देहरादून: जोशीमठ में जमीन धंसने से आई आपदा के कारण कई लोग अपना घर छोड़ने को मजबूर हो गए हैं। इस बीच उत्तराखंड के राज्य आपदा प्रबंधन सचिव डॉ रंजीत सिन्हा ने शुक्रवार को बताया कि विस्थापित परिवारों की संख्या 269 है। उनमें से लगभग 30 परिवार या तो किराए पर रह रहे हैं या अपने रिश्तेदारों के यहां रह रहे हैं। इन विस्थापित परिवारों के सदस्यों की कुल संख्या 900 है।
जोशीमठ में दो जनवरी को जमीन धंसने की घटना के कारण कई जगह धरती में और इमारतों में दरारें पड़ने लगीं और धीरे-धीरे दरारें चौड़ी होने लगीं और करीब 23,000 लोगों की आबादी वाले शहर के निवासियों के लिए यह घटना भयावह सपने के तौर पर सामने आई है।
इस बीच उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को कहा था कि जोशीमठ में घरों सहित अन्य इमारतों में दरारें पड़ने के बावजूद वहां 65 से 70 प्रतिशत लोग सामान्य जीवन जी रहे हैं और चार धाम यात्रा चार महीने बाद शुरू होगी।
धामी ने संवाददाताओं से कहा, "जोशीमठ में 65-70 फीसदी लोग सामान्य जीवन जी रहे हैं। औली में भी सबकुछ सामान्य है। पर्यटक अभी भी औली आ रहे हैं।" उन्होंने कहा कि केदारनाथ, बदरीनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री की चारधाम यात्रा अगले चार महीने में शुरू होगी। धामी ने कहा कि जोशीमठ की स्थिति को लेकर परेशान होने की जरूरत नहीं है और देश के दूसरे हिस्सों में बैठे लोगों को इसपर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए।