा कि जज लोया की मौत के घटनाक्रम में ऐसा कुछ नहीं था जिस पर किसी तरह का संदेश या सवाल खड़े किए जाएं।

 बीएच लोया मामले की टाइमलाइन-

- सीबीआई की स्पेशल कोर्ट के जज बृजगोपाल हरिप्रसाद लोया की  नागपुर में एक दिसंबर 2014 को मौत हो गयी। आधिकारिक तौर पर उनकी मृत्यु हृदय गति रुक जाने से हुई। जस्टिस लोया नागपुर अपने एक मित्र की बेटी की शादी में शामिल होने के लिए गये थे। 

- बीएच लोया की मृत्यु के समय वो सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले की सुनवाई कर रहे थे। सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले में कई वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों समेत बीजेपी नेता अमित शाह भी अभियुक्त थे। 

- बीएच लोया की मृत्यु के बाद सोहराबुद्दीन शेख मामले की सुनवाई करने वाले नए जज ने अमित शाह को मामले से बरी कर दिया था।  सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह  के अलावा राजस्थान के गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया , राजस्थान के कारोबारी विमल पटनी , गुजरात के पूर्व पुलिस प्रमुख् पी सी पांडे, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक गीता जौहरी और गुजरात के पुलिस अधिकारी अभय चूड़ास्मा एवं एनके अमीन को भी आरोप मुक्त किया जा चुका है।

- कुछ पुलिसकर्मियों सहित कई आरोपियों पर अभी सोहराबुद्दीन शेख , उसकी पत्नी कौसर बी और उनके सहयोगी तुलसीराम प्रजापति के कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में मुकदमा चल रहा है। इस मामले की जांच बाद में सीबीआई को सौंप दी गयी थी। मुकदमे की सुनवाई गुजरात से मुंबई स्थानांतरित कर दी गयी थी। 

- नवंबर 2017 में द कारवाँ ने रिपोर्ट प्रकाशित की जिसमें दावा किया गया कि बीएच लोया की मृत्यु की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई थी। जज लोया की बहन ने कारवाँ से कहा था कि उनके भाई को सोहराबुद्दीन केस मामले में 100 करोड़ रुपये के घूस की पेशकश की गयी थी। 

- जनवरी 2018 में बीएच लोया का बेटे अनुज लोया ने प्रेस वार्ता करके कहा कि उन्हें और उनके परिवार को जज लोया की मौत पर कोई संदेह नहीं है। जज लोया के बेटे ने मीडिया से कहा कि पहले उन सबको इसपर संदेह था लेकिन अब नहीं है। हालाँकि अनुज के मामा ने मीडिया से कहा कि अनुज दबाव में आकर ऐसा बयान दे रहे हैं।

- तहसीन पूनावाला और बीएस लोन ने सुप्रीम कोर्ट में दो अलग-अलग याचिकाओं में जज लोया की मौत की एसआईटी जाँच के लिए जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की।

-  सुप्रीम कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए जस्टिस अरुण मिश्रा की पीठ को मामले आवंटित किया। 

- सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों जस्टिस जे चेलेश्वरम, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एमबी लोकुर, जस्टिस कूरियन जोसेफ ने मीडिया के सामने आकर सुप्रीम कोर्ट में मुकदमों के आवंटन में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के कामकाज के तरीके पर सवाल उठाए थे। चार वरिष्ठ सुप्रीम कोर्ट न्यायधीशों ने मीडिया के पूछे सवाल के जवाब में इशारा किया कि विवाद का सम्बन्ध जज लोया की मौत की जाँच की माँग की याचिका से भी है।

- जस्टिस अरुण मिश्रा ने मामले की अगली सुनवाई में खुद को इस मामले से अलग कर लिया था। जस्टिस अरुण मिश्रा के इस मामले से हट जाने के बाद भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा वाली तीन न्यायधीशों की पीठ को सौंपा गया। इस पीठ में सीजेआई के आलावा जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएम खानविलकर शामिल थे।

- सुप्रीम कोर्ट में  मार्च 2018 में मामले की सुनवाई पूरी हुई। अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया।

- 19 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ ने फैसला सुनाया और जज लोया की मौत की जाँच की याचिका खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जज लोया की मौत से जुड़े जजों के बयानों पर संदेह नहीं किया जा सकता।

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