जेएनयू छात्रसंघ के पदाधिकारी मिले वाइस चांसलर शांतिश्री धूलिपदी पंडित से, रामनवमी हिंसा में हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज से की जांच की मांग
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: April 13, 2022 08:54 PM2022-04-13T20:54:12+5:302022-04-13T21:01:32+5:30
रामनवमी हिंसा के मामले में जेएनयू छात्रसंघ (जेएनयूसू) पदाधिकारियों ने वाइस चांसलर शांतिश्री धूलिपदी पंडित से मुलाकात करके घटना की जांच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज से कराने की मांग की।
दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ (जेएनयूसू) पदाधिकारियों ने रामनवमी हिंसा के मामले में बुधवार को वाइस चांसलर शांतिश्री धूलिपदी पंडित से मुलाकात की। छात्रों ने 10 अप्रैल को दो गुटों में हुए हिंसक झड़प के मामले में होने वाली जांच को हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज से कराने की मांग की।
जेएनयूसू के छह सदस्यों वाले प्रतिनिधिमंडल को सूचित किया गया है कि मामले में प्रॉक्टर स्तरीय जांच शुरू की जाएगी। विश्वविद्यालय परिसर के कावेरी छात्रावास के मेस में 'मांसाहारी' भोजन परोसने को लेकर 10 अप्रैल को दो समूहों के बीच हुई झड़प में कम से कम 20 छात्र घायल हो गए थे।
बैठक के बाद जेएनयूएसयू की अध्यक्ष आइशी घोष ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल ने खुल कर अपनी बात रखी और पूछा कि जब झड़प के दिन कावेरी छात्रावास में मांस विक्रेता को अनुमति नहीं दी गई तो प्रशासन ने कुछ क्यों नहीं किया।
घोष ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल ने कुलपति से यह मांग भी की कि घायल छात्रों से उन्हें मिलना चाहिए, जो उन्होंने अब तक नहीं किया है। उन्होंने कहा, ''हमें बताया गया है कि एक प्रॉक्टर स्तरीय जांच शुरू की जाएगी और यह उन सभी छात्रों के लिए खुली होगी, जो अपनी गवाही और साक्ष्य देना चाहते हैं।''
घोष ने कुलपति को मंगलवार रात की उस घटना के बारे में भी अवगत कराया जब स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज की लाइब्रेरी में एक महिला को धमकाया गया। घोष ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल ने कुलपति के समक्ष इस मुद्दे को भी उठाया है।
छात्र संघ की अध्यक्ष ने बताया कि, "कुलपति ने डीन ऑफ स्टूडेंट्स को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि कोई भी छात्र किसी भी तरह से असहज या डरा हुआ महसूस न करे।"
कुलपति पंडित को सौंपे गए ज्ञापन में छात्र संघ ने बताया है कि कावेरी छात्रावास में हिंसा की शुरुआत छात्रों के एक समूह द्वारा छात्रावास के मेस में मांसाहारी भोजन पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने से हुई है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने पहले कहा था कि रामनवमी पर आयोजित पूजा शाम 5 बजे शुरू हुई और साथ ही इफ्तार भी हो रहा था।
हालांकि इसके साथ ही जेएनयूएसयू की ओर से यह भी कहा गया है, "इफ्तार शाम 6:45 बजे आयोजित किया गया था न कि शाम 5 बजे।" जेएनयूएसयू ने ज्ञापन में विश्वविद्यालय से 11 अप्रैल को जारी अपने बयान को वापस लेने के लिए भी कहा, जिसमें कहा गया था कि रामनवमी पर आरएसएस से जुड़े एबीवीपी द्वारा "शांतिपूर्वक" आयोजित एक 'हवन' पर कुछ छात्रों द्वारा आपत्ति जताए जाने के बाद झड़पें हुईं।
छात्रसंघ ने मांग की कि जेएनयू प्रशासन इस मुद्दे पर त्वरित कार्रवाई कर "स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से" विचार करे। ज्ञापन में, संघ ने मांग की कि जेएनयू प्रशासन या तो न्यायिक जांच करे या मामले की जांच के लिए उच्च न्यायालय के सेवारत या सेवानिवृत्त न्यायाधीश के साथ एक समिति का गठन करे।